हमारे सौर मंडल के बाहर एक ऐसा ग्रह मिला है, जिसके वायुमंडल में कार्बन डाईऑक्साइड (Carbon Dioxide - CO2) है. इस ग्रह को जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (James Webb Space Telescope - JWST) ने खोजा है. यह ग्रह एक गैस जायंट है. जो हमारे सूरज जैसे तारे के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है. इस खोज को Nature जर्नल में प्रकाशित होने के लिए भेजा गया है.
वैज्ञानिकों ने कार्बन डाईऑक्साइड वाले इस ग्रह को WASP-39b नाम दिया है. इसका वजन हमारे बृहस्पति ग्रह का एक चौथाई है. लेकिन व्यास बृहस्पति ग्रह से 1.3 गुना ज्यादा है. यहां पर तापमान करीब 900 डिग्री सेल्सियस है. यह ग्रह अपने तारे के बेहद करीब चक्कर लगा रहा है. यानी हमारे सौर मंडल में बुध और सूरज की दूरी का 8वां हिस्सा. यह ग्रह अपने तारे के चारों तरफ चार दिन में एक चक्कर लगाता है. यानी इसका एक चक्कर धरती के चार दिन के बराबर होता है.
इस ग्रह को वैसे तो साल 2011 में खोज लिया गया था. लेकिन अब इसकी तस्वीर सामने आई है. 11 साल पहले हुई खोज धरती पर मौजूद रेडियो टेलिस्कोपों की मदद से की गई थी. इसके अलावा इसकी धुंधली तस्वीरें हबल और स्पिट्जर स्पेस टेलिस्कोप ने ली थी. जिससे पता चला था कि इसके वायुमंडल में भाप, सोडियम और पोटैशियम भी मौजूद हैं. जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप की इंफ्रारेड इमेजिंग इतनी ताकतवर है कि वह ज्यादा बेहतरीन तस्वीर ले पाया.
गैसों की खासियत होती है कि वो खास प्रकार के रंगों को सोखते हैं. इन रंगों की एनालिसिस करने से पता चलता है कि किस ग्रह पर कौन सी गैस ज्यादा या कम है. WASP-39b पर मौजूद कार्बन डाईऑक्साइड की पहचान जेम्स वेब के नीयर-इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोग्राफ (NIRSpec) ने की थी. कार्बन डाईऑक्साइड की मौजूदगी उसके रंगों से हुई जो 4.1 से 4.6 माइक्रोन्स के बीच थी. ऐसा पहली बार हुआ है कि जब हमारे सौर मंडल के बाहर किसी ग्रह पर इस स्तर पर कार्बन डाईऑक्साइड खोजा गया है.
BREAKING NEWS: #NASAWebb ushers in a new era of exoplanet science with the first unequivocal detection of CARBON DIOXIDE in a planetary atmosphere outside our solar system. (1/5) 🧵 pic.twitter.com/wgcNfLgCS8
— Space Telescope Science Institute (@SpaceTelescope) August 25, 2022
JWST ट्रांसिजिटिंग एक्सोप्लैनेट कम्यूनिटी के सदस्य और जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के ग्रैजुएट जफर रुस्तमकुलोव ने बताया कि जैसे ही मेरी स्क्रीन पर डेटा आया. मैं हैरान रह गया क्योंकि इतनी मात्रा में कार्बन डाईऑक्साइड का होना एक बड़ी खोज थी. अब तक किसी भी स्पेस ऑब्जरवेटरी ने इस स्तर पर इस गैस की खोज नहीं की थी. CO2 की खोज से पता चलता है कि उस ग्रह का निर्माण कैसे हुआ.