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Artemis 1 Launch: चांद पर इंसानी मिशन का पहला कदम... NASA ने आधी सदी बाद भेजा अंतरिक्षयान

NASA Artemis-1 रॉकेट चंद्रमा के लिए उड़ान भर चुका है. ये नासा का तीसरा प्रयास था दुनिया के सबसे बड़े रॉकेट को लॉन्च करने का. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी 50 साल के बाद यह मिशन कर रहा है. यह मिशन क्यों जरूरी है? चंद्रमा पर स्पेसक्राफ्ट कब पहुंचेगा? मिशन कितने दिन का होगा? जानिए इस मिशन के बारे में सबकुछ...

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केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होता NASA का Artemis-1 मिशन. (फोटोः NASA)
केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होता NASA का Artemis-1 मिशन. (फोटोः NASA)

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (US Space Agency NASA) ने 50 साल बाद चंद्रमा पर अपना मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है. अर्टेमिस-1 (Artemis-1) मिशन नासा के मंगल मिशन के बाद सबसे जरूरी मिशन है. नासा इस रॉकेट के जरिए चंद्रमा पर ओरियन स्पेसशिप (Orion Spaceship) भेज रहा है. यह स्पेसशिप 42 दिनों में चंद्रमा की यात्रा करके वापस आएगा. जानिए इस मिशन की सभी महत्वपूर्ण बातें...

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क्या है अर्टेमिस-1 मिशन (What is Artemis-1 Mission)

  • कहां से लॉन्च होगा यानी लॉन्च साइट (Launch Site): फ्लोरिडा स्थित नासा के केनेडी स्पेस सेंटर का लॉन्च पैड 39बी. 
  • मिशन का समय: 42 दिन, 3 घंटे और 20 मिनट.
  • गंतव्य: चंद्रमा के बाहर की रेट्रोग्रेड कक्षा.
  • कितने किलोमीटर यात्रा: 21 लाख किलोमीटर
  • वापस लैंडिंग की जगहः सैन डिएगो के आसपास प्रशांत महासागर में
  • लौटते समय ओरियन की गति: 40 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा

NASA Artemis-1 Mission

कौन सा स्पेसशिप जा रहा है चंद्रमा पर (Which Spacecraft is going to Moon)

ओरियन स्पेसशिप (Orion Spaceship) दुनिया के सबसे ताकतवर और बड़े रॉकेट के ऊपरी हिस्से में रहेगा. यह स्पेसक्राफ्ट इंसानों की स्पेस यात्रा के लिए बनाया गया है. यह वह दूरी तय कर सकता है, जो आज तक किसी स्पेसशिप ने नहीं की है. ओरियन स्पेसशिप सबसे पहले धरती से चंद्रमा तक 4.50 लाख KM की यात्रा करेगा. उसके बाद चंद्रमा के अंधेरे वाले हिस्से की तरफ 64 हजार KM दूर जाएगा. ओरियन स्पेसशिप बिना इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जुड़े इतनी लंबी यात्रा करने वाला पहला अंतरिक्षयान होगा.  

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NASA Artemis-1 Mission
चंद्रमा के अंधेरे वाले हिस्से की तरफ जाएगा ओरियन स्पेसशिप. (फोटोः NASA)

क्यों जरूरी है अर्टेमिस-1 मिशन (Why Artemis-1 Mission is Important)

अर्टेमिस-1 मिशन के दौरान ओरियन और SLS रॉकेट चंद्रमा तक जाकर और धरती पर वापस आएंगे. इस दौरान दोनों ही अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करेंगे. यह भविष्य में होने वाले मून मिशन से पहले का लिटमस टेस्ट है. अगर यह सफल होता है तो साल 2025 तक अर्टेमिस मिशन के तरह पहली बार चंद्रमा पर एस्ट्रोनॉट को भेजा जाएगा. अर्टेमिस-1 मिशन के बाद ही नासा वैज्ञानिक चंद्रमा तक जाने के लिए अन्य जरूरी तकनीकों को डेवलप करेंगे. ताकि चंद्रमा से आगे मंगल तक की यात्रा भी हो सके. 

