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पहली बार खोजा गया वायरस खाने वाला जीव, क्या अब मिलेगी वायरल बीमारियों से मुक्ति?

पहली बार वायरस को खाने वाला जीव मिला है. यानी इस जीव के जरिए दुनिया के कई घातक वायरसों को खत्म किया जा सकता है. साइंटिस्ट ने देखा कि यह जीव वायरसों को खाकर अपनी आबादी 15 गुना तेजी से बढ़ाता है. जबकि वायरस की संख्या सैकड़ों गुना तेजी से कम करता है.

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यह जीव साफ पानी में पाया जाने वाला एक प्रकार का प्लैंकटॉन है. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
यह जीव साफ पानी में पाया जाने वाला एक प्रकार का प्लैंकटॉन है. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

वायरसों से पूरी दुनिया परेशान है. कोरोना को ही देख लीजिए. वैज्ञानिकों को पहली बार ऐसा जीव मिला है, जो वायरसों को खाता है. यानी वायरस को खत्म कर देता है. यह खोज अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ नेब्रास्का-लिंकन के वैज्ञानिकों ने की है. भविष्य में हो सकता है कि वायरसों पर काबू पाने के लिए इस जीव का इस्तेमाल किया जाए. 

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असल में साफ पानी में पाया जाने वाला एक प्रकार का प्लैंकटॉन (Plankton) दुनिया का पहला ऐसा जीव है, जो सिर्फ और सिर्फ वायरस से अपना पेट भरता है. इसका ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर सब वायरस ही होता है. ऐसा नहीं है वायरस को सिर्फ यही खाता है. लेकिन इकलौता ऐसा जीव है, जो सिर्फ वायरस खाता है. अन्य जीव हैं, जो जरुरत पड़ने पर वायरस खाते हैं. वायरस को खाने वाले जीवों को वैज्ञानिकों ने वीरोवोरी (Virovory) नाम दिया है. 

अगर वायरस खाने वाले जीवों पर स्टडी की जाए तो भविष्य में ये मददगार हो सकते हैं. (फोटोः गेटी)
अगर वायरस खाने वाले जीवों पर स्टडी की जाए तो भविष्य में ये मददगार हो सकते हैं. (फोटोः गेटी)

जो माइक्रोब यानी प्लैंकटॉन सिर्फ वायरस खाता है, उसका नाम है हाल्टेरिया (Halteria). यह एक प्रोटिस्ट जीव है. यह अपने बाल जैसे पतले सूंड़ को पानी में लहराता रहता है, उससे वायरस को पकड़ कर खाता है. लैब में भी इस जीव ने क्लोरोवायरस (Chlorovirus) को खाता है. यह एक जायंट वायरस है. यानी बैक्टीरिया के आकार का वायरस. इसे खाकर ही हाल्टेरिया ने अपनी आबादी दुनिया भर के साफ पानी के स्रोतों में बढ़ाई है. 

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क्लोरोवायरस खाने के बाद हाल्टेरिया अपने शरीर के टुकड़े करके नए हाल्टेरिया बनाता है. जो वापस क्लोरोवायरस खाकर यही प्रक्रिया दोहराते हैं. यह खोज करने वाले प्रमुख शोधकर्ता जॉन डिलॉन्ग कहते हैं कि वायरस और हाल्टेरिया के बीच का संबंध अद्भुत है. वायरस को खाने और फिर अपनी आबादी बढ़ाने वाला हाल्टेरिया बड़ी मात्रा में ऊर्जा पैदा कर रहे हैं. यानी अगर पूरी दुनिया के स्तर पर देखें तो बड़े पैमाने पर कार्बन साइक्लिंग हो रही है. 

भविष्य में वायरस को खाने जीवों की मदद से कई बीमारियों का इलाज खोजा जा सकता है. (फोटोः गेटी)
भविष्य में वायरस को खाने जीवों की मदद से कई बीमारियों का इलाज खोजा जा सकता है. (फोटोः गेटी)

जॉन कहते हैं कि कोई जीव वायरस को क्यों खाता है. ये बड़ा सवाल है. वायरस सिर्फ नुकसान नहीं पहुंचाते. अगर खाने के तौर पर देखा जाए तो उनके अंदर अमीनो एसिड, न्यूक्लिक एसिड, लिपिड्स, नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की मात्रा काफी ज्यादा होती है. यानी वायरस एक संपूर्ण भोजन है इन जीवों के लिए. यह जानने के लिए जॉन ने लैब के अंदर एक कंटेनर में तालाब का पानी लिया. उसमें क्लोरोवायरस डाल दिये. पानी में पहले से हाल्टेरिया और पैरामिसियम थे. 

पैरामिसियम ने भी क्लोरोवायरस का भोजन किया लेकिन उनकी आबादी नहीं बढ़ी. लेकिन हाल्टेरिया ने जैसे ही वायरसों को खाना शुरू किया, उनकी आबादी तेजी से बढ़ने लगी. दो दिन में हाल्टेरिया की आबादी 15 गुना बढ़ गई. जबकि वायरसों की आबादी में सैकड़ों गुना कमी आई. जॉन कहते हैं कि यह एक बड़ी खोज है. इस पर और रिसर्च करने की जरुरत है, जो हम कर रहे हैं. हमें यह पता करना है कि क्या ये घटना जंगलों में भी हो रही है. यह स्टडी हाल ही में PNAS में प्रकाशित हुई है. 

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