बच्चे पैदा करने के लिए क्या चाहिए होता है? एक नर और एक मादा. दुनिया भर के जीवों की ज्यादातर प्रजातियों में होता है. नर के स्पर्म और मादा के अंडे मिलकर भ्रूण बनाते हैं. फिर कुछ तय समय बाद बच्चा पैदा होता है. लेकिन वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक निकाली है, जिससे अब बच्चे पैदा करने के लिए मादाओं की जरुरत नहीं पड़ेगी.
हाल ही में वैज्ञानिकों ने दो नर चूहों के शरीर से कोशिकाओं को निकाल कर उससे अंडा बनाया. फिर नर चूहे के स्पर्म और अंडे को मिलाकर चूहा बनाया गया है. यानी भविष्य में यह इंसानों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है. तो अगर कोई नर इंसान अकेले बच्चा पालना चाहता है, तो वह कर सकता है. समलैंगिकों को इससे फायदा होगा.
साथ ही उन महिलाओं को भविष्य में मां बनने से आजादी मिलेगी, जिनकी सेहत उन्हें गर्भधारण की अनुमति नहीं देती. या उन लोगों को जो नंपुषकता से जूझ रहे हों. कुल मिलाकर इस तकनीक से प्रजनन संबंधी बीमारियों का इलाज होना आसान हो जाएगा. सेम-सेक्स कपल को उनका खुद का बायोलॉजिकल बच्चा मिल जाएगा. गोद नहीं लेना होगा.
इंसानों के बच्चे पैदा करने में लगेंगे दस साल
जापान के क्यूशू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता कात्शुहिको हायाशी ने बताया कि वो और उनकी टीम ने मिलकर पहली बार स्तनधारी ऊसाइट्स बनाया है. वह भी नर कोशिकाओं से. कात्शुहिको हायाशी पूरी दुनिया में आर्टिफिशियल स्पर्म और अंडे बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं. उन्होंने यह रिपोर्ट लंदन में 7 मार्च को इंटरनेशनल समिट ऑन ह्यूमन जिनोम एडिटिंग में पेश की.
कात्शुहिको हायाशी ने बताया कि नर चूहों की कोशिकाओं से हमने अंडा तो बना लिया है. लेकिन नर इंसानों की कोशिकाओं से अंडा बनाने में कम से कम अभी एक दशक और लगेगा. हम भविष्य में लैब में ही इंसानी अंडे बना लेंगे. लेकिन महिलाओं की कोशिकाओं से इसे बनाने में काफी समय लग सकता है. अभी जो चूहा बना है, उसके दो बाप हैं. यानी दो बायोलॉजिकल फादर. जिन्होंने उसे पैदा किया है.
इंसानों की कोशिकाओं पर प्रयोग शुरू हुआ
कात्शुहिको हायाशी और उनकी टीम अब यही प्रयोग इंसानों की कोशिकाओं के साथ करना शुरू कर चुके हैं. हायाशी कहते हैं कि तकनीकी तौर पर नर इंसानों की कोशिकाओं से बिना मादा यानी महिला की मदद के बच्चे पैदा करने में कम से कम अभी 10 साल लग जाएंगे. क्लीनिकली इसे सुरक्षित बनाने की तकनीक बनाने में समय लगेगा. ये खोज अगर सफल होती है तो सिर्फ विज्ञान को ही फायदा नहीं होगा, बल्कि समाज को भी होगा.
इस तकनीक से भविष्य में उन महिलाओं का इलाज भी हो सकता है, जो टर्नर सिंड्रोम से पीड़ित हैं. यानी जिनके शरीर में X क्रोमोसोम की एक कॉपी लापता होती है. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के डीन प्रो. जॉर्ज डेली ने कहा कि हायाशी की तकनीक कमाल की है. लेकिन लैब में नर इंसानों की कोशिकाओं से अंडे बनाना आसान नहीं होगा. ये चूहों में आसान था. क्योंकि इंसानों की विशिष्ट गैमेटोजेनेसिस की प्रक्रिया को वैज्ञानिक अभी तक समझ नहीं पाए हैं.
Scientists create mice with two fathers after making eggs from male cells https://t.co/u4GWuDrFbX
— Guardian Science (@guardianscience) March 8, 2023
कैसे किया गया यह कमाल...
नर के त्वचा से कोशिका ली गई. उसे रीप्रोग्राम करके स्टेम-सेल जैसी स्थिति में पहुंचाया गया. ताकि वह इंड्यूस्ड प्लूरीपोटेंट स्टेम (iPS) कोशिका बन सके. इसके बाद इसमें से Y क्रोमोसोम्स को हटा दिया गया. इसमें दूसरे नर से लिए गए X क्रोमोसोम्स को iPS कोशिका में डाला गया. अब वहां दो X क्रोमोसोम्स थे. इसमें सबसे कठिन काम था X क्रोमोसोम्स का डुप्लीकेट बनाना. लेकिन हायाशी की टीम ने यह कमाल कर दिखाया.
इसके बाद इन कोशिकाओं को ओवरी ऑर्गेनॉयड में विकसित करने के लिए छोड़ दिया गया. ओवरी ऑर्गेनॉयड एक कल्चर सिस्टम है, जो कोशिकाओं को रेप्लीकेट करने में मदद करती है. इसके बाद यह अंडे में तब्दील हो गए. फिर इसमें सामान्य स्पर्म डालकर 600 भ्रूण बनाए गए. इसके बाद उन्हें सरोगेट चूहे के अंदर डाला गया. इनसे सात चूहे के बच्चे पैदा हुए. सभी नवजात चूहे सेहतमंद थे.
बड़ा कदम होगा- बिना महिला के बच्चा पैदा करना
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में लैब में काम करने वाली प्रो. एमेंडर क्लार्क ने कहा कि हायाशी ने बड़ा कदम उठा लिया है. जिस दिन वो ये काम इंसानों के साथ करने में कामयाब हो जाएंगे, वो भविष्य बदल देंगे. लेकिन अब भी महिलाओं की कोशिकाओं से लैब में कोशिका नहीं बनाया जा सका है. यानी पुरुषों में तो थोड़ा और समय लग सकता है. वैज्ञानिक इंसानी अंडे के शुरुआती चरण को लैब में बना चुके हैं. लेकिन वह एक स्टेज के बाद विकसित नहीं हो रहा है. वैज्ञानिक एक बॉटलनेक सिचुएशन में फंस गए हैं. अब अगली चुनौती इंजीनियरिंग से संबंधित है. लेकिन 10 से 20 साल में ये काम भी हो जाएगा.