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पृथ्वी जैसे प्राचीन ग्रह के अवशेषों को खाता दिख रहा है एक तारा, 1000 करोड़ साल पहले बन गया था White Dwarf 

खगोलविदों ने दो प्रचीन व्हाइट ड्वार्फ को खोजा है. इनमें से एक 1020 करोड़ साल पहले बना था और दूसरा 900 करोड़ साल पहले. दोनों तारों का रंग अलग अलग है. एक लाल और एक नीला. वैज्ञानिकों का कहना है कि नीले रंग का तारा, पृथ्वी जैसे किसी ग्रह के अवशेषों को खा रहा है.

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तस्वीर में लाल और नीला व्हाइट ड्वार्फ को देखा जा सकता है (Photo: University of Warwick-Dr Mark Garlick)
तस्वीर में लाल और नीला व्हाइट ड्वार्फ को देखा जा सकता है (Photo: University of Warwick-Dr Mark Garlick)

ऐसा नहीं है कि सभी तारे मरने के बाद सुपरनोवा (Supernova) में खत्म हो जाते हैं. कहीं कहीं मामला इतनी जल्दी शांत नहीं होता. जब किसी तारे का ईंधन खत्म हो जाता है और वो अस्थिर हो जाता है, तो वो फूलकर विशाल आकार में बदल जाता है. और उसका कोर एक छोटे, अल्ट्राडेंस सफेद ड्वार्फ (White Dwarf) में बदल जाता है.

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इसे ऐसे समझें. हमारा सूर्य अगर निष्क्रिय हो जाएगा, तो वह मंगल ग्रह की तरफ बढ़ेगा. यह एक प्रक्रिया होती है जिसमें निष्क्रीय तारा अपने करीबी ग्रहों को अस्थिर और नष्ट कर देता है. लेकिन ऐसे व्हाइट ड्वार्फ तारे भी हैं जिनके आस-पास ग्रह हैं, इससे पता चलता है कि वे इस प्रक्रिया से बच सकते हैं. लेकिन वैज्ञानिकों को यह भी पता चला है कि व्हाइट ड्वार्फ कई एक्सोप्लैनेट खा जाते हैं. खगोलविदों ने इसके सबसे पुराने उदाहरण की खोज की है- एक व्हाइट ड्वार्फ जो करीब 1020 करोड़ साल पहले बना था और जिसने एक एक्सोप्लैनेट को निगल लिया था.

दो व्हाइट ड्वार्फ का पता लगा

यह व्हाइट ड्वार्फ पृथ्वी से करीब 90 प्रकाश-वर्ष दूर है. यह अविश्वसनीय रूप से बहुत छोटा और मंद है, दूसरे व्हाइट ड्वार्फ की तुलना में इसका रंग असामान्य रूप से लाल है. दूसरा व्हाइट ड्वार्फ असामान्य रूप से नीला है, जो 900 करोड़ साल पहले बना था. टीम ने पाया कि दोनों तारे, ग्रहों के मलबे से हो रहे प्रदूषण का सामना कर रहे हैं.

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लाल तारे का नाम WD J2147-4035 है, जो अब तक खोजे गए सबसे पुराना प्रदूषित व्हाइट ड्वार्फ है, जबकि नीले तारे का नाम है WD J1922+0233, जो बेहद दिलचस्प है. इसके वातावरण में पाए जाने वाले तत्व बताते हैं कि यह तारा पृथ्वी जैसे एक ग्रह को खा रहा है.

ब्रिटेन में वारविक यूनिवर्सिटी की एस्ट्रो फिज़िसिस्ट एबिगेल एल्म्स कहती हैं कि हम किसी तारे से उत्पन्न प्रकाश से उसके वायुमंडल की रासायनिक संरचना का पता लगा सकते हैं. सभी वेवलेंथ एक जैसी नहीं होतीं. कुछ मजबूत होती हैं, कुछ कमजोर होती हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि तत्व तारे से निकलने वाले प्रकाश के स्पेक्ट्रम को बदलकर, प्रकाश को अवशोषित और पुन: उत्सर्जित कर सकते हैं.

जब यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) की गैया स्पेस ऑब्ज़रवेट्री (Gaia space observatory) ने दो असामान्य रंग के व्हाइट ड्वार्फ की पहचान की, तो एबिगेल एल्म्स और उनके सहयोगियों ने इन दोनों पर शोध करना शुरू कर दिया. मंथली नोटिसेस ऑफ़ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में यह शोध प्रकाशित हुआ है.

शोध के मुताबिक, दोनों व्हाइट ड्वार्फ तारों में शक्ति नहीं है, उनका तापमान धीरे-धीरे कम हो रहा है. दोनों तारों के तापमान लेकर, शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया कि वे कितने समय पहले बने थे. इसके बाद, उन्होंने इन तारों के स्पेक्ट्रा का विश्लेषण किया. लाल तारे पर, उन्हें सोडियम, लिथियम, पोटेशियम और कार्बन मिला. जबकि नीले तारे पर, उन्हें सोडियम, कैल्शियम और पोटेशियम मिला.

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WD J2147-4035 के मामले में, टीम का कहना है कि प्रदूषण शायद किसी ऐसे ग्रह के अवशेष थे, जो मरने से पहले तारे की परिक्रमा करता था. उसकी मौत सामान्य तारे की तरह नहीं हुई थी और अब वह करोड़ों सालों से धीरे-धीरे मर रहा है. चूंकि यह तारा 1000 करोड़ साल पहले व्हाइट ड्वार्फ में बदल गया था, इसलिए ये मिल्की वे में सबसे पुराना ज्ञात प्लैनेटरी सिस्टम बनाता है.

इस बीच, जो मलबा WD J1922+0233 को प्रदूषित कर रहा है उसकी संरचना पृथ्वी के क्रस्ट की तरह ही है. वो पृथ्वी जैसा ग्रह हो सकता है, जो सूर्य जैसे तारे की परिक्रमा करता होगा, जो सौर मंडल के बनने से अरबों साल पहले मौजूद था और मर गया था.

 

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