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अमेरिका में कभी भी आ सकता है महाभूकंप, प्रशांत महासागर की तलहटी में मिला छेद... उगल रहा है आग

अमेरिका पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है. ओरेगॉन से 80 किलोमीटर दूर प्रशांत महासागर की तलहटी में एक छेद मिला है. यह छेद गर्म पानी उगल रहा है. यह छेद 965 किलोमीटर लंबे फॉल्ट लाइन पर मिला है. इसे कैसकेडिया सबडक्शन जोन कहते हैं. इसलिए वैज्ञानिकों को लगता है कि बहुत जल्दा अमेरिका में भयानक महा-भूकंप आ सकता है.

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ये है प्रशांत महासागर की तलहटी में मिला छेद, जहां से धरती के अंदर से निकल रहा है गर्म पानी. (फोटोः यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन)
ये है प्रशांत महासागर की तलहटी में मिला छेद, जहां से धरती के अंदर से निकल रहा है गर्म पानी. (फोटोः यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन)

प्रशांत महासागर की तलहटी में एक फॉल्ट लाइन है. यानी टेक्टोनिक प्लेट के बीच का गैप. जिसमें एक बड़ा छेद मिला है. यह छेद गर्म पानी उगल रहा है. यह छेद अमेरिका के ओरेगॉन के तट से मात्र 80 किलोमीटर दूर है. इस छेद की स्थिति को देखते हुए वैज्ञानिकों को डर है कि अमेरिका उत्तर-पश्चिमी इलाकों में भयानक महा-भूकंप आ सकता है. साथ ही बड़े स्तर की सूनामी का भी खतरा है. 

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प्रशांत महासागर की तलहटी में मौजूद फॉल्ट लाइन की लंबाई 965 किलोमीटर है. इसका नाम है कैसकेडिया सबडक्शन जोन. यह फॉल्ट लाइन उत्तरी कैलिफोर्निया से कनाडा तक फैली है. वैज्ञानिकों की आशंका है कि यह फॉल्ट लाइन प्रशांत महासागर के नीचे से अमेरिका के उत्तर-पश्चिम इलाके में 9 तीव्रता का भूकंप ला सकती है. और अभी जो छेद आग उगलते हुए मिला है, वह इस भूकंप को ट्रिगर कर सकता है. 

वैसे तो यह छेद साल 2015 में खोजा गया था. लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के वैज्ञानिकों ने इसकी नई स्टडी की तो डर गए. क्योंकि इसमें से निकल रहा गर्म तरल पदार्थ वो किसी फॉल्ट लाइन का लुब्रीकेंट नहीं है. यह रसायनिक तौर पर फॉल्ट लाइन से भी नीचे से आ रही है. फॉल्ट लाइन का लुब्रीकेंट टेक्टोनिक प्लेट्स के मूवमेंट को आसान बनाती है. 

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Hole In Pacific Ocean Earthquake In US

छेद से निकल रहा पानी सुखाएगा प्लेट का लुब्रीकेंट

अगर किसी छेद से टेक्टोनिक प्लेट का लुब्रीकेंट लीक कर रहा है यानी उसका मूवमेंट स्मूथ नहीं होगा. जिससे पैदा होने वाले दबाव की वजह से भयानक भूकंप आ सकता है. इस छेद से लगातार गर्म पानी आ रहा है. इसका नाम दिया है पाइथियास ओएसिस (Pythias Oasis). यह एक प्राचीन ग्रीक झरना था, जो दिमाग की सोच बदलने वाला गैस निकालता था.  

तट से 80 KM दूर, 3280 फीट गहराई में है ये छेद

वैज्ञानिकों ने बताया कि इस छेद को खोजना बहुत मुश्किल है. क्योंकि यह समुद्र की सतह से 3280 फीट नीचे हैं. जहां सैलिनिटी कम है. तापमान बहुत ज्यादा है. समुद्री की तलहटी से खनिजों से भरा हुआ पानी निकल रहा है. इसकी तस्वीर थोड़ा दूर से सोनार के जरिए 2015 में ली गई थी. जिसे बाद में नजदीक जाकर दूसरे रोबोटिक डाइवर ने फोटो ली. 

