केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली डिफेंस एक्वीजिशन काउंसिल (DAC) ने भारतीय सेनाओं की ताकत बढ़ाने के लिए कुछ खास फैसले लिए हैं. कुछ नए हथियारों की खरीद-फरोख्त की मंजूरी दे दी है. अब भारतीय सेनाओं का पावर बूस्ट होने वाला है. चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर दुश्मन की हालत खराब होने वाली है.
आज यानी 30 नवंबर 2023 की डीएसी बैठक में 97 Tejas Mk1A फाइटर जेट्स, 156 प्रचंड फाइटर हेलिकॉप्टर, तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर, 84 Su-30 का अपग्रेडेशन, 5.56x45 कार्बाइन, 200 माउंटेग गन सिस्टम, 400 टोड आर्टिलरी गन सिस्टम और मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल को खरीदने की अनुमति मिल गई है.
अगर इन हथियारों, जेट विमानों, हमलावर हेलिकॉप्टरों, एयरक्राफ्ट कैरियर सेनाओं में शामिल होते हैं, तो इसमें कोई शक नहीं कि भारतीय सेनाएं और ज्यादा ताकतवर हो जाएंगी. खास बात ये है कि इनमें से ज्यादातर हथियार स्वदेशी हैं. या उन्हें स्वदेशी तरीके से ही विकसित किया जाएगा. बनाया जाएगा. आइए जानते हैं इन हथियारों की ताकत...
हमलावर हेलिकॉप्टर प्रचंड
इंडियन एयरफोर्स ने डिफेंस मिनिस्ट्री से 156 स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स प्रचंड (Light Combat Helicopters Prachand) की मांग की थी. 156 में से 66 वायुसेना के पास रहेंगे. जबकि, 90 प्रचंड इंडियन आर्मी के पास जाएंगे. दोनों ही सेनाओं के पास फिलहाल 15 हेलिकॉप्टर्स हैं. 10 वायुसेना के पास. पांच थल सेना के पास.
नए हेलिकॉप्टर्स को चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर तैनात करेंगे. पाकिस्तान की सीमा के पास पहला स्क्वॉड्रन तैनात है. प्रचंड हेलिकॉप्टर्स की वजह से कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू (CSAR), डिस्ट्रक्शन ऑफ एनेमी एयर डिफेंस (DEAD), काउंटर इनसर्जेंसी (CI) ऑपरेशन, रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट (RPA's) को मार गिराने में आसानी होगी और हाई एल्टीट्यूड बंकर बस्टिंग ऑपरेशंस में मदद मिलेगी.
इन हेलिकॉप्टरों को सात यूनिटों में सात अलग-अलग पहाड़ी इलाकों में तैनात किया जाएगा. LCH में दो लोग बैठ सकते हैं. यह 51.10 फीट लंबा, 15.5 फीट ऊंचा है. इसका वजन 5800 kg है. इसपर 700 KG के हथियार लगा सकते हैं. अधिकतम गति 268 km प्रतिघंटा है. रेंज 550 किमी है. लगातार 3 घंटे 10 मिनट की उड़ान भरने की क्षमता है. यह पर्याप्त मात्रा में हथियारों और जरूरी चीजों के साथ 16,400 फीट की ऊंचाई पर भी टेकऑफ कर सकता है.
LCH में 20 मिमी की एक तोप है. चार हार्डप्वाइंट्स होते हैं यानी रॉकेट्स, मिसाइल और बम लग सकते हैं. या फिर इनका मिश्रण. इस हेलिकॉप्टर की जरूरत तब पड़ी थी, जब करगिल युद्ध हो रहा था. तब से इसे लेकर काम चल रहा था.
तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर
पिछले साल आजतक के कार्यक्रम में भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने आजतक के एक कार्यक्रम में संकेत दिया था कि नौसेना IAC-1 यानी INS Vikrant एयरक्राफ्ट कैरियर का रिपीट ऑर्डर देने का सोच रही है. यानी विक्रांत जैसा ही एक और विमानवाहक युद्धपोत जल्दी ही तैयार हो सकता है. अभी भारत के पास दो विमानवाहक युद्धपोत हैं. पहला INS Vikramaditya और दूसरा INS Vikrant.
दोनों ही युद्धपोत दुनिया के 10 सर्वश्रेष्ठ विमानवाहक युद्धपोतों में शामिल हैं. विक्रांत जैसा एयरक्राफ्ट कैरियर बनने से हम चीन की नौसेना की बराबरी कर लेंगे. उसके पास भी तीन ही एयरक्राफ्ट कैरियर हैं. पाकिस्तान के पास तो एक भी एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं है. पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर को बनने में 13 साल लग गए थे. लेकिन नया बनने में इतना समय नहीं लगेगा. यह आधे समय भी बन सकता है.
