नासा के वैज्ञानिकों ने ऐसा 'बाहरी चंद्रमा' खोजा है, जो किसी नरक से कम नहीं है. यह पहला आधिकारिक एक्सोमून भी हो सकता है. हैरानी इस बात की है कि धातु से बने इस चंद्रमा की सतह पर गर्म लावा बह रहा है. इसकी सतह से जहरीली गैसों का फव्वारा निकल रहा है. साथ ही ये अपने आसपास कड़कती हुई बिजलियां पैदा कर रहा है.
ज्वालामुखी की तरह फट रहे इस चंद्रमा की मौत जल्द होने वाली है. यह जिस WASP-49b ग्रह का चक्कर लगा रहा है, वह भी अलग एलियन दुनिया है. वह ग्रह और उसका तारा दोनों धधक रहे हैं. यह चंद्रमा अपने ग्रह और तारे के बीच में है. इसलिए दोनों तरफ से गर्मी मिल रही है. इसका जन्म एक धातु के बादल जैसा हुआ होगा.
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अब यह जल्द ही खत्म हो जाएगा. WASP-49b एग्जोप्लैनेट है. यानी बाहरी ग्रह. बाहरी ग्रह उसे कहते हैं जो हमारे सौर मंडल में नहीं है. यह अपने बृहस्पति ग्रह से तीन गुना छोटा और धरती से करीब 635 प्रकाश वर्ष दूर है. इस ग्रह की खोज 2012 में हुई थी. यह अपने तारे का एक चक्कर 2.8 दिन में पूरा कर देता है. तापमान 1100 डिग्री सेल्सियस रहता है.
2017 में खोजा गया था चक्कर लगाता हुआ चंद्रमा
साल 2017 में वैज्ञानिकों ने WASP-49b और उसके तारे के बीच सोडियम का बहुत बड़ा बादल देखा. किसी ग्रह के चारों तरफ किसी तरह का बादल का चक्कर लगाना हैरान करने वाला था. क्योंकि WASP-49b और उसका तारा ये दोनों मिलकर इस तरह के पदार्थ को जन्म नहीं दे सकते थे. बाद में रहस्य से पर्दा हटा. एक चंद्रमा निकल कर आया बाहर. वो लगातार अपनी सतह से लावा उगल रहा है. जिसमें से गर्म सोडियम निकलता है.
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हर सेकेंड 1 लाख Kg सोडियम उगल रहा चंद्रमा
नासा वैज्ञानिक रोसाली लोप्स ने कहा कि यह चंद्रमा हर सेकेंड अंतरिक्ष में 1 लाख किलोग्राम सोडियम उगल रहा है. इतना सोडियम तो WASP-49b ग्रह के अंदर भी नहीं होगा. यह चंद्रमा खुद से सोडियम का बादल बना रहा है. जबकि ये काम आमतौर पर कोई ग्रह या तारा ही करता है. अगर वैज्ञानिकों की टीम कन्फर्म करती है तो WASP-49b का यह लावा उगलता हुआ चंद्रमा सौर मंडल से बाहर पहला एक्सोमून घोषित होगा.