सिर्फ मीथेन के बुलबुले नहीं, कुछ और ही निकल रहा

इस छेद से निकलने वाला पानी टेक्टोनिक प्लेट्स की बाउंड्री लाइन पर है. यह इलाका बेहद गर्म है. आसपास का तापमान भी बढ़ा हुआ है. समुद्री जियोलॉजी की स्टडी करने वाले इवान सोलोमन ने कहा कि उस छेद से सिर्फ मीथेन के बुलबुले नहीं निकल रहे हैं. वह किसी फायरहोज से कम नहीं है. वहां से जो निकल रहा है, उसे पहले कभी नहीं देखा गया. 

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छेद के आसपास तापमान भी बहुत ज्यादा है

छेद से निकलने वाला पानी समुद्री पानी से 8 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म है. यह कैसकेडियन मेगाथ्रस्ट से निकल आ रही है. यहां पर तापमान 148 से 260 डिग्री सेल्सियस तक रहता है. छेद के जरिए मेगाथ्रस्ट से निकलने वाला पानी स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट के लिए जरूरी है. क्योंकि ये तरल पदार्थ प्लेटों के दबाव और सेडिमेंट के घूमने का काम आसान करती है. 

अमेरिका के इतने बड़े इलाके में आएगा भूकंप

कैसकेडियन मेगाथ्रस्ट के ऊपर सिएटल, पोर्टलैंड, ओरेगॉन, उत्तरी कैलिफोर्निया और कनाडा का वैंकूवर आइलैंड आता है. यानी 9 तीव्रता का भूकंप आता है, तो इन इलाकों में बड़ी तबाही मचेगी. अगर सारा तरल पदार्थ इस छेद से निकल जाएगा, तब प्लेट्स के बीच एक लॉकिंग होगी. जो तापमान बढ़ा देगा. प्रेशर बनेगा. फिर दोनों टेक्टोनिक प्लेट्स टकरा सकते हैं या फिर स्लिप कर सकते हैं. 

इस वजह से आ सकता है अमेरिका में बड़ा भूकंप

कैसकेडियन सबडक्शन जोन के नीचे एक छोटी समुद्री प्लेट जुआन डे फूका लगातार उत्तरी अमेरिकन प्लेट के नीचे चली गई है. एक प्लेट जब दूसरे के नीचे जाती हैं, तब भयानक भूकंप आते हैं. साल 2011 में जापान में आया भूकंप इसी का उदाहरण था. जिससे करीब 20 हजार लोग मारे गए थे. कैसकेडियन सबडक्शन जोन की वजह से 1700 में 9 तीव्रता का भूकंप आया था. यह सैन एंड्रियास में आए भूकंप से 30 गुना ज्यादा ताकतवर था. 

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कितनी परतें हैं पृथ्वी की जो भूकंप लाती हैं

हमारी पृथ्वी प्रमुख तौर पर चार परतों से बनी है. यानी इनर कोर (Inner Core), आउटर कोर (Outer Core), मैंटल (Mantle) और क्रस्ट (Crust). क्रस्ट सबसे ऊपरी परत होती है. इसके बाद होता है मैंटल. ये दोनों मिलकर बनाते हैं लीथोस्फेयर (Lithosphere). लीथोस्फेयर की मोटाई 50 किलोमीटर है. जो अलग-अलग परतों वाली प्लेटों से मिलकर बनी है. जिसे टेक्टोनिक प्लेट्स (Tectonic Plates) कहते हैं. 

धरती के अंदर मौजूद हैं टेक्टोनिक प्लेट

धरती के अंदर सात टेक्टोनिक प्लेट्स हैं. ये प्लेट्स लगातार घूमती रहती हैं. जब ये प्लेट आपस में टकराती हैं. रगड़ती हैं. एकदूसरे के ऊपर चढ़ती या उनसे दूर जाती हैं, तब जमीन हिलने लगती है. इसे ही भूकंप कहते हैं. भूकंप को नापने के लिए रिक्टर पैमाने का इस्तेमाल करते हैं. जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल कहते हैं. 

किस तीव्रता के भूकंप से कितना नुकसान

रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल 1 से 9 तक होती है. भूकंप की तीव्रता को उसके केंद्र यानी एपीसेंटर से नापा जाता है. यानी उस केंद्र से निकलने वाली ऊर्जा को इसी स्केल पर मापा जाता है. 1 यानी कम तीव्रता की ऊर्जा निकल रही है. 9 यानी सबसे ज्यादा. बेहद भयावह और तबाही वाली लहर. ये दूर जाते-जाते कमजोर होती जाती हैं. अगर रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 7 दिखती है तो उसके आसपास के 40 किलोमीटर के दायरे में तेज झटका होता है. 

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