नए एयरक्राफ्ट कैरियर में भी बराक-8 और ब्रह्मोस मिसाइल लग सकती हैं. कोस्टल बेस्ड एके-603 गन और ओटोब्रेडा कैनन लगाई जाएंगी. बराक-8 मिसाइल के 32 वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम होंगे. यानी 32 मिसाइलें तैनात हो सकती है. बराक 8 से 100 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन की धज्जियां उड़ा सकता है. यह बिना धुएं के उड़ती है, इसलिए आसमान में आते हुए नहीं दिखती. इसकी गति है करीब 2500 किलोमीटर प्रतिघंटा.
ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) भी लगा सकते हैं. युद्धपोत से दागी जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल के दो वैरिएंट्स हैं. पहली- एंटी-शिप मिसाइल, दूसरी लैंड-अटैक मिसाइल. दोनों मिसाइलें नौसेना में पहले से एक्टिव हैं. ये मिसाइलें 200KG वॉरहेड ले जा सकती है. इसकी गति ही इसे सबसे ज्यादा घातक बनाती है. ये 4321 KM प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन की तरफ बढ़ती है.
विक्रांत पर चार 76 mm के ओटोब्रेडा कैनन लगे हैं. यानी वह तोप जो चारों तरफ घूमकर दुश्मन के विमान, हेलिकॉप्टर, फाइटर जेट, वॉरशिप या बोट पर हमला कर सकती है. यह एक मिनट में 120 राउंड फायर करती है. इससे निकलने वाले गोले 915 मीटर प्रति सेकेंड की गति से दुश्मन की ओर जाती हैं. रेंज 20 किलोमीटर तक होती है.
इसमें चार एके 630 सीआईडब्ल्यूएस (AK 630 CIWS) लगे हैं. यह एक क्लोज़-इन वेपन सिस्टम है. यह एक रोटरी तोप यानी घूमने वाली तोप होती है, जो टारगेट जिधर जाता है, उधर ही घूमकर उसपर ताबड़तोड़ हमला करती है. फायरिंग रेंज 4000 राउंड्स प्रति मिनट से लेकर 10 हजार राउंड्स प्रति मिनट है. इसकी रेंज 4000 से 5000 मीटर है. टारगेट रेंज में आते ही ये खुद फायरिंग शुरू हो जाती है.
नए एयरक्राफ्टर पर तेजस फाइटर जेट के नौसैनिक वर्जन को तैनात किया जा सकता है. इसके अलावा MiG-29 Mikyoan फाइटर जेट, एमएच 60आर मल्टी रोल हेलिकॉप्टर, कामोव हेलिकॉप्टर को तैनात कर सकते हैं. नए कैरियर पर राफेल, F-18 सुपर हॉर्नेट भी तैनात हो सकते हैं.
MRSAM- मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल
यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (Surface to Air Missile - SAM) है. इस वेपन सिस्टम में कमांड पोस्ट, मल्टी फंक्शन राडार, मोबाइल लॉन्चर सिस्टम होता है. इसका वजन करीब 275 kg है. लंबाई 4.5 मीटर और व्यास 0.45 मीटर. इसपर 60 kg का वॉरहेड लगा सकते हैं. यह दो स्टेज की मिसाइल है, जो लॉन्च होने के बाद धुआं कम छोड़ती है.
एक बार लॉन्च होने के बाद MRSAM आसमान में सीधे 16 km तक टारगेट को गिरा सकती है. वैसे इसकी रेंज आधा से 100 km है. इसमें रेडियो फ्रिक्वेंसी सीकर है. यानी यह दुश्मन का यान अगर चकमा देने के लिए सिर्फ रेडियो का उपयोग कर रहा है तो भी यह उसे मार गिराएगी. इसकी गति 2448 km प्रतिघंटा है. इन मिसाइलों की तैनाती से भारत को वायु सुरक्षा कवच बनाने में मदद मिलेगी.
तेजस-MK1A फाइटर जेट
भारतीय वायुसेना को 180 तेजस फाइटर जेट्स की जरूरत है. 83 LCA Mark1A के लिए कॉन्ट्रैक्ट हो चुका है. 97 और फाइटर जेट्स वायुसेना और लेगी. इंडियन एयरफोर्स मार्क 1ए से पहले 123 तेजस फाइटर जेट मांगे थे. जिसमें से करीब 30 जेट्स की डिलिवरी हो चुकी है. इसके बाद बाकी 83 फाइटर जेट्स तेजस मार्क-1ए होंगे, जो 2024 से 2028 के बीच मिलेंगे.
