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अंतरिक्ष की दुनिया का नया दरवाजा खुला, जानिए NASA के DART Mission के बारे में सबकुछ

NASA ने सफलतापूर्वक डाइमॉरफोस एस्टेरॉयड पर अपना स्पेसक्राफ्ट टकरा दिया है. मकसद था भविष्य में पृथ्वी को ऐसे खतरनाक एस्टेरॉयड्स से बचाना. लेकिन इसके पीछे का साइंस क्या है? यह मिशन कितना जरूरी था? एस्टेरॉयड का आकार कितना था? क्या ये एस्टेरॉयड धरती से टकराने वाला था? क्या फिर ऐसे मिशन होंगे?

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डाइमॉरफोस एस्टेरॉयड से टकराने से ठीक पहले स्पेसक्राफ्ट के कैमरे ने लीं ये तस्वीरें. (फोटोः NASA)
डाइमॉरफोस एस्टेरॉयड से टकराने से ठीक पहले स्पेसक्राफ्ट के कैमरे ने लीं ये तस्वीरें. (फोटोः NASA)

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने भारतीय समयानुसार 27 सितंबर 2022 की सुबह 4.45 बजे एस्टेरॉयड की दिशा बदलने वाले मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया. उसने अपने डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट (Double Asteroid Redirection Test - DART) मिशन के स्पेसक्राफ्ट को डिडिमोस (Didymos) एस्टेरॉयड के चारों तरफ घूम रहे छोटे एस्टेरॉयड डाइमॉरफोस (Dimorphos) से टकरा दिया. यानी भविष्य में अगर कोई एस्टेरॉयड पृथ्वी के लिए खतरा बनता है तो काफी पहले ही उसकी दिशा बदली जा सकती है. 

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NASA के Dart Mission ने सफलतापूर्वक डिडिमोस एस्टेरॉयड के चंद्रमा डाइमॉरफोस से टक्कर की. (फोटोः NASA)
NASA के Dart Mission ने सफलतापूर्वक डिडिमोस एस्टेरॉयड के चंद्रमा डाइमॉरफोस से टक्कर की. (फोटोः NASA)

डिडिमोस और उसका छोटा भाई डाइमॉरफोस से धरती को कोई खतरा नहीं था. 10 महीने पहले डार्ट मिशन को लॉन्च किया गया था. इतने दिन की लंबी यात्रा करने के बाद पृथ्वी से कोई 1.10 करोड़ किलोमीटर दूर डाइमॉरफोस से DART टकराया. मिशल सक्सेसफुल था. अब नासा के वैज्ञानिक इस बात की गणना में लग गए हैं कि इस टक्कर से क्या डाइमॉरफोस की दिशा बदली या नहीं. कुछ दिन बाद इसके आंकड़े भी सामने आ जाएंगे. लेकिन पहले ये जानते हैं कि इस मिशन के पीछे का साइंस क्या है? इसने ये काम इतनी सफलतापूर्वक कैसे किया? 

सबसे पहले यह जान लेते हैं कि यह मिशन इतना जरूरी क्यों था? ...  आमतौर पर ज्यादातर एस्टेरॉयड्स और धूमकेतु (Comets) खतरनाक नहीं होते. न कभी भविष्य में होंगे. लेकिन इन्हें संभावित खतरे में गिना जाता है. जिसे पोटेंशियली हजार्ड्स ऑब्जेक्ट्स (PHO) कहते हैं. अगर ये 100 से 165 फीट व्यास या इससे बड़े हैं और सूरज की कक्षा में चक्कर लगा रहे हैं. इनकी दूरी धरती से 80 लाख किलोमीटर तक है तो नासा और दुनिया भर के वैज्ञानिक इन पर धरती और अंतरिक्ष में मौजूद टेलिस्कोप की मदद से नजर रखते हैं. 

