राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (National Space Day) से थोड़ा पहले ISRO ने भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को लेकर एक वीडियो जारी किया. इसमें बताया गया है कि कैसे ये बनेगा. कितने लोग रहेंगे. कैसे बनाया जाएगा. कब तक बनकर तैयार हो जाएगा. फिलहाल क्या स्थिति है.
आप भी यहां नीचे वो वीडियो देखिए और जानिए BAS के बारे में.
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का वजन 52 टन के करीब होगा. यह 27 मीटर लंबा यानी 88.58 फीट और 20 मीटर चौड़ा यानी 65.61 फीट का होगा. भारत के स्पेस स्टेशन में आम तौर पर 3 से 4 एस्ट्रोनॉट्स रहेंगे लेकिन जरूरत पड़ने पर यह अधिकतम 6 एस्ट्रोनॉट्स को रख पाएगा.
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पहले के डिजाइन को बदलकर नया कर दिया गया
पहले इसका वजन 25 टन था. इसमें सिर्फ 3 एस्ट्रोनॉट्स रह सकते थे, वो भी सिर्फ 15 से 20 दिन के लिए. लेकिन नए डिजाइन में स्पेस स्टेशन को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से भी बेहतर बनाया जा रहा है. ISRO चाहता है कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन 2035 से ऑपरेशनल हो जाए.
इस स्पेस स्टेशन में नए प्रकार का यूनिवर्सल डॉकिंग और बर्थिंग सिस्टम लगाया जाएगा. ताकि जरूरत पड़ने पर दूसरे देशों के स्पेसक्राफ्ट इसके साथ जुड़ सकें. रोल आउट सोलर ऐरे (ROSA) होगा. जो जरूरत पड़ने पर फोल्ड किया जा सके. ताकि इसे अंतरिक्ष के कचरे से टकराने से बचाया जा सके.
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कुल मिलाकर 5 मॉड्यूल्स होंगे, अलग-अलग रॉकेट से होंगे लॉन्च
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन में पांच मॉड्यूल्स होंगे. पहला बेस मॉड्यूल ये 3.8 मीटर व्यास और 8 मीटर लंबा, 9186 किलोग्राम वजनी मॉड्यूल होगा. इसके बाद कोर मॉड्यूल होगा. ये 3.8 मीटर व्यास और 9.25 मीटर लंबा, 10033 किलोग्राम वजनी होगा. इन दोनों को LVM-3 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा.
साइंस मॉड्यूल 3.8 मीटर व्यास और 9.25 मीटर लंबा, 10896 किलोग्राम वजनी होगा. लैब मॉड्यूल में इतने ही व्यास और लंबाई का होगा. पर वजन 10646 किलोग्राम होगा. सीबीएम मॉड्यूल भी इतने ही व्यास और लंबाई का होगा लेकिन वजन 10969 किलोग्राम होगा. इन तीनों को LVM3-SC रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा.
400-500 km की ऊंचाई पर लगाएगा चक्कर
स्टेशन पर प्रोपेलेंट रीफ्यूलिंग और सर्विसिंग की व्यवस्था होगी. नए तरह के एवियोनिक्स और कम्यूनिकेशन सिस्टम लगाए जाएंगे. साथ ही इनर्शियल कंट्रोल सिस्टम होगा. यह स्पेस स्टेशन धरती से ऊपर 400 से 500 किलोमीटर के ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा. ऊंचाई में इतना गैप इसलिए रखा गया है ताकि स्पेस में आने वाले पत्थरों, कचरों और उल्कापिंडों से टकराने की नौबत में इसे ऊपर नीचे किया जा सके.
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प्रधानमंत्री मोदी ने 2035 तक का दिया है टारगेट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो साल 2035 तक भारतीय स्पेस स्टेशन बनाने और 2040 तक चांद पर भारतीय एस्ट्रोनॉट को पहुंचाने का लक्ष्य दिया है. इसरो इस समय अमेरिका की प्रमुख स्पेस कंपनियां जैसे- बोईंग, ब्लू ओरिजिन और वॉयजर से भी बातचीत कर रही है. ताकि खास तरह की जरूरतों को इनकी मदद से पूरा किया जा सके. साथ ही भारतीय प्राइवेट स्पेस कंपनियों या एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर सकें.