किसी को देखकर अगर आपका दिल जोर-जोर से धड़कने लगे या हार्टरेट कम ज्यादा हो तो उसका जिम्मेदार दिखने वाला इंसान, वस्तु या नजारा नहीं है. ये सिर्फ एक संदेश है, असल में आपके दिल की धड़कनों को कम या ज्यादा करने की जिम्मेदारी एक कोशिका के पास है, जिसे हाल ही में वैज्ञानिकों ने खोजा है. दिल की इस नई कोशिका के बारे में जल्द ही पता चला है. वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर इस कोशिका के बारे में ज्यादा अध्ययन करेंगे तो दिल संबंधी कई बीमारियों और दिक्कतों को ठीक किया जा सकता है.
इस कोशिका का नाम ग्लियल सेल्स (Glial Cells) है. ये कोशिकाएं एस्ट्रोसाइट्स (Astrocytes) नाम की नर्व सेल्स यानी तंत्रिका कोशिकाओं की मदद करते हैं. ये तंत्रिका कोशिकाएं यानी नर्व सेल्स दिमाग और स्पाइन कॉर्ड में होती हैं. जिन्हें नेक्सस ग्लिया (Nexus Glia) कहते हैं. ग्लियल सेल्स दिल के उस रास्ते में होती हैं, जहां पर खून का बहाव बाहर की तरफ होता है. ज्यादातर जन्म के समय से होने वाली दिल संबंधी दिक्कतें इसी इलाके में होती हैं. इस खोज के बारे में हाल ही में PLOS Biology जर्नल में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है.
सबसे पहले ये कोशिका मछली में मिली, फिर चूहे और अब इंसान में
ग्लियल सेल्स (Glial Cells) की खोज सबसे पहले जेब्राफिश (Zebrafish) में हुई थी. उसके बाद इसे चूहे और इंसान के दिलों में भी खोजा गया. जेब्राफिश पर किए गए प्रयोग के दौरान ग्लियल सेल्स (Glial Cells) को निकाल दिया गया. इससे उसकी दिल की धड़कनें तेज हो गईं. जब ग्लियल सेल्स के विकास को जेनेटिकली रोका गया तब भी हार्टबीट असामान्य हो गई थीं. इंडियाना स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ नॉट्रेडैम की बायोलॉजिस्ट कोडी स्मिथ हम अभी पूरी तरह से यह नहीं पता कर पाए हैं कि ग्लियल सेल्स और किस-किस तरह के काम करती हैं. लेकिन इतना पता चल चुका है कि अगर ये दिल से हटीं, तो धड़कनों की दर बढ़ जाएगी. हो सकता है इससे आपको कोई बीमारी हो जाए.
कोडी स्मिथ कहती हैं कि अब हम इस ग्लियल सेल्स (Glial Cells) की न्यूरोबायोलॉजिकल स्टडी कर रहे हैं. ताकि इसके न होने या खराब होने से होने वाली दिक्कतों और बीमारियों को समझा जा सके. नेक्सस ग्लिया को खोजना जासूसी से भरा काम है. पहले ऐसा सोचा जाता था कि ये तारे के आकार की कोशिका होती है. जिसे एस्ट्रोग्लिया (Astroglia) कहते थे. जैसे कि एस्ट्रोसाइट्स, जो दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड में मिलती हैं. लेकिन ये एकदम अलग हैं. एस्ट्रोग्लिया कोशिकाएं केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) का प्रमुख हिस्सा होती हैं.
शरीर के अलग-अलग हिस्सों में होती अलग-अलग एस्ट्रोग्लिया कोशिका
एस्ट्रोग्लिया कोशिकाएं न्यूरॉन्स के लिए उचित पर्यावरण बनाए रखने में मदद करती हैं. साथ ही उनके पोषण का ख्याल रखती हैं. इसलिए ऐसा भी हो सकता है कि ये कोशिकाएं पेरिफेरल नर्वस सिस्टम यानी शरीर के अन्य हिस्सों में मौजूद नर्वस सिस्टम में भी मिलती हों. शरीर के अलग-अलग हिस्सों यानी अंगों में अलग-अलग प्रकार कि एस्ट्रोग्लिया कोशिकाएं होती हैं. जो अलग-अलग तरह से काम करती हैं या फिर संदेश पहुंचाने में मदद करती हैं. लेकिन इनका असल काम न्यूरॉन्स की सेहत और पर्यावरण को बनाए रखना है.