अंतरिक्ष में एक ऐसा एस्टेरॉयड घूम रहा है, जिसकी कीमत का अगर अंदाज़ा लगाया जाए, तो वह करीब 700 क्विंटिलियन डॉलर यानी 700,000,000,000,000,000,000 डॉलर, यानी इतना कि आप गिन नहीं सकते. लेकिन नासा अगर इस एस्टेरॉयड को लेकर इसे दुनिया के हर व्यक्ति को बांट दे, तो हर किसी को करीब 7.60 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे.
हां, ये सुनने में बहुत अच्छा लगता है, लेकिन दुख यही है कि नासा का ऐसा करने का कोई विचार नहीं है. हालांकि, नासा इस ऐस्टेरॉयड पर जाने की योजना ज़रूर बना रहा है. पहले आपको बता दें कि इतना कीमती एस्टेरॉयड आखिर है कौन और नासा के लिए ये इतना खास क्यों है कि वो यहीं पहुंचने के लिए इतनी मेहनत कर रहा है.
इस एस्टेरॉयड का नाम है 16 साइकी (16 Psyche), जिसे 1852 में इटली के एस्ट्रोनॉमर एनीबेल डी गैस्परिस (Annibale de Gasparis) द्वारा खोजा गया था. नासा 16 Psyche के बारे में और ज़्यादा जानकारी जुटाने अब इस एस्टेरॉयड पर जाने की योजना बना रहा है.
16 Psyche, 226 किलोमीटर चौड़ा है और यह निकल और सिलिका से बना है. अगर इसमें मौजूद इन धातुओं को बेचा जाए तो हर शख्स अरबपति हो जाएगा. लेकिन नासा इसके कीमती होने की वजह से वहां जाने की योजना नहीं बना रहा, बल्कि वो इस एस्टेरॉयड के कंपोज़ीशन (Composition) की तुलना पृथ्वी से करना चाहते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि चूंकि इसकी संरचना पृथ्वी से काफी मिलती-जुलती है, इसलिए हमें इस बारे में और जानकारी मिल सकती है कि हमारी पृथ्वी का कोर किस तरह काम करता है. साथ ही, हम यह भी और करीब से जान पाएंगे कि ग्रहों का निर्माण कैसे होता है.
इसकी कीमत को ध्यान में रखते हुए, कुछ कंपनियां सामने आई हैं, जो स्पेस माइनिंग के इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण की तरफ ध्यान दे रही हैं. यूरोसन माइनिंग (EuroSun Mining) जैसी कंपनियां स्पेस इकोनॉमी की तरफ रुचि ले रही हैं. मॉर्गन स्टेनली (Morgan Stanley) के मुताबिक आज स्पेस इकोनॉमी 35000 करोड़ डॉलर की है जो 2040 तक बढ़कर 2.7 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी.
16 Psyche पर जाने के लिए अगस्त 2022 में साइकी स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किए जाने की योजना थी, लेकिन तकनीकी समस्याओं की वजह से ये पिछले साल लॉन्च नहीं हो पाया. लेकिन नासा ने साइकी मिशन को 10 अक्टूबर, 2023 को लॉन्च करने का फैसला किया है. यह स्पेसक्राफ्ट अगस्त 2029 में इस एस्टेरॉयड पर पहुंच जाएगा.
नासा के साइकी एस्टेरॉयड एक्सप्लोरर मिशन (Psyche Asteroid Explorer Mission) को अमेरिका की सरकार की तरफ ग्रीन सिग्नल मिल चुका है. नासा के साइकी स्पेसक्राफ्ट का क्रिटकिल डिजाइन स्टेज पूरा हो चुका है. इस स्पेसक्राफ्ट में सोलर-इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम होगा, तीन साइंस इंस्ट्रूमेंट्स होंगे, इलेक्ट्रॉनिक्स और पावर सब सिस्टम लगाया जाएगा. NASA के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) से इस स्पेसक्राफ्ट की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी.
If NASA catches this asteroid everyone on Earth would get $93bhttps://t.co/Pqyoamdp9K
— Amazing Astronomy (@MAstronomers) January 16, 2023
एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और साइकी मिशन की प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर लिंडी एलकिंस टैनटन ने बताया कि एस्टेरॉयड 16 साइकी मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच घूम रहे एस्टेरॉयड बेल्ट में है. एस्टेरॉयड 16 साइकी हमारे सूरज के चारों तरफ एक चक्कर पांच साल में लगाता है. इसका एक दिन 4.196 घंटे का होता है. इसका वजन धरती के चंद्रमा के वजन का करीब 1 फीसदी ही है. NASA का साइकी स्पेसक्राफ्ट मैग्नेटोमीटर के इस्तेमाल से 16 साइकी की चुंबकीय शक्ति और उसके कोर का पता लगाएगा.