Arctic और इसके आसपास रहने वाला एक दुर्लभ उल्लू इन दिनों कश्मीर घूमने आया है. करीब दो साल बाद इसे पुलवामा में देखा गया. पुलवामा के वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर रईस उल हसन ने इसकी तस्वीरें ली. जिससे वन्यजीव प्रेमियों में उत्साह फैल गया है. कई फोटोग्राफर इस उल्लू को देखने के लिए पुलवामा आए.
आमतौर पर पत्तियों के पीछे छिपकर रहने वाले ये उल्लू चूहे, कीड़े और छोटे पक्षियों का शिकार करते हैं. रईस उल हसन ने बताया कि वो ब्लॉसम की फोटो लेने गए थे. तभी ये दिख गया. बेहद संवेनदशील ये पक्षी छिपकर रहते हैं. इसकी फोटो खींचने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी. यह उल्लू रात में सक्रिय रहता है, इसलिए इसे कम ही देखा जाता है.
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यह उल्लू अपने लंबे कानों और नारंगी आंखों के लिए जाना जाता है. इसलिए इसे लॉन्ग ईयर्ड आउल (Long-eared Owl) कहते हैं. इसे नार्दन लॉन्ग ईयर्ड आउल भी बुलाया जाता है. ये आमतौर पर उत्तरी अमेरिका, यूरोप, रूस और आर्कटिक इलाके में पाया जाता है. दो साल पहले गांदरबल में मानसबल झील के आसपास देखा गया था.
इस बार इसे पुलवामा में देखा गया. इस समय वहां आलमंड ब्लॉसम का सीजन है. ये उल्लू पूरी तरह से घुमंतू जीव है. उत्तरी अमेरिका में 19 और यूरोप 13 प्रजातियां हैं इसकी. कई बार रूस और मध्य यूरोप से ये 2000 किलोमीटर की यात्रा करने भारत के हिमालयी क्षेत्र तक चले आते है. मकसद प्रजनन और शिकार.