मंगल ग्रह पर पानी है. इस बात की पुष्टि हो चुकी है. यूरोपियन स्पेस एजेंसी (European Space Agency - ESA) समेत कुछ और संस्थानों के वैज्ञानिकों ने मिलकर मंगल ग्रह पर मौजूद पानी का नया नक्शा बनाया है. इस नक्शे में उन स्थानों को दिखाया गया है, जहां पर पानी प्रचुर मात्रा में खनिजों में मौजूद है. इन खनिजों को जलीय खनिज (Aqueous Minerals) कहते हैं.
जलीय खनिज (Aqueous Minerals) वो पत्थर होते हैं जो प्राचीन समय में पानी की वजह से रसायनिक तौर पर बदल जाते हैं. इसके बाद ये आमतौर पर क्ले (Clay) या नमक (Salt) में बदल जाते हैं. धरती पर क्ले तब बनता है जब पानी और पत्थर आपस में मिलते या टकराते हैं. अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग तरह के क्ले का निर्माण होता है.
पानी के कम-ज्यादा होने से बदल जाते हैं खनिज
उदाहरण के तौर पर क्ले खनिज स्मेकटाइट (Smectite) और वर्मिकुलाइट (Vermiculite) तब बनते हैं, जब थोड़ी मात्रा में भी पानी असली ज्वालामुखीय पत्थरों (Volcanic Rocks) से मिलता है. इनमें आयरन और मैग्नीशियम पदार्थ ज्यादा पाए जाते हैं. जब पानी का स्तर थोड़ा ज्यादा होता है, तब ये पत्थर बदल जाते हैं. ये फिर एल्यूमिनियम से भरपूर क्ले बन जाते हैं, जिन्हें काओलिन (Kaolin) कहते हैं.
मंगल पर लाखों जगहों पर मौजूद है जलीय खनिज
वैज्ञानिक इस बात से हैरान हैं कि मंगल ग्रह पर जलीय खनिज इतनी ज्यादा मात्रा में हैं. दस साल पहले ग्रहों की स्टडी करने वाले वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर 1000 आउटक्रॉप्स खोजे थे. इससे मंगल ग्रह पर मौजूद विषमताओं का पता चला था. हालांकि नए नक्शे ने पूरी स्थिति को बदल दिया है. अब नए स्थानों का पता चला है, जिनपर वैज्ञानिकों का ध्यान नहीं जा रहा था. पूरे मंगल पर ऐसी लाखों जगहें हैं जहां पर इस तरह के जलीय खनिज (Aqueous Minerals) भरे पड़े हैं.
जलीय खनिजों में मौजूद है भरपूर पानी की मात्रा
फ्रांस के फिजिसिस्ट जॉन कार्टर कहते हैं कि इस नक्शे से एक बात को प्रमाणित हो गई है कि जब आप प्राचीन इलाकों का अध्ययन करते हैं, तब खनिजों को नहीं देखना या उनका अध्ययन नहीं करना स्टडी में विषमता ला सकता है. यह लाल ग्रह के इतिहास को समझने के हमारे तरीके को बदल कर रख देगा. पहले तो लगता था कि मंगल ग्रह पर कम जलीय खनिज (Aqueous Minerals) हैं, लेकिन नए नक्शे ने तो हैरान कर दिया. यहां भरपूर जलीय खनिज हैं. जिनके पास भारी मात्रा में पानी होने के आसार हैं.
पानी वाले स्थान के पास ही होगी इंसानों की लैंडिंग
अब सवाल ये उठता है कि वैज्ञानिक जिस समय नक्शा तैयार कर रहे थे, उस समय पानी इतना मिला या फिर ये कम-ज्यादा होता रहता है. क्योंकि किसी भी फ्यूचर ह्यूमन मिशन के लिए लगातार पानी का मिलना या उसका बनते रहना जरूरी है. अगर पानी लगातार मौजूद रहेगा तो इंसान उस जगह के आसपास लैंड कर सकते हैं. जॉन कार्टर कहते हैं कि हम वैज्ञानिकों ने मिलकर मंगल ग्रह को ज्यादा आसान समझ लिया. लेकिन जैसे-जैसे स्टडी करते जा रहे हैं, वह और जटिल निकलता जा रहा है.
