प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) केरल के तिरुवनंतपुरम में मौजूद ISRO के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण सेंटर विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (Vikram Sarabhai Space Center - VSSC) का दौरा किया. वो देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने देश के इस महत्वपूर्ण केंद्र का दौरा किया है.
इस दौरान उन्होंने इस सेंटर में ट्राइसोनिक विंड टनल प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया. इसके अलावा सतीश धवन स्पेस सेंटर में पीएसएलवी एकीकरण सुविधा (PIF) और महेंद्रगिरि के इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में नई सेमी-क्रायोजेनिक्स इंटीग्रेटेड इंजन और स्टेज टेस्ट फैसिलिटी का भी शुभारंभ किया. ये तीनों प्रोजेक्ट 1800 करोड़ रुपए के हैं. तीनों फैसिलिटी स्पेस सेक्टर में विश्व स्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए अपग्रेड की जा रही हैं.
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नरेंद्र मोदी के दौरे से अंतरिक्ष क्षेत्र में तकनीकी और अनुसंधान विकास क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता को बढ़ावा मिलेगा. यानी श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर में PSLV Integration Facility (PIF) खुलने से साल में अब 15 PSLV रॉकेट छोड़े जा सकेंगे. जबकि इससे पहले मात्र छह रॉकेट छोड़ने की क्षमता थी.
नए रॉकेट और इंजन फैसिलिटी से होगा ये फायदा
इसके अलावा PIF में मौजूद अत्याधुनिक सुविधाओं से SSLV रॉकेट्स और निजी अंतरिक्ष कंपनियों द्वारा डिजाइन किए गए अन्य छोटे रॉकेटों की लॉन्चिंग में भी मदद मिलेगी. महेंद्रगिरि में मौजूद इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स (IPRC) में नए 'सेमी-क्रायोजेनिक्स इंटीग्रेटेड इंजन और स्टेज टेस्ट फैसिलिटी' से सेमी क्रायोजेनिक इंजन और उससे संबंधित चरणों के विकास को सक्षम बनाएगी.
IPRC इस नई फैसिलिटी की मदद से वर्तमान लॉन्च रॉकेटों की पेलोड क्षमता को बढ़ाएगी. यह सुविधा 200 टन तक के क्षमता वाले इंजनों का परीक्षण करने के लिए तरल ऑक्सीजन और केरोसिन आपूर्ति प्रणालियों से सुसज्जित है.
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एयरोडायनेमिक्स के लिए विंड टनल का उद्घाटन
वायुमंडल में, उससे नीचे और ऊपर रॉकेटों और विमानों के उड़ान के लिए एयरोडायनेमिक परीक्षण करना जरूरी होता है. इसलिए विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में जिस ट्राइसोनिक विंड टनल का उद्घाटन हुआ है, वह एक जटिल तकनीकी प्रणाली है. यह विमानों और रॉकेटों के एयरोडायनेमिक्स को सुधारने में मदद करेगी.
क्या है विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर?
विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) इसको का सबसे बड़ा और सर्वाधिक महत्वपूर्ण केंद्र है. यह तिरुवनंतपुरम में है. यहां पर रॉकेट, प्रक्षेपण यान एवं कृत्रिम उपग्रहों का निर्माण एवं उनसे संबंधित तकनीकी का विकास और असेंबलिंग होती है. केंद्र की शुरुआत थम्बा भूमध्यरेखीय रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र के तौर पर 1962 में हुई थी. बाद में केंद्र का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया.