हम सभी जानते हैं कि धरती के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर ओजोन लेयर (Ozone Layer) में छेद है. हाल ही में इक्वेटर लाइन (Equator line) और उसके आसपास के ट्रॉपिकल इलाकों में भी ओजोन लेयर में बड़ा छेद पाया गया है. ओज़ोन लेयर के ये छेद पृथ्वी के लिए चिंता की बात हैं, लेकिन यूएन (UN) समर्थित एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगले चार दशकों में ओजोन लेयर पूरी तरह से ठीक हो सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक, ओजोन को खराब करने वाले पदार्थों पर लगे प्रतिबंधों से अच्छे नतीजे मिल रहे हैं. साथ ही, साल 2100 तक अनुमानित 0.3-0.5 डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग से बचा जा सकता है.
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (The Montreal Protocol) सितंबर 1987 में लागू किया गया था. यह प्रोटोकॉल, ओजोन लेयर पर हानिकारक प्रभाव डालने वाले लगभग 100 पदार्थों पर नजर रखता है और उनकी खपत और उत्पादन को नियंत्रित करने के लिए उपाय करने का प्रयास करता है.
इन पदार्थों में क्लोरोफ्लोरोकार्बन (Chlorofluorocarbons) शामिल हैं, जिन्हें आमतौर पर सीएफसी (CFCs) के रूप में जाना जाता है, जो एरोसोल में पाए जाते थे. उन्हें जल्द से जल्द खत्म करने के लिए, सीएफसी को अक्सर हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (Hydrofluorocarbons- HFCs) नाम के वैकल्पिक पदार्थों से बदल दिया गया. HFC ओजोन लेयर को सीधे तौर पर नुकसान नहीं पहुंचाते, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं, इसलिए प्रोटोकॉल में बाद में किए गए संशोधनों ने इनके उपयोग को भी फेज़ आउट करने की मांग की है.
ओजोन लेयर पर हानिकारक प्रभाव डालने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का साइंटिफिक असेसमेंट पैनल, हर चार साल में एक प्रोग्रेस रिपोर्ट प्रकाशित करता है. और नई रिपोर्ट हमें थोड़ी उम्मीद दे रही है. पैनल का मानना है कि अगर वर्तमान नीतियां बनी रहती हैं, तो ओजोन लेयर को 2040 तक दुनिया के अधिकांश हिस्सों में, 2045 तक आर्कटिक के ऊपर, और 2066 तक अंटार्कटिक के ऊपर ठीक हो जाना चाहिए.
इसका मतलब यह है कि ओजोन लेयर ठीक उसी स्थिति में वापस आ जाएगी जो 1980 में थी, यानी ओज़ोन में छेद होने से पहले. यूएन एनवॉयर्नमेंट प्रोग्राम के ओजोन सचिवालय के कार्यकारी सचिव मेग सेकी (Meg Seki) ने एक बयान में कहा कि नई रिपोर्ट के मुताबिक, ओजोन रिकवरी पटरी पर आ रही है, यह शानदार खबर है. पिछले 35 सालों में, प्रोटोकॉल पर्यावरण के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुआ है.
रिपोर्ट में एचएफ़सी पर भी कुछ सकारात्मक ख़बरें हैं. अनुमान लगाया गया है कि अगर इस क्षेत्र में प्रगति जारी रहती है, तो 2100 तक 0.3-0.5 डिग्री सेल्सियस वार्मिंग से बचा जा सकता है.
The Ozone Layer Will Fully Recover By 2066, If Current Progress Continueshttps://t.co/xS65ZwbjXW
— IFLScience (@IFLScience) January 9, 2023
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव प्रोफेसर पेटेरी तालस (Petteri Taalas) का कहना है कि ओजोन के लिए होने वाली कार्रवाई एक मिसाल कायम करती है. ओजोन खत्म करने वाले कैमिकल्स को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने में हमारी सफलता हमें दिखाती है कि फॉसिल फ्यूल से संक्रमण दूर करने, ग्रीनहाउस गैसों को कम करने और तापमान में वृद्धि को सीमित करने के लिए क्या किया जा सकता है और क्या किया जाना चाहिए.
यह रिपोर्ट दुनिया भर के शोधकर्ताओं की टीमों द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों पर आधारित है. इसके नतीजों को अमेरिकी मौसम विज्ञान सोसायटी ( American Meteorological Society) की 103वीं सालाना बैठक में पेश किया जाएगा.