scorecardresearch
 

Artemis-1 का स्पेसक्राफ्ट ओरियन चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा, लगा रहा चांद के चक्कर

NASA का आर्टिमिस (Artemis 1) मिशन मून चांद के बहुत करीब पहुंचने वाला है. बिना क्रू वाला आर्टिमस-1 (Artemis 1) ओरियन कैप्सूल (Orion capsule) चांद की तरफ तेजी से बढ़ रहा है. ये चांद की कक्षा में पहुंच गया है और चांद से केवल 500 किलोमीटर की दूरी पर है.

Advertisement
X
चांद के बेहद करीब है आरियन (Photo: NASA)
चांद के बेहद करीब है आरियन (Photo: NASA)

नासा का ओरियन कैप्सूल सोमवार शाम चांद पर पहुंच गया है. यानी चांद के बेहद करीब. ये चांद के दो चक्कर लगाकर वापस आने वाला है. ये स्पेसक्राफ्ट चांद की सतह के सबसे करीब, यानी 130 किलीमीटर ऊपर पहुंचेगा.

Advertisement

इस स्पेसक्राफ्ट को बुधवार सुबह, यानी 16 नवंबर को नासा के स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) से लॉन्च किया गया था. ओरियन सोमवार की शाम चांद की कक्षा में पहुंच गया. ये स्पेसक्राफ्ट चांद की सतह के सबसे करीब, यानी 130 किलीमीटर ऊपर पहुंचेगा. कैप्सूल ने अपने मुख्य इंजन को 'पावर्ड फ्लाईबाई बर्न' (Powered Flyby Burn) में फाय किया, जिसने चांद की कक्षा में प्रवेश करने में इसकी मदद की. 

आपको बता दें कि ओरियन इस वक्त पृथ्वी से करीब 370000 किलोमीटर और चांद से करीब 500 किलोमीटर दूर है. ये 1747.7 किमी/घंटे की रफ्तार से चांद की तरफ बढ़ रहा है. आर्टेमिस 1 टीम के सदस्य वेबकास्ट के दौरान, इस बेहद महत्वपूर्ण मिशन पर चर्चा कर रहे हैं. इसे Space.com या NASA के YouTube चैनल पर लाइव देखा जा सकता है. 

NASA Artimis-1
चांद से महज130 किलीमीटर दूर होगा स्पेसक्राफ्ट (Photo: NASA)

नासा के मंगल मिशन के बाद, अर्टेमिस-1 आर्टिमिस प्रोग्राम का पहला मिशन है. इसका उद्देश्य 2020 के दशक के अंत तक चंद्रमा पर क्रू रिसर्च बेस स्थापित करना है. 

Advertisement

सोमवार को जो इंजन बर्न होगा उससे 25 नवंबर को एक और महत्वपूर्ण अभ्यास किया जाएगा. चंद्रमा के चारों ओर डिस्टेंट रीट्रोग्रेड ऑर्बिट (डीआरओ) में ओरियन को भेजने के लिए डिज़ाइन किया गया इंजन फायर किया जाएगा. कैप्सूल डीआरओ में रहेगा. यह एक ऐसा स्थिर रास्ता है जो 1 दिसंबर तक इसे चांद की सतह से 64,000 किमी तक ले जाएगा. इसके बाद अगला इंजन बर्न इस कैप्सूल को पृथ्वी की तरफ वापस भेज देगा.

 

अर्टेमिस-1 मिशन के दौरान ओरियन और SLS रॉकेट, चंद्रमा तक जाकर धरती पर वापस आएंगे. इस दौरान दोनों की क्षमताओं का टेस्ट किया जाएगा. इसे भविष्य में होने वाले मून मिशन से पहले के लिटमस टेस्ट की तरह समझा जा सकता है. अर्टेमिस-1 मिशन के बाद ही नासा वैज्ञानिक चंद्रमा तक जाने के लिए अन्य जरूरी तकनीक डेवलप करेंगे, ताकि चंद्रमा से आगे मंगल तक की यात्रा भी हो सके.

ओरियन 11 दिसंबर को पृथ्वी पर वापस आ जाएगा. ये कैलिफ़ोर्निया के तट से दूर प्रशांत महासागर में उतरेगा. अगर आर्टेमिस 1 मिशन सफल रहता है, तो नासा आर्टेमिस 2 की तैयारी करेगा. इस मिशन के अंतर्गत, 2024 या उसके आसपास अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा के आसपास भेजा जाएगा. 2025 में, नासा ने आर्टेमिस 3 को लॉन्च करने की योजना बनाई है, जो चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा. 

Advertisement
Advertisement