scorecardresearch
 

Artemis II Astronauts: नासा ने चांद का चक्कर लगाने के लिए चुने ये चार एस्ट्रोनॉट्स, अगले साल लॉन्चिंग

अर्टेमिस-1 मिशन की सफलता के बाद NASA ने अपने Artemis-II मिशन के लिए चार एस्ट्रोनॉट्स के नाम का खुलासा कर दिया है. अब ये चार एस्ट्रोनॉट्स अगले साल के शुरुआत में चंद्रमा के चारों तरफ चक्कर लगाकर वापस धरती पर आएंगे. जानिए क्या होगा अर्टेमिस-2 मिशन और ये चार एस्ट्रोनॉट्स कौन हैं?

Advertisement
X
ये हैं वो चार एस्ट्रोनॉट्स जो Artemis-II में चांद का चक्कर लगाकर लौटेंगे. (फोटोः NASA)
ये हैं वो चार एस्ट्रोनॉट्स जो Artemis-II में चांद का चक्कर लगाकर लौटेंगे. (फोटोः NASA)

Artemis II मिशन के लिए NASA ने चार एस्ट्रोनॉट्स का चयन कर लिया है. ये एस्ट्रोनॉट्स अगले साल के शुरुआत में चंद्रमा के चारों तरफ चक्कर लगाकर वापस धरती पर आएंगे. अपोलो मिशन के 50 साल से ज्यादा समय के बाद कोई इंसान चंद्रमा तक जाएगा. अर्टेमिस-2 एक फ्लाईबाई मिशन है. यानी एस्ट्रोनॉट्स ओरियन स्पेसक्राफ्ट में बैठकर चंद्रमा के चारों तरफ चक्कर लगाकर धरती की तरफ वापस चले आएंगे. 

Advertisement

ये हैं चार एस्ट्रोनॉट जा रहे हैं Artemis-II मिशन में
1. क्रिस्टीना एच कोच (मिशन स्पेशलिस्ट/अमेरिका)
2. जेरेमी हेनसन (मिशन स्पेशलिस्ट/कनाडा)
3. विक्टर ग्लोवर (पायलट/अमेरिका)
4. ली वाइसमैन (कमांडर/अमेरिका)

इन चारों एस्ट्रोनॉट्स में एक कनाडा के हैं. बाकी तीन अमेरिका के. नाम की घोषणा ह्यूस्टन स्थित जॉनसन स्पेस सेंटर में की गई. पांच दशकों से ज्यादा समय के बाद Artemis-II चांद की पहली इंसानी यात्रा होगी. लेकिन इस दौरान चंद्रमा पर एस्ट्रोनॉट्स की लैंडिंग नहीं होगी. यानी ये चारों एस्ट्रोनॉट्स चांद पर अपने कदम नहीं रखेंगे. इस मिशन की सफलता के बाद Artemis-III मिशन 2025 में भेजा जाएगा. जिसमें जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स चांद पर पैर रखेंगे. 

इस मिशन के बाद चांद पर एक आउटपोस्ट बनाने की कवायद चल रही है. जिसके बाद मंगल ग्रह की यात्रा को और आसान बनाया जाएगा. इस समय नासा के पास कुल मिलाकर 18 एस्ट्रोनॉट्स हैं. जिनमें 9 पुरुष और 9 महिलाएं हैं. इनके अलावा कनाडा की तरफ से पहली बार कोई एस्ट्रोनॉट किसी मून मिशन पर जाएगा. इस ग्रुप को अर्टेमिस-18 ग्रुप बुलाया जा रहा है. इसमें अनुभवी एस्ट्रोनॉट्स और नए लोगों का मिश्रण है. हो सकता है कि इन चार एस्ट्रोनॉट्स में एक महिला हो और दूसरा फर्स्ट पर्सन ऑफ कलर हो.  

Advertisement

अर्टेमिस मिशन के चुने गए 18 एस्ट्रोनॉट्स

NASA Artemis-II Astronauts

ये हैं वो 18 एस्ट्रोनॉट्स की लिस्ट जो अर्टेमिस प्रोग्राम में चुने गए हैं- (ऊपर बाएं से दाएं) जोसेफ अकाबा, कायला बैरन, राजा चारी, मैथ्यू डॉमिनिक, विक्टर ग्लोवर, वूडी होबर्ग, जॉनी किम, क्रिस्टीना कोच, जेल लिंडग्रेन, निकोल मन, एनी मैक्लेन, जेसिका मीर, जैसमीन मोघबेली, केट रुबिंस, फ्रैंक रुबियो, स्कॉट टिंगल, जेसिका वॉटकिंस और स्टेफनी विल्सन. 

कितनी लंबी यात्रा करेंगे ये चार एस्ट्रोनॉट्स

अब 2024 में अर्टेमिस-2 (Artemis-2) और 2025 में अर्टेमिस-3 (Artemis-3) मिशन भेजा जाएगा. अर्टेमिस-3 में ही एस्ट्रोनॉट्स को चंद्रमा पर भेजा जाएगा. तब तक जरुरत के मुताबिक तकनीके विकसित की जाएंगी.  चारों एस्ट्रोनॉट्स को SLS रॉकेट पर लगे ओरियन स्पेसक्राफ्ट के जरिए फ्लोरिडा स्थित नासा के केनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड 39बी से छोड़ा जाएगा. अगर सिर्फ फ्लाई बाई हुआ यानी चांद के चारों तरफ चक्कर लगाकर आना हुआ तो यात्रा करीब 42 दिन की होगी. इस दौरान यान और एस्ट्रोनॉट्स करीब 21 लाख किलोमीटर की यात्रा करेगा. वापस लौटते समय लैंडिंग प्रशांत महासागर में कहीं कराई जा सकती है.  

Orion Spacecraft

क्या है ओरियन स्पेसशिप, जिससे पूरी होगी यात्रा 

ओरियन स्पेसशिप (Orion Spaceship) दुनिया के सबसे ताकतवर और बड़े रॉकेट के ऊपरी हिस्से में रहेगा. यह इंसानों की स्पेस यात्रा के लिए बनाया गया है. यह वह दूरी तय कर सकता है, जो आज तक किसी स्पेसशिप ने नहीं की है. यह बात उसने पिछले साल दिसंबर में प्रमाणित भी कर चुका है. ओरियन स्पेसशिप बिना इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जुड़े इतनी लंबी यात्रा करने वाला पहला अंतरिक्षयान होगा.

Advertisement

SLS Rocket Artemis

दुनिया के सबसे बड़े रॉकेट से की जाएगी लॉन्चिंग

NASA के केनेडी स्पेस स्टेशन पर SLS रॉकेट यानी स्पेस लॉन्च सिस्टम को लॉन्च किया जाएगा. इस रॉकेट को पांच सेगमेंट वाले बूस्टर्स से लॉन्च किया जाएगा. जिनमें से चार में RS-25 इंजन लगे हैं. ये इंजन बेहद ताकतवर हैं. ये 90 सेकेंड में वायुमंडल के ऊपर पहुंच जाएंगे. सॉलिड बूस्टर्स दो मिनट से पहले ही अलग हो जाएंगे. इसके बाद RS-25 इंजन करीब 8 मिनट बाद अलग होगा. फिर सर्विस मॉड्यूल और स्पेसशिप को उसके बूस्टर्स अंतरिक्ष में आगे की यात्रा के लिए एक जरूरी गति देकर छोड़ देंगे. 

ISRO: भारत के लिए क्यों जरूरी है RLV? जानिए

Live TV

Advertisement
Advertisement