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सुनामी, फ्लैश फ्लड, तूफान... हर आपदा से दुनिया को बचाएगा NISAR, श्रीहरिकोटा से होगा लॉन्च... देखिए Video

इस साल ISRO-NASA मिलकर ऐसा सैटेलाइट छोड़ेंगे जो पूरी दुनिया को आपदाओं से पहले सूचना देगा. नासा ने पिछले साल ही इस सैटेलाइट को इसरो को सौंप दिया था. इसे बनाने में करीब 10 हजार करोड़ रुपये लगे हैं.

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ये है इसरो और नासा का निसार सैटेलाइट जो अंतरिक्ष से बचाएगा धरती को. (सभी फोटोः NASA)
ये है इसरो और नासा का निसार सैटेलाइट जो अंतरिक्ष से बचाएगा धरती को. (सभी फोटोः NASA)

अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के ब्यूरो ऑफ साउथ एंड सेंट्रल एशियन अफेयर्स (SCA) ने कहा है कि इस साल इसरो और नासा मिलकर NISAR अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट लॉन्च करेंगे. नासा ने पिछले साल ही ISRO को निसार (NISAR) सैटेलाइट सौंप दिया था. इसे लेने खुद इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी गए थे. यह भारत और अमेरिका अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त साइंस मिशन है. 

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क्या काम करेगा NISAR सैटेलाइट?

- यह सैटेलाइट दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाएगा. ये दुनिया का सबसे महंगा अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट है. इसे बनाने में 10 हजार करोड़ रुपए की लागत आई है. 
- किसी शहर के धंसने की घटना ही नहीं. यह बवंडर, तूफान, ज्वालामुखी, भूकंप, ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्री तूफान, जंगली आग, समुद्रों के जलस्तर में बढ़ोतरी, समेत कई आपदाओं का अलर्ट देगा. 
- निसार स्पेस में धरती के चारों तरफ जमा हो रहे कचरे और धरती की ओर अंतरिक्ष से आने वाले खतरों की सूचना भी देता रहेगा. 

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कैसे और कहां से होगी लॉन्चिंग? 

इस सैटेलाइट को GSLV-MK2 रॉकेट से लॉन्च किया जाए. लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से होगी. सैटेलाइट्स और पेलोंड की कई बार टेस्टिंग हो चुकी है. 

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NISAR, NASA, ISRO

कैसे काम करेगा निसार सैटेलाइट?

NISAR में दो प्रकार के बैंड होंगे एल और एस. ये दोनों धरती पर पेड़-पौधों की घटती-बढ़ती संख्या पर नजर रखेंगे साथ ही प्रकाश की कमी और ज्यादा होने के असर की भी स्टडी करेंगे. एस बैंड ट्रांसमीटर को भारत ने बनाया है और एल बैंड ट्रांसपोंडर को नासा ने. 

धरती का एक चक्कर 12 दिन में लगाएगा  

निसार का रडार 240 km तक के क्षेत्रफल की एकदम साफ तस्वीरें ले सकेगा. यह धरती के एक स्थान की फोटो 12 दिन के बाद फिर लेगा. क्योंकि इसे धरती का पूरा एक चक्कर लगाने में 12 दिन लगेंगे. इस दौरान यह धरती के अलग-अलग हिस्सों की रैपिड सैंपलिंग करते हुए तस्वीरें और आंकडे वैज्ञानिकों को मुहैया कराता रहेगा. 

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पांच साल है मिशन की लाइफ, बढ़ भी सकती है

इस मिशन की लाइफ पांच साल मानी जा रही है. इस दौरान निसार ज्वालामुखी, भूकंप, भूस्खलन, जंगल, खेती, गीली धरती, पर्माफ्रॉस्ट, बर्फ का कम ज्यादा होना आदि विषयों की स्टडी करेगा. 

कैसा दिखेगा निसार सैटेलाइट अंतरिक्ष में? 

निसार सैटेलाइट में एक बड़ा मेन बस होगा, जिसमें कई इंस्ट्रूमेंट्स लगे होंगे. साथ ही कई ट्रांसपोंडर्स, टेलीस्कोप और रडार सिस्टम होगा. इसके अलावा इसमें से एक आर्म निकलेगा, जिसके ऊपर एक सिलेंडर होगा. यह सिलेंडर लॉन्च होने के कुछ घंटों बाद खुलेगा तो इसमें डिश एंटीना जैसी एक बड़ी छतरी निकलेगी. यह छतरी ही सिंथेटिक अपर्चर रडार है.  

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