बाल्टिक सागर (Baltic Sea) में बिछी नेचुरल गैस पाइपलाइन सिस्टम नॉर्ड स्ट्रीम (Nord Stream) फट गई है. जिसकी वजह से भयानक मीथेन लीक हो रहा है. इससे इतना बड़ा विस्फोट हुआ, जो अंतरिक्ष से भी दिखाई दिया. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रोग्राम (UNEP) का मानना है कि ये विस्फोट कई टीएनटी बमों के बराबर है. इसकी वजह से बाल्टिक सागर के इकोसिस्टम पर बुरा असर पड़ रहा है. अगर इसे जल्दी नहीं रोका गया तो आसपास के बड़े इलाके में समुद्री जीव-जंतुओं को भारी नुकसान होगा. यहां तक कि समुद्री परिवहन पर भी असर पड़ सकता है.
UNEP का इंटरनेशनल मीथेन एमिशन ऑब्जरवेटरी (IMEO) ने कहा है कि अत्यधिक कंसेनट्रेटेड मीथेन निकल रहा है. ये बात सही है कि यह कार्बन डाईऑक्साइड से कम समय पर्यावरण में रहता है. लेकिन नुकसान ज्यादा पहुंचाता है. IMEO के प्रमुख मैनफ्रेडी काल्टाजिरोन ने कहा कि यह बेहद बुरी घटना है.
मैनफ्रेडी के मुताबिक यह मीथेन लीक की अब तक की सबसे बड़ी घटना है. दुनिया भर में मीथेन पर नजर रखने वाली सैटेलाइट GHGSat के अनुसार यहां से करीब 23 हजार किलोग्राम मीथेन हर घंटे निकल रही है. यानी यह पूरी दुनिया में हर घंटे में जलने वाले 2.85 लाख कोयले के बराबर है.
नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन की कंपनी ने कहा पिछले चार दिनों से मीथेन लीक की गति इतनी ज्यादा है कि उसे ठीक करना मुश्किल होगा. यहां जो मीथेन लीक हो रहा है वो पिछले साल दिसंबर में मेक्सिको की खाड़ी (Gulf of Mexico) में हुए ऑफशोर ऑयल एंड गैस फील्ड लीक से ज्यादा भयावह और तीव्र है.
मैनफ्रेडी ने कहा कि मेक्सिको की खाड़ी में भी 100 मीट्रिक टन प्रतिघंटे की दर से मीथेन निकली थी. यह लीक भी अंतरिक्ष से दिखाई दे रहा था. 17 दिनों में इससे 40 हजार मीट्रिक टन मीथेन निकली थी. यह जानकारी पॉलीटेक्निक यूनिवर्सिटी ऑफ वैलेंसिया की स्टडी से पता चला था. नॉर्ड स्ट्रीम (Nord Stream) पाइपलाइन के जरिए रूस (Russia) से यूरोप (Europe) तक नेचुरल गैस की सप्लाई होती है.
The ruptures on the Nord Stream gas pipelines under the Baltic Sea has led to what is likely the biggest single release of climate-damaging methane ever recorded, the United Nations Environment Programme said https://t.co/Nw2ecb5jSL 1/5 pic.twitter.com/UaNXdFCUbW
— Reuters Science News (@ReutersScience) September 30, 2022
जब दोनों देशों से पूछा गया कि ये नुकसान कैसे हुए तो रूस के पास से कोई सही जवाब नहीं मिला. यूरोपियन संघ भी सही उत्तर नहीं दे पाया. दोनों ने कहा कि ये नुकसान तोड़फोड़ करने वालों की वजह से हुआ है. लेकिन असली वजह किसी को पता नहीं है. यूरोप और अमेरिका ने यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस पर कई प्रतिबंध लगा रखे हैं. हो सकता है कि इससे नाराज क्रेमलिन ने यूरोप को ईंधन सप्लाई बाधित करने के लिए यह काम किया हो.