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NASA ने Chandrayaan-3 के लैंडिंग साइट की फोटो क्लिक की, बताई साउथ पोल से दूरी

NASA ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट की फोटो क्लिक की है. उसे फिर जारी भी किया. यह तस्वीर अमेरिकी स्पेस एजेंसी के लूनर रीकॉन्सेंस ऑर्बिटर (LRO) ने ली है. आप भी देखिए कि इस तस्वीर में विक्रम लैंडर के उतरने वाली जगह को कैसे चौकोर घेरे में कवर करके दिखाया गया है.

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ये है वो तस्वीर जो NASA ने जारी की है. इसमें चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट को दिखाया गया है. (फोटोः NASA)
ये है वो तस्वीर जो NASA ने जारी की है. इसमें चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट को दिखाया गया है. (फोटोः NASA)

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने Chandrayaan-3 की तस्वीर ली है. फोटो उस जगह की है जहां पर चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर उतरा था. तस्वीर में लैंडिंग साइट को घेर कर दिखाया गया है. लैंडिंग साइट के बगल में मैनजिनस क्रेटर दिख रहा है. मैनजिनस सी क्रेटर भी दिख रहा है. इस तस्वीर में लैंडर के चारों तरफ 1738 मीटर का इलाका दिख रहा है. 

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नासा ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि ISRO के चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर 23 अगस्त 2023 को अपने कदम रखे थे. यह जगह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से करीब 600 किलोमीटर दूर है. हमारे LRO यानी लूनर रीकॉन्सेंस ऑर्बिटर में लगे LROC यानी एलआरओ कैमरा ने चंद्रयान-3 के लैंडिंग साइट का ओबलीक व्यू लिया है. 

NASA LRO Chandrayaan-3 Image

ओबलीक व्यू यानी 42 डिग्री स्लिव एंगल. वह भी लैंडिंग के चार दिन बाद. जहां पर विक्रम लैंडर उतरा है, वहां पर चारों तरफ सफेद रंग का हैलो बना दिख रहा है. जो कि लैंडर के इंजनों की वजह से उड़कर हटी धूल है. LRO को नासा का गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर संचालित करता है. 

Vikram Lander अब बिना सूरज की रोशनी के है. वह चांद पर फैले अंधेरे में सो चुका है. लैंडर और प्रज्ञान रोवर के सारे पेलोड्स बंद कर दिए गए हैं. सिर्फ लैंडर का रिसीवर ऑन है, ताकि वह दोबारा से जगाया जा सके. अब चंद्रमा पर उस हिस्से में 14-15 दिन की रात है, जहां पर विक्रम और प्रज्ञान है. 

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NASA LRO
ये है नासा का LRO यानी लूनर रीकॉन्सेंस ऑर्बिटर जो चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहा है. (फोटोः NASA)

अगर ये दोनों वहां के तापमान को बर्दाश्त कर ले गए. तो शायद वापस सूरज के उगने पर एक्टिव हो जाएं. लेकिन इसकी संभावना बेहद कम मानी जा रही है. वैसे क्या आपको पता है कि चंद्रमा पर मौजूद विक्रम लैंडर की धरती से दूरी कितनी है. विक्रम लैंडर धरती से करीब 371,841 किलोमीटर दूर मौजूद है. 

अब अगले 14-15 दिनों तक विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के आसपास रात होगी. तापमान माइनस 250 डिग्री सेल्सियस से और भी नीचे जा सकता है. लैंडर-रोवर अगर ये सर्दी बर्दाश्त कर लेते हैं तो 14-15 दिन बाद सूरज उगने पर उनके सोलर पैनल के जरिए चार्ज हो सकते हैं. 

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