एक नए अध्ययन में ऑस्ट्रेलिया के चमगादड़ों (Bats) और उड़ने वाली लोमड़ियों (Flying Foxes) के पेशाब में नोबेल हेंड्रा वायरस का पता चला है. हेंड्रा वायरस चमगादड़ों से फैलने वाला एक बेहद घातक वायरस है. यह पहले घोड़ों में और उसके बाद मनुष्यों में फैलता है. अब इस वायरस का नया वैरिएंट सामने आया है.
इस अध्ययन के नतीजे इमर्जिंग इंफेक्शियस डिजीज (Emerging Infectious Diseases) जर्नल में प्रकाशित हुए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हेंड्रा वायरस एक उभरती हुई संक्रामक बीमारी है, जो घोड़ों और कुछ मनुष्यों को प्रभावित करती है. यह वायरस दोनों में गंभीर बीमारी का कारण बनता है जिससे अक्सर मौत भी हो जाती है. भौगोलिक रूप से यह वायरस फिलहाल ऑस्ट्रेलिया तक ही सीमित है.
हेंड्रा वायरस के लक्षण फ्लू जैसे
वायरस के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे ही होते हैं, लेकिन ये श्वसन संबंधी और न्यूरो से जुड़े घातक रोग तक पहुंच जाते हैं. एक बार अगर कोई इससे संक्रमित हो गया तो उसे गहन देखभाल की जरूरत होती है. वर्तमान में हेंड्रा वायरस से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है जानवरों की वैक्सीन, जो इस वायरस को घोड़ों के ज़रिए फैलने से रोकती है. क्योंकि घोड़ों के जरिए ही यह वायरस इंसानों तक पहुंचता है.
घोड़ों से उड़ने वाली लोमड़ियों तक
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के अलग-अलग संस्थानों के वैज्ञानिकों ने न्यू साउथ वेल्स में हेंड्रा वायरस से संक्रमित एक घोड़े का मामला देखा, जिसकी वायरस से मौत हो गई थी. जबकि घोड़े में जब वायरस का टेस्ट किया गया तब वह निगेटिव आया था. लेकिन जब नोबेल वैरिएंट HeV-g2 का टेस्ट किया गया तो वह पॉज़िटिव पाया गया. फ्लाइंग फॉक्स के पेशाब से मिले नमूने से जब इसकी तुलना की गई, तो इस वैरिएंट में 99 प्रतिशत समानता देखी गई. इससे पता लगा कि इस वायरस ने एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में प्रवेश किया है.
4 साल चादर बिछाकर लिया सैंपल
वैज्ञानिकों ने चार साल तक, क्वींसलैंड (Queensland) में फ्लाइंग फॉक्स के ठिकानों के नीचे एक चादर रखी, जिसमें उनके पेशाब के सैंपल इकट्ठा किए गए. इन सैंपल में हेंड्रा वायरस के होने की जांच की गई. इसके लिए qRT-PCR का इस्तेमाल किया गया. कुल 4,500 से ज्यादा सैंपल इकट्ठा किए गए . इसके अलावा, चमगादड़ पकड़ने के दौरान 1,674 अलग सैंपल भी लिए गए.
New Variant Of Deadly Hendra Virus Discovered In Flying Foxeshttps://t.co/uSoFYtoEQ3 pic.twitter.com/GoQWqqbysG
— IFLScience (@IFLScience) April 19, 2022
जांच में पाया गया कि नया वैरिएंट फ्लाइंग फॉक्स की कई प्रजातियों के 10 सैंपल में ही मिला. इससे इस बात के संक्त मिल कि HeV-g2 वैरिएंट पहले से ही इस आबादी में मौजूद हो सकता है. जांच में यह भी सामने आया कि यह वैरिएंट अब पहले की भौगोलिक स्थितियों तक सीमित नहीं था. इस वायरस को जानवरों से इंसानों तक पहुंचने से रोकने के लिए पशु देखभाल दिशानिर्देशों में सुधार की ज़रूरत थी. शोधकर्ताओं का मानना है कि हेंड्रा वायरस वैरिएंट के प्रसार पर नजर रखने के लिए बेहतर डायग्नोस्टिक सिस्टम लागू किया जाना चाहिए.