मंगल की स्टडी हर समय जटिल होती जा रही है
जॉन कार्टर ने बताया कि मंगल ग्रह पर क्ले का निर्माण उस समय हुआ होगा, जब यह लाल ग्रह गीला रहा होगा. धीरे-धीरे पानी सूखता चला गया. पूरे ग्रह पर नमक यानी सॉल्ट का निर्माण हुआ. नए नक्शे में ज्यादा जटिल चीजें सामने आ रही हैं. हमने पहले ऐसा नहीं सोचा था. हमें कई स्थानों पर सॉल्ट और क्ले का अद्भुत मिश्रण मिला है. कुछ सॉल्ट तो क्ले से भी प्राचीन हैं. समझ में ये नहीं आ रहा है कि पानी की भरपूर मात्रा होने के बाद अब पानी की पूरी तरह से खत्म कैसे हो गया. इसे लेकर कोई स्पष्ट परिभाषा या जानकारी अभी तक किसी वैज्ञानिक के पास नहीं है.
मंगल ग्रह पर पृथ्वी से विभिन्न खनिज हैं मौजूद
पहली बात तो ये अभी तक कोई ऐसी प्रक्रिया नहीं बनाई गई है जिससे मंगल ग्रह पर मौजूद खनिजों की उत्पत्ति को परिभाषित कर सके. दूसरी बात ये कि अगर आप धरती से जीवन की प्रक्रियाओं को हटा दें तो मंगल ग्रह पर खनिजों की विभिन्नता बहुत ज्यादा है. साधारण भाषा में कहानी ये है कि वैज्ञानिक जितना करीब से जांच करते जाएंगे, मंगल ग्रह उन्हें उतना ही जटिल मिलता जाएगा.
इन यंत्रों ने पानी का नक्शा बनाने में की मदद
ESA के मार्स एक्सप्रेस के OMEGA और NASA के मार्स रीकॉन्सेंस ऑर्बिटर के CRISM यंत्रों ने इस नक्शे को बनाने में काफी मदद की है. इन यंत्रों ने मंगल ग्रह पर जलीय खनिजों (Aqueous Minerals) की खोज करके पानी का नक्शा बनाने में मदद की है. नासा के 2020 में पर्सिवरेंस रोवर ने जेजेरो क्रेटर (Jezero Crater) में कई प्रकार के हाइड्रेटेड खनिजों की खोज की है.
खनिजों में हो रहे बदलावों की स्टडी अब भी जारी
दूसरी तरफ, ओमेगा (Omega) ने मंगल ग्रह का ग्लोबल कवरेज किया है. यानी उसने पूरे ग्रह का सिग्नल टू नॉयस रेशो और हायर स्पेक्ट्रल रेजोल्यूशन वाली इमेज बनाई हैं. इससे मंगल ग्रह के अलग-अलग हिस्सों की जांच करने में मदद मिली. पता चला कि कहां-कहां जलीय खनिज (Aqueous Minerals) मौजूद हैं. फिर उनका नक्शा बनाने में काफी आसानी हुई. साथ ही यह भी पता चला कि खनिजों में कैसे बदलाव देखने को मिल रहे हैं.
इंसानों की बस्ती कहां बनेगी, ये भी तय होगा जल्द
इस स्टडी में जापानीज एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) की साइंटिस्ट लूसी रियु भी शामिल हैं. लूसी ने ही मंगल ग्रह पर मौजूद खनिजों को अलग-अलग करके यह पता किया जाए कि पानी सबसे ज्यादा कहां निकाल सकते हैं. कहां पर भविष्य में इंसानों की लैंडिंग कराई जा सकती है. साथ ही कहां पर इंसानों की बस्ती बनाई जा सकती है. क्योंकि धरती पर क्ले और सॉल्ट किसी भी बिल्डिंग मटेरियल का बेसिक पदार्थ होता है. यानी मंगल ग्रह पर इमारतें खड़ी करने के लिए बिल्डिंग मटेरियल की कमी पूरी हो जाएगी.
🆕 A new map of #Mars is changing the way we think about the planet’s watery past, and showing where we could land in the future
— ESA Science (@esascience) August 22, 2022
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लूसी रियु ने बताया कि इन जलीय खनिजों (Aqueous Minerals) की स्टडी से मंगल ग्रह के प्राचीन मौसम का पता चल सकता है. साथ ही जीवन की खोज के लिए इस नक्शे का भरपूर उपयोग किया जा सकता है. जैसे- ESA के रोसैलिंड फ्रैंकलिन रोवर की लैंडिंग के ओक्सिया प्लैनम (Oxia Planum) को चुना गया है.