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क्या वाकई मम्मी-पापा की नजर में एक बच्चा सबसे फेवरेट होता है? इस नई साइंट‍िफ‍िक स्टडी में मिला जवाब

कहते हैं मां-बाप की नजर में उसके सभी बच्चे वैसे ही बराबर होते हैं, जैसे हाथ की पांचों उंगल‍ियां. फिर भी अक्सर घरों में एक बच्चे को पेरेंट्स का फेवरेट बच्चा जरूर कहा जाता है. यह बात स‍िर्फ ऐसे ही नहीं कही जाती, अब तो स्टडीज में भी ये सामने आ गया है. आइए जानते हैं कैसे ये तय होता है. 

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क्या आपको कभी लगा है कि आपके पेरेंट्स आपके भाई या आपकी बहन को ज्यादा ही पसंद करते हैं. आप उनसे एकाध बार कह भी चुके हैं, तब भी आपको यह अंतर समझ आ जाता है. तो आपको बता दें कि अगर आप घर के सबसे छोटे बेटे हैं तो शायद आप ऐसा जरूर फील करते हों. इस व‍िषय पर हुई स्टडी में कुछ ऐसा ही तथ्य सामने आया. 

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साइकोलॉजिकल बुलेटिन पत्रिका में प्रकाशित एक नए मेटा-विश्लेषण से पता चला है कि घर में सबसे बड़ी बेटियों को अपने माता-पिता से अधिक वरीयता मिलने की संभावना होती है. इसके लिए र‍िसर्चर्स ने 30 पीयर रिव्यूव्ड जर्नल आर्ट‍िकल और 14 डेटा बेस में 19,469 प्रतिभागियों का अध्ययन किया. इसमें बर्थ ऑर्डर, जेंडर, स्वभाव और पर्सनेल‍िटी ट्रेट जैसे इंट्रोवर्ट होना या न्यूरोट‍िज्म आद‍ि के कारण माता-पिता का पलड़ा पक्षपात के कारण एक तरफ ज्यादा झुकने की संभावना देखी गई . हालांकि शोधकर्ताओं को यह उम्मीद थी कि माताएं बेटियों को और पिता बेटों को अधिक पसंद करते हैं, लेकिन अध्ययन में पाया गया कि माता और पिता दोनों की ही बेटी को अधिक पसंद करने की संभावना पाई गई. 

बड़ी बेटी होती है फेवरेट

वहीं बर्थ ऑर्डर को देखते हुए, माता-पिता बड़े बच्चे को ज्यादा आजादी देने की संभावना रखते थे, जिसे शोधकर्ताओं ने तरजीह देने वाले व्यवहार के रूप में अध्ययन किया. उन्होंने पक्षपात को इस रूप में भी वर्गीकृत किया कि माता-पिता अपने बच्चों पर कितना पैसा खर्च कर रहे थे, साथ ही वे उन पर कितना नियंत्रण रखते थे.  मूल्यांकन किए गए पर्सनेलिटी ट्रेट में से जो बच्चे जिम्मेदार और संगठित थे, उन्हें अधिक अनुकूल व्यवहार दिया गया. इससे पता चलता है कि माता-पिता को शायद इन बच्चों को संभालना आसान लग सकता है और वे अधिक सकारात्मक प्रतिक्रिया दे सकते हैं. अध्ययन में पाया गया कि ऐसी संभावना है कि माता और पिता दोनों की ही बेटी ही अपनी पसंदीदा संतान होती है. 

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बच्चों पर पड़ता है भेदभाव का असर

अमेरिका के ब्रिघम यंग विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख लेखक डॉ. एलेक्जेंडर जेन्सन ने एक वेबसाइट को दिए बयान में कहा कि दशकों से शोधकर्ताओं को पता है कि माता-पिता द्वारा अलग व्यवहार के कारण बच्चों पर दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं. यह अध्ययन हमें यह समझने में मदद करता है कि किन बच्चों के पक्षपात का शिकार होने की अधिक संभावना है, जो सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पर‍िणाम दे सकता है. जेन्सन और उनकी टीम ने यह भी पाया कि जिन भाई-बहनों को कम अनुकूल व्यवहार मिला, उनका मानसिक स्वास्थ्य समग्र रूप से खराब था और उनके पारिवारिक रिश्ते अधिक तनावपूर्ण थे. 

जेन्सन ने आगे कहा कि यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह शोध सहसंबंध पर है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि माता-पिता कुछ खास बच्चों को क्यों पसंद करते हैं. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. लेकिन यह उन संभावित क्षेत्रों को उजागर करता है जहां माता-पिता को अपने बच्चों के साथ अपनी बातचीत के बारे में अधिक सावधान रहने की आवश्यकता हो सकती है. 

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