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मंगल ग्रह पर आने वाले भूकंप से पता चला, सतह के नीचे तैर रहा है गर्म लावा 

अगर आप समझते हैं कि मंगल ग्रह जियोलॉजिकली डेड है, तो हो सकता है कि आप गलत साबित हो जाएं. हाल ही में एक शोध किया गया है जिसमें पता चला है कि मंगल ग्रह पर ज्वालामुखी अब भी एक्टिव हो सकते हैं. वहीं एक खास जगह, सतह के नीचे लावा मिलने के सबूत मिले हैं.

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सबूतों से पता चलता है कि मंगल ग्रह अब भी एक्टिव है (Photo: SA-DLR-FU Berlin)
सबूतों से पता चलता है कि मंगल ग्रह अब भी एक्टिव है (Photo: SA-DLR-FU Berlin)

मंगल (Mars) के बारे में कहा जाता है कि यह ग्रह जियोलॉजिकली डेड (Geologically dead) है, यानी भूगर्भीय रूप से मर चुका है. लेकिन हो सकता है कि ये सही न हो. क्योंकि मंगल ग्रह की सतह के नीचे गर्म लावा मिलने के संकेतों का पता लगा है.

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माना जाता है कि बहुत समय पहले, लाल ग्रह पर ज्वालामुखी विस्फोट हुआ करते थे, लेकिन लाखों सालों से विस्फोट नहीं हुए. अब, नासा (NASA) के इनसाइट लैंडर मिशन के डेटा की मदद से, मंगल पर 20 से ज्यादा भूकंपीय घटनाओं के एक क्लस्टर पर स्टडी की गई. स्विट्जरलैंड में ईटीएच ज्यूरिख के साइमन स्टाहलर (Simon Stahler) और उनकी टीम ने सेर्बरस फॉसे (Cerberus Fossae) के पास मैग्मा जमा होने की बात कही है. 

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सेर्बरस फॉसे के आसपास मिल सकता है लावा (Photo: NASAJPL-Caltech Univ. of Arizona)

इनसाइट 2018 में मंगल ग्रह पर उतरा था, जिसका मकसद था भूकंपीय तरंगों (Sesmic waves) का अध्ययन करना, जो ग्रह के अंदर से निकलते हुए, सतह पर तैरती हैं. इन तरंगों की गति और आवृत्ति की जांच करके हम मंगल की भूगर्भीय संरचना (Geological structure) को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं.

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स्टाहलर कहते हैं कि अब हमारे पास पर्याप्त डेटा है जिससे कुछ सांख्यिकीय पैटर्न (Statistical patterns) देखे जा सकते हैं और हमें मंगल ग्रह पर होने वाले भूकंपों का पता लग सकता है. उन्होंने और उनकी टीम ने पाया है कि 2018 के बाद से, इनसाइट मिशन ने जिन बड़े और छोटे भूकंपों को मापा है, उन्हें सेर्बरस फॉसे क्षेत्र के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

जब टीम ने तरंगों की स्पेक्ट्रल विशेषताओं का विश्लेषण किया, तो उन्होंने इस क्षेत्र की सतह के नीचे मैग्मा के मौजूद होने का अनुमान लगाया. उन्होंने जो लो फ्रीक्वेंसी देखीं वे आमतौर पर ज्वालामुखी सेटिंग्स से जुड़ी होती हैं.

 

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में, टीम के सदस्य ऐना मित्तेलहोल्ज़ (Anna Mittelholz ) का कहना है कि मंगल ग्रह के इस हिस्से में किसी तरह का गर्म पदार्थ या मैग्मा चैंबर होना चाहिए, यानी सक्रिय ज्वालामुखी. शोधकर्ताओं ने सैटेलाइट से मिली तस्वीरों से इस खोज को और मजबूती दी, जिसमें इस क्षेत्र के आसपास धूल के गहरे जमाव दिखाई देते हैं, जो पिछले 50,000 सालों में हुई ज्वालामुखी गतिविधियों को दर्शाते हैं.

ब्रिटेन की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के निक टीनबी (Nick Teanby) का कहना है कि बहुत से लोगों का मानना है कि ग्रह ऐसे पिंड हैं जो समय के साथ बदलते नहीं हैं. मुझे लगता है कि बेहद रोमांचक बात है कि मंगल की सतह पर ये नए फीचर दिखे हैं जो एक्टिव हैं, जिससे पता चलता है कि मंगल ग्रह अभी भी काम कर रहा है.

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