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ये है डाइमॉरफोस की तस्वीर, जब DART Mission स्पेसक्राफ्ट उससे 1100 किलोमीटर दूर था. (फोटोः NASA)
ये है डाइमॉरफोस की तस्वीर, जब DART Mission स्पेसक्राफ्ट उससे 1100 किलोमीटर दूर था. (फोटोः NASA)

इन एस्टेरॉयड्स को नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स (NEO's) कहते हैं. इन पर नासा का सेंटर फॉर नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स स्टडीज (CNEOS) स्टडी करता रहता है. इस सेंटर के साथ-साथ दुनियाभर भर के साइंटिस्ट्स आसमान पर टकटकी लगाए यह देखते रहते हैं कि कहीं कोई बड़ा पत्थर पृथ्वी की दिशा में तो नहीं आ रहा है. जो खतरा बन सकता हो. इसलिए ऐसे एस्टेरॉयड को रोकने या उनकी दिशा बदलने के लिए नासा ने यह मिशन किया था. जिसने सफलता हासिल कर ली है. अब इस तकनीक की मदद से आगे भी एस्टेरॉयड्स की दिशा बदली जा सकेगी. 

स्पेसक्राफ्ट, डाइमॉरफोस और डिडिमोस का आकार कितना है?

डार्ट मिशन (DART Mission) स्पेसक्राफ्ट की लंबाई 19 मीटर थी. यानी एक सामान्य बस से पांच मीटर ज्यादा. जबकि स्पेसक्राफ्ट जिस छोटे एस्टेरॉयड डाइमॉरफोस (Dimorphos) से टकराया है, वह स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग दोगुना बड़ा है. स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की लंबाई 93 मीटर है. जबकि डाइमॉरफोस 163 मीटर है. यानी डेढ़ फुटबॉल मैदान की लंबाई के बराबर. अब अगर बात करें डिडिमोस (Didymos) एस्टेरॉयड के आकार की तो यह 780 मीटर का है. यानी 830 मीटर ऊंचे बुर्ज खलीफा से 50 मीटर छोटा. 

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DART Mission स्पेसक्राफ्ट, डाइमॉरफोस और डिडिमोस का आकार आप इस तस्वीर में देख सकते हैं. (फोटोः NASA)
DART Mission स्पेसक्राफ्ट, डाइमॉरफोस और डिडिमोस का आकार आप इस तस्वीर में देख सकते हैं. (फोटोः NASA)

डाइमॉरफोस (Dimorphos) अपने बड़े भाई यानी डिडिमोस के चारों तरफ एक चक्कर 11 घंटे 55 मिनट में लगाता है. क्योंकि ये एक डबल एस्टेरॉयड सिस्टम है. डिडिमोस का मतलब ग्रीक भाषा में जुड़वा होता है. नासा वैज्ञानिकों को यह पता था कि इन दोनों एस्टेरॉयड्स से पृथ्वी को कोई खतरा नहीं है. इसलिए इन पर डार्ट मिशन का परीक्षण करना सबसे ज्यादा सटीक रहेगा. इनकी दूरी भी ठीक-ठाक थी. यानी 1.10 करोड़ किलोमीटर. अगर टक्कर के बाद डाइमॉरफोस की दिशा और ऑर्बिट में बदलाव होता है तो भी धरती को इससे किसी तरह का खतरा नहीं पैदा होगा. 

क्या हुआ DART Mission की टक्कर के दौरान?

डार्ट मिशन 27 सितंबर 2022 की सुबह 4.43 मिनट पर डाइमॉरफोस से 1100 किलोमीटर की दूरी पर था. दो मिनट यह इससे टकराया. डाइमॉरफोस का जवन करीब 500 करोड़ किलोग्राम है. जबकि डार्ट मिशन स्पेसक्राफ्ट का वजन मात्र 550 किलोग्राम है. लेकिन वह 22 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से डाइमॉरफोस से टकराया. अब आप पूछेंगे कि इतना हल्का स्पेसक्राफ्ट इतने बड़े पत्थर को कैसे हिला सकता है? 

