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ठोस, तरल और गैस के बाद अब मिली पानी की नई अवस्था, नाम है Superionic Ice

आपने पदार्थ की अवस्थाओं यानी स्टेट ऑफ मैटर (State of Matter) के बारे में पढ़ा होगा. जैसे- पानी की तीन अवस्थाएं होती हैं. ठोस यानी बर्फ, तरल यानी पानी और गैस यानी भाप. अब वैज्ञानिकों ने पानी की नई अवस्था खोज ली है. यह बेहद रहस्यमयी हैं. इसे सुपरियोनिक आइस (Superionic Ice) कहा जा रहा है. वैज्ञानिक बताते हैं कि यह हैरान करने वाले काले रंग की अवस्था है, जो बेहद गर्म है.

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ये है लैब में बनाए गए सुपरियोनिक आइस का इलस्ट्रेशन. (फोटोः लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी)
ये है लैब में बनाए गए सुपरियोनिक आइस का इलस्ट्रेशन. (फोटोः लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • धरती के केंद्र में ज्यादा तापमान-दबाव में मिलती है ऐसी अवस्था
  • 1988 में पियेरफ्रैंको डेमॉन्टिस ने दी थी इस अवस्था की थ्योरी
  • 2018 में इस थ्योरी को लेकर पहली बार मिले थे सबूत, अब असली अवस्था मिली

आपने पदार्थ की अवस्थाओं यानी स्टेट ऑफ मैटर (State of Matter) के बारे में पढ़ा होगा. जैसे- पानी की तीन अवस्थाएं होती हैं. ठोस यानी बर्फ, तरल यानी पानी और गैस यानी भाप. अब वैज्ञानिकों ने पानी की नई अवस्था खोज ली है. यह बेहद रहस्यमयी हैं. इसे सुपरियोनिक आइस (Superionic Ice) कहा जा रहा है. वैज्ञानिक बताते हैं कि यह हैरान करने वाले काले रंग की अवस्था है, जो बेहद गर्म है. 

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वैज्ञानिकों ने दो हीरों के बीच पानी की एक बूंद को जोर से दबाया, फिर उसपर दुनिया के सबसे ताकतवर लेजर से ब्लास्ट किया गया. परिणाम में पानी की चौथी अवस्था यानी Fourth State of Matter या यूं कहें Fourth State of Water निकल कर सामने आया. जो कि बेहद रहस्यमयी तरीके से गर्म और काले रंग का था. ऐसा पानी धरती के केंद्र में इसी दबाव और तापमान में रहता है. इससे पहले वैज्ञानिकों ने शॉक वेव के जरिए 20 नैनोसेकेंड के लिए ऐसी अवस्था हासिल की थी. लेकिन इस बार के प्रयोग में सुपरियोनिक आइस (Superionic Ice) पहली बार काफी लंबे समय तक के लिए टिका था. इसके बारे में हाल ही में Nature Physics जर्नल में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. 

धरती के केंद्र में ऐसी अवस्था में रहता है पानी

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यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के जियोफिजिसिस्ट और आर्गोन नेशनल लेबोरेटरी के एंडवांस्ड फोटोन सोर्स में बीमलाइन साइंटिस्ट विटाली प्राकपेनका ने बताया कि हमारे लिए पानी की यह नई अवस्था हैरान करने वाली थी. इससे पहले किसी ने भी पानी की यह नई अवस्था नहीं देखी थी. क्योंकि ये धरती के केंद्र में बेहद दबाव वाले क्षेत्र में मिलती है. वहां तापमान भी बहुत ज्यादा है. ऐसे में किसी को भी पानी की यह अवस्था देखने को नहीं मिलती. 

विटाली ने बताया कि पानी के मॉलीक्यूल अलग-अलग अरेंजमेंट में अलग-अलग अवस्थाओं को दर्शाता है. अब तक वैज्ञानिकों ने पानी की 20 अवस्थाओं को खोजा है. इसमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के कण अलग-अलग तापमान और दबाव में विभिन्न तरह की अवस्थाओं का निर्माण करते हैं. जैसे आइस-6 और आइस-7 के मॉलीक्यूल खुद को आयताकार प्रिज्म या क्यूब जैसा आकार बनाते हैं. आइस-11 को इलेक्ट्रिक फील्ड में रखने पर अपने मॉलीक्यूल्स को फ्लिप कर देता है. जबकि, आइस-21 में ऑक्सीजन के कण बिगड़ जाते हैं, जबकि हाइड्रोजन के कण अपने रेगुलर फॉर्म में रहते हैं.

पानी की 18वीं अवस्था है सुपरियोनिक आइस

अत्यधिक गर्म (Superhot) और बेहद दबाव में बना सुपरियोनिक आइस (Superionic Ice) पानी की 18वीं अवस्था है. यह पानी की बाकी अवस्थाओं की तुलना में सबसे ज्यादा विचित्र है. क्योंकि इसमें ऑक्सीजन का एटम खुद को एक जगह पर लॉक कर लेते हैं, ठोस रूप में बनने के लिए. जबकि, हाइड्रोजन के एटम अपने इलेक्ट्रॉन्स को छोड़कर आयन में बदल जाते हैं. इसलिए यह अवस्था आधी तरल और आधी बर्फ की स्थिति में रहती है. विटाली ने कहा कि यहां पर हाइड्रोजन के एटम किसी समुद्र की लहरों की तरह तैरते रहते हैं. जबकि ऑक्सीजन के एटम एक जगह पर टिके रहते हैं. 

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साल 1988 में यूनिवर्सिटी ऑफ ससारी में केमिस्ट्री के प्रोफेसर पियेरफ्रैंको डेमॉन्टिस ने सबसे पहले सुपरियोनिक आइस (Superionic Ice) की थ्योरी दी थी. साल 2018 में कैलिफोर्निया स्थित लॉरेंस लिवरमोर नेशनल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने सुपरियोनिक आइस (Superionic Ice) का पहला सबूत खोजा था. हीरे के बीच में पानी की बूंद को दबाकर और उसपर लेजर से हमला करके वैज्ञानिकों ने सुपरियोनिक आइस (Superionic Ice) के लिए जरूरी तापमान और दबाव हासिल कर लिया. इस उपलब्धि से अब स्टेट ऑफ मैटर की स्टडी के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिकों को नया रास्ता मिल गया है. 

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