जेब्राफिश (Zebra Fish) की रीढ़ की हड्डी (Backbone) में एक प्रोटीन पाया जाता है, जो स्पाइनल डिस्क (Spinal discs) के रखरखाव और मेरुदण्ड (vertebrae) में पुरानी डिस्क को रीजनरेट करने में मदद करता है. भारतीय वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि यही प्रोटीन, इंसानों में कमजोर पड़ चुके डिस्क को रीजनेरेट करने में मददगार साबित हो सकता है.
मनुष्यों में, डिस्क स्वाभाविक रूप से कमजोर पड़ जाती है, जिससे पीठ के निचले हिस्से, गर्दन और आसपास में दर्द होता है और स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं होती हैं. वर्तमान में, कमजोर पड़ चुके डिस्क के लिए केवल सिंप्टोमैटिक ट्रीटमेंट उपलब्ध हैं, जिनमें दर्द निवारक या सूजन-रोधी दवाएं शामिल हैं. गंभीर मामलों में डिस्क रिप्लेसमेंट या डिस्क फ्यूजन सर्जरी की जाती है. इसलिए, डिस्क को कमजोर होने से बचाने या उसके रीजनरेशन के लिए इलाज को विकसित करना सबसे बड़ी ज़रूरत है.
मेडिकल परीक्षणों से मानव डिस्क के कमजोर होते जाने की स्टेज़ से जुड़ी इनसाइट तो मिलती है, लेकिन डिस्क के रखरखाव में भूमिका निभाने वाली सेलुलर और मॉलिक्यूलर प्रोसेस के बारे में सीमित जानकारी उपलब्ध है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कमजोर होते डिस्क की गति को कम करने या मनुष्यों में डिस्क को फिर से पैदा करने पर आधारित कोई चिकित्सा प्रक्रिया या उपचार नहीं है.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान, आगरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट (Agharkar Research Institute-ARI), पुणे द्वारा किए गए एक शोध से पता चला है कि इंटरवर्टीब्रल डिस्क सेल से एक प्रोटीन स्रावित होता है, जिसे सेलुलर कम्यूनिकेशन नेटवर्क फैक्टर 2a (Ccn2a) कहा जाता है. यह प्रोटीन कमजोर और पुराने हो चुके डिस्क में डिस्क को रीजनरेट करने में मदद करता है.
इस शोध में एक मॉडल जीव के तौर पर ज़ेब्राफिश का इस्तेमाल किया गया. शोध में पता चला है कि इंडोजीनस सिग्नलिंग कैस्केड को एक्टिवेट करके, कमजोर हो चुकी डिस्क में रीजनरेशन संभव है. वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि Ccn2a-FGFR1-SHH सिग्नलिंग कैस्केड डिस्क के रखरखाव और डिस्क रीजनरेशन में सकारात्मक भूमिका निभाता है. यह शोध डेवलपमेंट जर्नल में प्रकाशित किया गया है.