बात है 12 जनवरी 2023 की. पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के पिलबारा इलाके में मौजूद रियो टिंटो कंपनी की गुदाई-दर्री लोहे की खदान है. वहां से उस दिन एक ट्रक निकला. ट्रक चार दिन यात्रा करके 1400 किलोमीटर दूर पर्थ के दक्षिण में इलाके में पहुंचा. उसके 9 दिन बाद पता चला कि ट्रक से एक कीमती और खास प्रकार का डिब्बा गायब है. उस डिब्बे में अत्यधिक रेडियोएक्टिव पदार्थ वाला कैप्सूल था. इस कैप्सूल का इस्तेमाल खदानों में रेडिएशन गॉज के लिए करते हैं.
इस रेडियोएक्टिव कैप्सूल के साथ ही एक बोल्ट और स्क्रू भी लापता है. ऑस्ट्रेलियाई प्रशासन का मामला है कि इतनी लंबी यात्रा के दौरान नट-बोल्ट लूज होकर गिर गया होगा. उसके छेद से रेडियोएक्टिव कैप्सूल भी सड़क पर कहीं गिर गया होगा. पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के डिपार्टमेंट ऑफ फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज के लोग अब इस कैप्सूल को हाइवे पर खोज रहे हैं.
यह रेडियोएक्टिव पदार्थ एक सिरेमिक कैप्सूल में रखा है. जो 8 मिलिमीटर लंबा और 5 मिलिमीटर चौड़ा है. अब ये जानना जरूरी है कि उस सिरेमिक कैप्सूल में कौन सा रेडियोएक्टिव पदार्थ है? वह कितना खतरनाक है? उससे ऑस्ट्रेलिया के उस इलाके में क्या या किस तरह का नुकसान हो सकता है?
सिरेमिक कैप्सूल में कौन सा रेडियोएक्टिव पदार्थ है?
सिरेमिक कैप्सूल के अंदर कैसियम 137 (Caesium-137) रखा है. यह एक रेडियोएक्टिव आइसोटोप है, जो इलेक्ट्रॉन्स की उलटियां करता है. इसे बीटा रेडिएशन कहते हैं. इसके साथ ही उच्च-स्तर की ऊर्जा वाले फोटोंस भी निकलते हैं. इसे गामा रेडिएशन कहते हैं. बीटा रेडिएशन को सिरेमिक कैप्सूल रोक देता है, लेकिन गामा रेडिएशन को नहीं रोक पाता.
कैसियम प्रति सेकेंड 1900 करोड़ उच्च ऊर्जा वाली फोटोंस को निकालता है. इसका इस्तेमाल कुछ प्रकार के कैंसर को ठीक करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा इसका इस्तेमाल किसी धातु की मोटाई, तरल पदार्थों के बहाव पता करने के लिए और रेडिएशन गॉज को संतुलित करने के लिए होता है.
रेडियोएक्टिव पदार्थों का खोना है दुर्लभ घटना
रेडियोएक्टिव पदार्थों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना एक आम प्रक्रिया है. लेकिन इनका खो जाता एक दुर्लभ घटना है. ऑस्ट्रेलियन न्यूक्लियर साइंस एंड टेक्नोलॉजी ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक वह हर महीने परमाणु मेडिसिन के 2000 पैकेज को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाता है. कुछ प्राइवेट कंपनियां भी हैं, जो यह काम करती हैं.
रेडियोएक्टिव पदार्थों के आवागमन को लेकर बेहद सख्त नियम हैं. उन नियमों का पालन होता है. राष्ट्रीय स्तर पर ऑस्ट्रेलियन रेडिएशन प्रोटेक्शन एंड न्यूक्लियर सेफ्टी एजेंसी राष्ट्रीय स्तर पर इन बातों पर निगरानी रखती है. किसी को भी रेडियोएक्टिव पदार्थों के इस्तेमाल के लिए लाइसेंस लेना होता है. उसकी सेफ्टी, पैकेजिंग पर ध्यान देना होता है. साथ ही ऑनलाइन और ऑफलाइन रिकॉर्ड मेंटेन करना होता है.
जो रेडियोएक्टिव पदार्थ खो जाते हैं, चोरी हो जाते हैं उन्हें ऑर्फन सोर्सेस (Orphan Sources) कहते हैं. सीएनएस ग्लोबल इंसीडेट्स एंड ट्रैफिकिंग डेटाबेस के मुताबिक हर पूरी दुनिया में इस तरह की 150 घटनाएं दर्ज होती हैं. ज्यादातर घटनाएं लापरवाही और नियमों की अनदेखी की वजह से होती हैं.
खोए हुए कैप्सूल से किस तरह का खतरा है?
अगर यह कैप्सूल हाइवे पर कहीं पड़ा है, तो आने-जाने वाले लोगों के लिए खतरा नहीं है. क्योंकि अगर आप उससे एक मीटर की दूरी पर एक घंटे तक खड़े रहेंगे तो आपके शरीर में 1 मिलिसिवर्ट रेडिएशन होगा. जो कि रेडिएशन वाली जगह पर काम करने वाले लोगों की तुलना में बीसवां हिस्सा है. लेकिन आप कैप्सूल से 10 सेंटीमीटर की दूरी एक घंटे तक खड़े रहे तो आपको 100 मिलिसिवर्ट रेडिएशन होगा, जो कि बेहद खतरनाक है.
सबसे ज्यादा खतरा तब है अगर सिरेमिक का कैप्सूल टूट जाए. जैसे एक ऐसी ही घटना 1987 में ब्राजील में हुई थी. वहां कैसियम-137 का बड़ा कैप्सूल एक खाली पड़े अस्पताल से चोरी किया गया था. वह टूट भी गया था. उस कैप्सूल से निकल रही नीली रोशनी को देखने के चक्कर में 250 लोग रेडिएशन से संक्रमित हुए थे. जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी. साल 2019 में ऑस्ट्रेलिया में ऐसी एक घटना हो चुकी है. तब भी इप्सविच के उटे से एक रेडियोएक्टिव मॉइश्चर डिटेक्शन गॉज से रेडियोएक्टिव पदार्थ गायब हुआ था.
कैसियम-137 का हाफ-लाइफ 30 साल से ऊपर होता है. यानी अगर वह कैप्सूल नहीं मिलता है, तो उसके अंदर रखे कैसियम को आधा खत्म होने में इतना समय लग जाएगा. अगले 30 साल बाद पूरी तरह से खत्म होगा. ऑस्ट्रेलिया के प्रशासन ने लोगों से रिक्वेस्ट किया है कि अगर किसी को सड़क पर छोटा सिरेमिक कैप्सूल दिखे, तो उसके पास न जाएं. परेशान न हों. और तत्काल अथॉरिटी को बताएं.