फल मक्खियां (Fruit Flies) अब समलैंगिक हो गई हैं. नर बना रहे हैं नर से संबंध. क्योंकि वो नर और मादा के अंतर को समझ नहीं पा रहे हैं. गलती उनकी नहीं है. इंसान की है. इंसानों द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण से ओजोन का स्तर बढ़ता जा रहा है. जिसकी वजह से फल मक्खियों में लिंग तय करने वाले हॉर्मोन फेरोमोन्स (Pheromones) की कमी हो रही है.
फल मक्खियां फेरोमोन्स की सही मात्रा होने पर ही अपने लिए सही पार्टनर खोज पाती है. अगर इनमें कमी आती है, तो नर मक्खियां मादा को छोड़कर नर के साथ संबंध बनाने लगती हैं. जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर केमिकल इकोलॉजी के शोधकर्ताओं ने ओजोन गैसों की मात्रा बढ़ने पर होने वाले दुष्प्रभावों की स्टडी की. तब यह बात पता चली कि कॉमन फ्रूट फ्लाई यानी फल मक्खियां (Drosophila melanogaster) अब तेजी से समलैंगिक होती जा रही हैं.
नर फल मक्खियां फेरोमोन्स निकालती हैं. ताकि कीड़ों के बीच नर और मादा को खोज सकें. लेकिन ओजोन प्रदूषण की वजह से अब वो नर मक्खियों की तरफ ही आकर्षित हो रही हैं. यह स्टडी हाल ही में Nature Communications जर्नल में प्रकाशित हुई है. फेरोमोन्स को cis-Vaccenyl Acetate (cVA) भी कहते हैं. cVA में डलब कार्बन बॉन्डस होते हैं. प्रदूषण की वजह से इनका ऑक्सीडाइजेशन होने लगता है. इसलिए नर मक्खियों के फेरोमोन्स कमजोर होने लगते हैं.
नर फल मक्खियां इसके बाद अन्य मक्खियों से बातचीत भी नहीं कर पाती. मादा मक्खियों को पहचानने में दिक्कत होती है. नर मक्खियों की तरफ आकर्षित होती हैं. अगर 100 ppb ओजोन लेवल का एक्सपोजर भी मक्खियों को होता है, तो भी इनके फेरोमोन्स की मात्रा तेजी से गिरती है. अगर 10 नर हैं तो सिर्फ सात ही मादा के पास जा पा रहे हैं. तीन समलैंगिक संबंध बना रहे हैं.
वैज्ञानिकों ने नर फल मक्खियों को जुटाया. उन्हें दो घंटे के लिए 100 ppb स्तर के ओजोन प्रदूषण में डाल दिया. वैज्ञानिकों ने देखा कि नर मक्खियों में cVA का स्तर तेजी से गिरा. इसके बाद उनके संभोग की प्रक्रिया को समझने के लिए 30 नर मक्खियों को 50 से 200 ppb के लेवल पर डाल दिया गया. इसके बाद उनके सेक्सुअल बिहेवियर को जांचा परखा गया. प्रदूषण में रहीं नर मक्खियां ये समझ नहीं पा रही थीं कि उनके सामने नर मक्खी है या मादा.