फिलहाल तेजस फाइटर जेट के दो स्क्वॉड्रन हैं. एक का नाम फ्लाइंग डैगर्स और दूसरे का फ्लाइंग बुलेट्स. तेजस की कॉम्बैट रेंज 500 KM है. यानी हथियारों से लैस होकर दुश्मन के इलाके में जाकर हमला करके वापस आना. यानी क्लोज-एयर-टू-ग्राउंड ऑपरेशन में मददगार.
तेजस फाइटर जेट का आकार छोटा है इसलिए इस समय दुनिया का कोई भी रडार सिस्टम इसे फाइटर जेट की श्रेणी में रखता ही नहीं. इसलिए यह दुश्मन की रडार में पकड़ नहीं आएगा. यानी हमला करना आसान है. लंबाई 43.4 फीट, ऊंचाई 14.5 फीट और विंगस्पैन 26.11 फीट है.
तेजस में 2458 KG फ्यूल आता है. अधिकतम स्पीड 1980 KM प्रतिघंटा है. यानी ध्वनि की गति से डेढ़ गुना ज्यादा. कुल रेंज 1850 KM है. अधिकतम 53 हजार KM की ऊंचाई तक जा सकता है. LCA Tejas का कॉकपिट कांच का है. तेजस का ग्लास कॉकपिट जिससे पायलट को चारों तरफ देखने में आसानी होती है.
छोटा और मल्टी-रोल सुपरसोनिक फाइटर एयरक्राफ्ट है. इसमें आठ हार्डप्वाइंट्स हैं. यानी आठ अलग-अलग तरह के हथियार लगा सकते हैं. इसमें S-8 रॉकेट्स के पॉड्स लगा सकते हैं. हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें R-73, I-Derby, Python-5 लगे हैं. भविष्य में ASRAAM, Astra Mark 1 और R-77 की प्लानिंग भी है.
हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें Kh-59ME, Kh-59L, Kh-59T, AASM-Hammer लगी हैं. BrahMos-NG ALCM को लगाने की योजना है. इसमें ऐसे-ऐसे हथियार हैं कि तेजस हमला करे तो दुश्मन की हालत पस्त होनी तय है.
एंटी-रेडिएशन मिसाइल रुद्रम को लगाया जाएगा. फिलहाल इसमें एंटी-शिप मिसाइल Kh-35 और Kh-59MK लगे हैं. अगर बम की बात करें तो इसमें चार तरह के बम लगाए जा सकते हैं. प्रेसिशन गाइडेड म्यूनिशन जैसे- स्पाइस, JDAM, HSLD, DRDO Glide Bombs और DRDO SAAW.
लेजर गाइडेड बम जैसे KAB-1500L, GBU-16 Paveway II, सुदर्शन और Griffin LGB. क्लस्टर म्यूनिशन जैसे RBK-500. अनगाइडेड बम जैसे ODAB-500PM, ZAB-250/350, BetAB-500Shp, FAB-500T, FAB-250, OFAB-250-270, OFAB-100-120 लगा सकते हैं.
Su-30 अपग्रेड होंगे, 200 माउंटेड गन सिस्टम और 400 टोड आर्टिलरी गन सिस्टम की डिमांड
केंद्र सरकार 84 Su-30 फाइटर जेट्स को भारतीय भौगोलिक स्थितियों, आधुनिक जरूरतों के हिसाब से अपग्रेड करने वाली है. इससे वायुसेना की ताकत और बढ़ जाएगी. साथ ही थल सेना को 200 माउंटेड गन सिस्टम दिए जाएंगे. ये ऐसे तोप होते हैं जो एक ट्रक पर सवार होते हैं. इन्हें ऊंचाई वाले इलाकों पर भी ले जाया जा सकता है. ऐसे गन सिस्टम को चीन की सीमाओं पर तैनात करने की योजना है.
इनके अलावा 400 टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (TAGS) भी खरीदे जाएंगे. यानी M777 या ATAGS जैसे तोप. जो वजन में हल्के लेकिन मारक क्षमता में खतरनाक होते हैं. इनकी रेंज भी 32 से 53 किलोमीटर तक है. इनके गोलों से दुश्मन के छक्के छूट जाएंगे. इसके अलावा सेना के स्पेशल फोर्सेस के लिए 5.56×45 Carbines की खरीद का आदेश भी हो सकता है.