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नासा का VIPER मून रोवर 80% तैयार, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर खोजेगा बर्फ

चांद पर एक और मिशन जाने की तैयारी में है. नासा का वाइपर मून रोवर 80 फीसदी तैयार हो चुका है. इस साल के अंत तक इस रोवर को नासा चंद्रमा पर भेजेगा. यह रोवर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ की खोज करेगा.

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नासा का वाइपर रोवर चांद के साउथ पोल पर जाकर बर्फ और तापमान से संबंधित डेटा जमा करेगा.  (सभी फोटोः NASA)
नासा का वाइपर रोवर चांद के साउथ पोल पर जाकर बर्फ और तापमान से संबंधित डेटा जमा करेगा. (सभी फोटोः NASA)

NASA का वाइपर (Volatiles Investigating Polar Exploration Rover - VIPER) के सारे फ्लाइट्स इंस्ट्रूमेंट्स तैयार हो चुके हैं. रोवर 80 फीसदी तैयार है. नासा इस साल के अंत तक इसे चंद्रमा पर भेजेगा. वाइपर प्रोजेक्ट मैनेजर डैन एंड्र्यूस ने कहा कि वाइपर का काम तेजी से पूरा हो रहा है. 

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वाइपर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भेजा जाएगा. VIPER को नासा के एम्स रिसर्च सेंटर ने बनाया है. यह रोवर 430 Kg का है. करीब 8 फीट ऊंचा, 5 लंबा और पांच फीट चौड़ा है. लॉन्चिंग Elon Musk की स्पेस कंपनी SpaceX के फॉल्कन हैवी रॉकेट से होगी. 

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NASA Viper Moon Rover

लॉन्चिंग के लिए केनेडी स्पेस सेंटर को चुना गया है. इसमें चार यंत्र लगे होंगे जो अलग-अलग तरह की चीजों का अध्ययन करेंगे. ये हैं- न्यूट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर सिस्टम (NSS), नीयर इंफ्रारेड वोलाटाइल्स स्पेक्ट्रोमीटर सिस्टम (NIRVSS), द रिगोलिथ एंड आइस ड्रिल फॉर एक्प्लोरिंग न्यू टरेन (TRIDENT) और मास स्पेक्ट्रोमीटर ऑब्जरविंग ऑपरेशंस (MSolo). 

गोल्फ कार्ट के आकार का रोवर है वाइपर

वाइपर रोवर एक गोल्फ कार्ट के आकार का है. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कम से कम 100 दिन काम करेगा. यानी यह चांद के तीन दिन और तीन रात की साइकिल कवर करेगा. इसमें जो यंत्र हैं, उसमें तीन स्पेक्ट्रोमीटर हैं. जबकि एक 3.28 फीट लंबा ड्रिलिंग आर्म है. 

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NASA Viper Moon Rover

20 km के इलाके में करेगा जांच-पड़ताल

इसकी बैटरी सोलर पैनल के जरिए चार्ज होगी. जिसकी अधिकतम क्षमता 450 वॉट होगी. यह 720 मीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चांद की सतह पर चल पाएगा. यह नासा के डीप स्पेस नेटवर्क से एक्स-बैंड डायरेक्ट टू अर्थ के जरिए संपर्क करेगा. यह अधिकतम 20 किलोमीटर के इलाके में चक्कर लगाएगा. 

तापमान और बर्फ को लेकर होगी रिसर्च

यह चांद की सतह के नीचे मौजूद बर्फ का पता लगाएगा. ताकि भविष्य में इंसानों की बस्ती बसाने में आसानी हो. यह पता करेगा कि क्या चांद पर पानी मौजूद है. यह वहां पर तापमान भी बर्दाश्त करेगा. हालांकि चांद पर इस प्रोजेक्ट को भेजने का फायदा ये है कि वहां रेडियो कमांड जल्दी और आसानी से पहुंच जाता है. 

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