सात साल पहले, नासा (NASA) का क्यूरियोसिटी रोवर (Curiosity) गेल क्रेटर (Gale Crater) की एक ठोस चट्टान में ड्रिलिंग कर रहा था, जो कभी एक बड़ी झील हुआ करता था. इस ड्रिलिंग में सलेटी रंग का पाउडर निकला जो एक खनिज था. वैज्ञानिकों ने इसे मंगल ग्रह पर देखने की उम्मीद नहीं की थी. यह था ट्राइडीमाइट (Tridymite).
यह पदार्थ ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाला पदार्थ है. यह एक तरह का क्वार्ट्ज (quartz) है, जो उच्च तापमान और कम दबाव पर बनता है. यह पृथ्वी पर ही बेहद दुर्लभ है और ऐसे में इसका लाल ग्रह पर मिलना वैज्ञानिकों को हैरान कर गया.
अर्थ एंड प्लैनेटरी साइंस लेटर्स ( Earth and Planetary Science Letters) में प्रकाशित एक शोध ने यही समझाने की कोशिश की है कि यह खनिज मंगल पर कैसे पहुंचा.
शोध की लेखक राइस यूनिवर्सिटी (Rice University) की डॉ क्रिस्टन सीबैक (Dr Kirsten Siebach) का कहना है कि गेल क्रेटर में ट्राइडीमाइट का मिलना, क्यूरियोसिटी रोवर के पिछले 10 सालों की खोज का सबसे अच्छा और हैरान करने वाला नतीजा है.
ट्राइडीमाइट आमतौर पर पृथ्वी पर क्वार्ट्ज के बनने, विस्फोटक, विकसित ज्वालामुखियों से जुड़ा है, लेकिन हमने इसे मंगल ग्रह पर एक प्राचीन झील की तली पर पाया, जहां के ज्यादातर ज्वालामुखी बहुत पुराने हैं.
उनका कहना है कि मंगल ग्रह पर झील के पानी और ज्वालामुखी ने ट्राइडीमाइट को बनाया होगा. मंगल ग्रह का मैग्मा (Martian magma) अपने चैंबर में सामान्य से अधिक समय तक रहा, जहां सिलिकॉन जमा होने तक इसमें कुछ क्रिस्टलीकरण हुआ. इसके बाद इसमें से विशाल राख का बादल निकला, जिसमें ट्राइडीमाइट भी था, जो गेल क्रेटर झील और आसपास की नदियों में जमा हो गया.
Over seven years ago, NASA’s Curiosity came across something that scientists did not expect to see on Mars: tridymite. It is rare on Earth, and it was not exactly clear how it could have been found on the Red Planet.https://t.co/FXbmiqJjcZ
— IFLScience (@IFLScience) August 12, 2022
शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि 3 अरब साल पहले मंगल ग्रह पर ज्वालामुखी विस्फोट हो रहे थे, क्योंकि ग्रह गीली दुनिया से आज के शुष्क और ठंडे रेगिस्तान में बदल रहा था. डॉ क्रिस्टन का कहना है कि मंगल पर बेसाल्टिक ज्वालामुखी विस्फोट के पर्याप्त सबूत हैं, लेकिन इसमें कैमिस्ट्री ज़्यादा है. शोध से पता चलता है कि मंगल ग्रह का एक बहुत जटिल और पेचीदा ज्वालामुखी इतिहास हो सकता है.