NASA के रोवर पर्सिवरेंस ने मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन पैदा कर लिया है. उसके यंत्र मॉक्सी (MOXIE) ने 122 ग्राम ऑक्सीजन जेनरेट की है. यह इतनी ऑक्सीजन है कि छोटा कुत्ता दस घंटे तक सांस ले सकता है. मॉक्सी का पूरा नाम है मार्स ऑक्सीजन इन-सीटू रेस्पॉन्स यूटिलाइजेशन एक्सपेरिमेंट.
मॉक्सी को नासा के मार्स पर्सिवरेंस रोवर (Mars Perseverance Rover) में लगाकर साल 2019 में मंगल ग्रह पर भेजा गया था. यह साल 2021 में मंगल की सतह पर उतरा था. तब से अब तक इसने कई 16 बार ऑक्सीजन जेनरेट किया है. सवाल ये उठता है कहां से. तो इस यंत्र ने मंगल ग्रह के वायुमंडल से ऑक्सीजन को जमा किया है.
अब नासा को यह उम्मीद हो गई है कि जब मंगल ग्रह पर पहले एस्ट्रोनॉट्स जाएंगे, तब उन्हें ऑक्सीजन की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा. उसके पहले कई मिशन भेजकर मॉक्सी या उसके जैसे यंत्रों से पहले ही ऑक्सीजन बनाकर स्टोर कर लिया जाएगा. मॉक्सी एक ओवन के आकार का यंत्र है.
MIT के इंजीनियर्स में बनाया था मॉक्सी को
इस यंत्र को मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) ने बनाया है. नासा के डिप्टी एडमिनिस्ट्रेटर पैम मेल रॉय ने कहा कि मॉक्सी ने गजब का काम किया है. उम्मीद से बहुत बेहतर. यह बात भी पुख्ता हो गई है कि मंगल ग्रह के वायुमंडल से ऑक्सीजन निकाली जा सकती है. इससे हम भविष्य में एस्ट्रोनॉट्स को सांस दे सकते हैं, या फिर रॉकेट में प्रोपेलेंट के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं.
2 साल में 16 बार पैदा किया ऑक्सीजन
पिछले दो साल में मॉक्सी ने 16 बार ऑक्सीजन पैदा किया है. मॉक्सी हर घंटे 12 ग्राम ऑक्सीजन पैदा करने की क्षमता रखता है. जबकि नासा को इसके आधे की उम्मीद थी. हैरानी इस बात की है, जो ऑक्सीजन इसने पैदा किया है, वह 98 फीसदी शुद्ध है. आखिरी बार यानी 16वीं बार 7 अगस्त 2023 को उसने 9.8 ग्राम ऑक्सीजन पैदा किया.
भविष्य के कई मिशन में मिलेगी मदद
नासा हेडक्वार्टर में स्पेस टेक्नोलॉजी के मिशन डायरेक्टोरेट के डायरेक्टर ट्रूडी कोर्टेस ने कहा कि मॉक्सी ने मंगल ग्रह पर पूरा एक साल बिता लिया है. उसने वहां के बुरे मौसम को भी बर्दाश्त कर लिया है. लेकिन इसने जो तकनीकी नॉलेज वैज्ञानिकों को दिए हैं, वो भविष्य में काम आने वाले हैं. यानी हम मंगल ग्रह पर मौजूद स्रोतों का इस्तेमाल करके भविष्य के मिशन को पूरा कर सकते हैं. धरती से संसाधन ले जाना बेहद महंगा पड़ेगा.
मॉक्सी भविष्य में बनेगा इंसानों की संजीवनी
मॉक्सी को भविष्य के स्पेस मिशन के हिसाब से बनाया गया था. यह भविष्य में चंद्रमा और मंगल ग्रह पर भेजे जाने वाले इंसानों के लिए संजीवनी बनेगा. अगर यह ऑक्सीजन पैदा करता रहा तो एस्ट्रोनॉट मंगल पर ज्यादा समय बिता पाएंगे. ज्यादा एक्सपेरिमेंट कर पाएंगे. इसे बनाने वाले इंजीनियर्स ने हैरान करने वाला खुलासा किया है.
नया वर्जन बनाया जाएगा मॉक्सी का
इसे बनाने वाले इंजीनियर्स का दावा है कि वो अब मॉक्सी का रिफाइन्ड वर्जन बनाएंगे. जिसमें खास तरह के ऑक्सीजन जेनरेटर लगे होंगे. यह मॉक्सी से आकार में कई गुना बड़ा होगा. ताकतवर होगा. ताकि ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन बना पाए. पर्सिवरेंस रोवर को मंगल पर भेजने का मकसद ही एस्ट्रोबायोलॉजी की स्टडी करना था.
✅ Mission successful!@NASA's oxygen-generating MOXIE experiment has produced oxygen on Mars for the 16th and final time aboard @NASAPersevere. MOXIE has proved to be a viable technology for astronauts on Mars to generate oxygen for fuel and breathing: https://t.co/5GzKajoI0k pic.twitter.com/sm6VcRRnK9
— NASA 360 (@NASA360) September 10, 2023
आगे क्या होने वाला है?
NASA अब यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) की मदद से एक खास तरह के स्पेसक्राफ्ट मंगल ग्रह पर भेजने वाला है. यह स्पेसक्राफ्ट मंगल से उन सील्ड सैंपल को लेकर धरती पर आएगा, जिसमें ऑक्सीजन कैद है. कई तरह की मिट्टियों और पत्थरों के सैंपल हैं.