डाइमॉरफोस की सतह से टकराने से एक सेकेंड पहले की तस्वीर. देखिए डाइमॉरफोस एस्टेरॉयड कितना पथरीला है. (फोटोः NASA)
डाइमॉरफोस की सतह से टकराने से एक सेकेंड पहले की तस्वीर. देखिए डाइमॉरफोस एस्टेरॉयड कितना पथरीला है. (फोटोः NASA)

यहीं पर नासा के वैज्ञानिकों ने नई तकनीक का उपयोग किया. यह है काइनेटिक इम्पैक्टर (Kinetic Impactor). यानी टक्कर के बाद स्पेसक्राफ्ट की काइनेटिक एनर्जी और गति से डाइमॉरफोस की गति में अंतर आएगा. उसकी दिशा में बदलाव होगा. ये बात तो सदियों पहले न्यूटन अपने Law of Motion में कह गए थे. स्पेसक्राफ्ट 6.1 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से जा रहा था. इस गति टकराने की वजह से डाइमॉरफोस की दिशा में 0.5 फीसदी का अंतर आ सकता है. ये छोटा सा अंतर अंतरिक्ष में बड़ा बदलाव कर सकता है. यानी दिशा और गति बदल सकता है. 

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टक्कर के बाद क्या हुआ होगा, जिसका डेटा आना बाकी है?

नासा वैज्ञानिकों ने गणना की है कि डाइमॉरफोस (Dimorphos) पर डार्ट मिशन टकराने के बाद एक गड्ढा बना होगा. जिससे 10 बिलियन जूल्स काइनेटिक ऊर्जा निकली होगी. गड्ढा बनने के बाद उस पत्थर में टूट-फूट हुई होगी. स्पेसक्राफ्ट भी चकनाचूर हो गया होगा. इससे कितना मलबा अंतरिक्ष में निकला इसकी जानकारी कुछ दिन बाद मिलेगी. लेकिन यह माना जा रहा है कि स्पेसक्राफ्ट के वजन से 10 से 100 गुना ज्यादा वजनी मलबा डाइमॉरफोस से निकला होगा. यानी यहां पर न्यूटन की तीसरा नियम लागू होता है. क्योंकि टक्कर के बाद विपरीत दिशा में बराबर ताकत में ऊर्जा और मलबा निकला. 

टक्कर से चार घंटे पहले डिडिमोस और डाइमॉरफोस को इस तरह देख रहा था DART Mission स्पेसक्राफ्ट. (फोटोः NASA)
टक्कर से चार घंटे पहले डिडिमोस और डाइमॉरफोस को इस तरह देख रहा था DART Mission स्पेसक्राफ्ट. (फोटोः NASA)

क्या थी DART Mission की सबसे बड़ी चुनौती?

डार्ट मिशन पर काम कर रहे वैज्ञानिकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी करोड़ों किलोमीटर दूर स्थित छोटे से एस्टेरॉयड डाइमॉरफोस पर स्पेसक्राफ्ट को सटीकता से टकराना. इस समस्या के समाधान के लिए नासा ने स्पेसक्राफ्ट में सामने की तरफ DRACO Camera लगाया गया था. इसमें ऑटोमैटिक नैविगेशन सिस्टम SMART Nav लगा था. जो धरती पर बैठे इंजीनियर्स को इसकी दिशा और गति बदलने में मदद कर रहा था. टक्कर से चार घंटे पहले कैमरे ने डाइमॉरफोस की फोटो ली. तत्काल नेविगेशन सिस्टम से मिली सूचना के आधार पर इसे उसी तरफ घुमा दिया गया. साथ ही यह भी देखा गया कि क्या स्पेसक्राफ्ट सीधे छोटे वाले एस्टेरॉयड यानी डाइमॉरफोस की तरफ जा रहा है या नहीं. 

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NASA DART Mission: एस्टेरॉयड से टकराया नासा का स्पेसक्राफ्ट, देखें ये LIVE वीडियो

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