NASA Artemis-1 Mission
SLS रॉकेट दुनिया का सबसे बड़ा रॉकेट है, जो लंबी अंतरिक्ष यात्रा के लिए बनाया गया है. (फोटोः एपी)

दुनिया का सबसे बड़ा रॉकेट है SLS (World's Biggest Rocket)

NASA के केनेडी स्पेस स्टेशन पर SLS रॉकेट और ओरियन को लॉन्च पैड 39बी से छोड़ा जाएगा. यह लॉन्च पैड अत्याधुनिक है. इस रॉकेट को पांच सेगमेंट वाले बूस्टर्स से लॉन्च किया जाएगा. जिनमें से चार में RS-25 इंजन लगे हैं. ये इंजन बेहद आधुनिक और ताकतवर हैं. ये 90 सेकेंड में वायुमंडल के ऊपर पहुंच जाएंगे. सॉलिड बूस्टर्स दो मिनट से पहले ही अलग हो जाएंगे. इसके बाद RS-25 इंजन करीब 8 मिनट बाद अलग होगा. फिर सर्विस मॉड्यूल और स्पेसशिप को उसके बूस्टर्स अंतरिक्ष में आगे की यात्रा के लिए एक जरूरी गति देकर छोड़ देंगे. 

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NASA Artemis-1 Mission
ये है ओरियन स्पेसशिप, जिसके सर्विस मॉड्यूल को यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने बनाया है. (फोटोः NASA)

यूरोपियन स्पेस एजेंसी भी मिशन में शामिल (ESA is involved in Artemis-1 Mission)

ओरियन स्पेसशिप सर्विस मॉड्यूल के साथ क्रायोजेनिक प्रोपल्शन स्टेज (ICPS) से लॉन्च के दो घंटे बाद अलग होगा. इसके बाद ICPS दस छोटे सैटेलाइट्स यानी क्यूबसैट्स (CubeSats) को अंतरिक्ष में तैनात करेगा. ये सैटेलाइट्स इस मिशन के दौरान ओरियन की यात्रा और सुदूर अंतरिक्ष की गतिविधियों पर नजर रखेंगे. सर्विस मॉड्यूल को यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने बनाया है. मॉड्यूल ही ओरियन का मुख्य प्रोपल्शन सिस्टम है.  

चंद्रमा पर कैसे यात्रा करेगा ओरियन (Orion's Moon Orbit)

ओरियन चंद्रमा के सबसे नजदीक 97 KM और सबसे दूर 64 हजार KM की यात्रा करेगा. चंद्रमा पर यह अंडाकार ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा. पहली बार इंसानों द्वारा इंसानों के लिए बनाया गया कोई स्पेसशिप अंतरिक्ष में इतनी दूर जाएगा. ओरियन चंद्रमा का दूसरा चक्कर लगाने के बाद अपने इंजन को ऑन करेगा. उसकी ग्रैविटी से बाहर निकल कर धरती की तरफ यात्रा करेगा.  

इन तीन मुख्य पैराशूट की मदद से धरती पर लौटेगा ओरियन स्पेसक्राफ्ट. (फोटोः NASA)
इन तीन मुख्य पैराशूट की मदद से धरती पर लौटेगा ओरियन स्पेसक्राफ्ट. (फोटोः NASA)

कितनी गति से लौटेगा ओरियन स्पेसशिप (Orion's Spaceship Return Speed)

ओरियन के धरती पर लौटते ही मिशन खत्म हो जाएगा. धरती पर लौटने से पहले उसकी गति 40 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा होगी. वायुमंडल में आते ही गति 480 किलोमीटर प्रतिघंटा हो जाएगी. उस समय इसे करीब 2800 डिग्री सेल्सियस का तापमान बर्दाश्त करना होगा. यहां पर उसके हीटशील्ड की जांच होगी. समुद्र से 25 हजार फीट ऊपर स्पेसक्राफ्ट के दो पैराशूट खुलेंगे. तब इसकी स्पीड कम होकर 160 किलोमीटर प्रतिघंटा हो जाएगी. इसके थोड़ी देर बाद इसके मुख्य तीन पैराशूट खुल जाएंगे. फिर इसकी गति 32 किलोमीटर प्रतिघंटा हो जाएगी. तब यह सैन डिएगो के पास प्रशांत महासागर में लैंड करेगा. 

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लैंडिंग के बाद कैसे होगी रिकवरी (Orion's Splashdown Recovery)

NASA के एक्सप्लोरेशन ग्राउंड सिस्टम की लैंडिंग और रिकवरी टीम प्रशांत महासागर में पहले से तैनात रहेगी. वह ओरियन की लैंडिंग के बाद उसे उठाकर नौसेना के एंफिबियस पोत पर रखेगी. नौसेना के गोताखोर और अन्य इंजीनियर स्पेसक्राफ्ट को बांधकर पोत पर रखेंगे. उसे वापस लेकर केनेडी स्पेस स्टेशन तक जाएंगे. फिर स्पेसशिप की कायदे से जांच-पड़ताल होगी.   

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