अमेरिका में बड़े-बड़े जमीन टूट-टूटकर समुद्र में समा जाएंगे. या फिर समुद्र उन्हें निगल जाएगा. अगर किसी भी तरह से ये नहीं हुआ तो कई द्वीप बनेंगे और बिगड़ेंगे. क्योंकि अमेरिका के तटीय इलाकों पर बसने वाले शहर पानी में डूबने जा रहे हैं. इसमें ज्यादा समय नहीं बचा है. सिर्फ 77 साल ही हैं. यानी इस सदी के अंत तक.
न्यूजीलैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैंटरबरी और यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के साइंटिस्ट टॉम लोगन, एमजे एंडरसन और एलिसन रीली ने अमेरिका के पर्यावरणीय भविष्य की स्टडी की है. उन्होंने अपनी स्टडी में बताया है कि कैसे हर एक दशक के बाद अमेरिका की हालत खराब होती चली जाएगी. साल 2100 तक अमेरिका में 90 लाख से लेकर 1.20 करोड़ लोग बढ़ते समुद्री जलस्तर से प्रभावित होंगे.
गाहे-बेगाहे आने वाले हाई-टाइडल फ्लड और समुद्री तूफानों की मात्रा बढ़ जाएगी. इससे बड़े शहरों के तटीय इलाके या तो समुद्र में डूब जाएंगे. या फिर वो कटकर द्वीप बन जाएंगे. इस वजह से कई तटीय इलाकों में बाढ़ आएगी. सड़कों और ब्रिजों का नुकसान होगा. अगर ऐसे माहौल में हरिकेन या चक्रवात आ गया तो तबाही भयानक स्तर पर होगी.
2080 से ही दिखने लगेगा असर
वैज्ञानिकों ने इसके लिए तीन मानक तय किए हैं. जिसमें बताया गया है कि कितना तापमान बढ़ने पर 0.5 मीटर, 1 मीटर और दो मीटर जलस्तर बढ़ेगा. अगर दो मीटर जलस्तर बढ़ता है तो सच मानिए अमेरिका का एक बड़ा हिस्सा पानी में डूब जाएगा. 2080 तक यह खतरा कम है लेकिन उसके अगले दो दशक में समुद्री जलस्तर तेजी से बढ़ेगा. फिर अमेरिकी तटीय राज्यों और शहरों को दिक्कत आने वाली है.
नासा ने 2050 की भविष्यवाणी की
कम से कम बुरे हालात में अमेरिका में 5 लाख लोग तो प्रभावित होने ही वाले हैं. अगर एक एक मीटर पानी बढ़ा तो 10 लाख या उससे ज्यादा लोग प्रभावित होंगे. पिछली साल नवंबर में भी NASA की एक स्टडी आई थी, जिसमें बताया गया था कि साल 2050 से ही अमेरिका के लगभग सभी तट बढ़ते समुद्री जलस्तर की वजह से डूब जाएंगे.
न्यूयॉर्क, सैन फ्रांसिस्को को भी खतरा
तटों के डूबने का खतरा ही नहीं है, बल्कि हर छोटे-मोटे तूफान में समुद्री बाढ़ आने का खतरा बढ़ जाएगा. नासा की यह स्टडी 30 सालों के सैटेलाइट डेटा पर हुई थी. नासा ने बताया कि अमेरिका के तट 2050 तक एक फीट डूब जाएंगे. सबसे बुरी हालत होगी खाड़ी के तट की. इसके बाद दक्षिणपूर्व तटों की. यानी न्यूयॉर्क, सैन फ्रांसिस्को, लॉस एंजेल्स और वर्जीनिया जैसे कई तटीय राज्य.
100 सालों के डेटा का एनालिसिस
अमेरिका के पूर्वी तट पर जलस्तर 10 से 14 इंच बढ़ेगा. खाड़ी तट पर 14 से 18 और पश्चिमी तट पर 4 से 8 इंच बढ़ेगा. स्टडी के लिए नासा ने सैटेलाइट अल्टीमीटर से समुद्री सतह को नापा. उसके बाद NOAA के टाइड गॉज रिकॉर्ड्स से मिलाया. नोआ यह डेटा पिछले 100 सालों से जमा कर रहा है. इसके बाद नासा यह बात स्पष्ट तौर पर समझ पाया कि उनकी रीडिंग्स गलत नहीं है. ग्राउंड लेवल पर भी डेटा सही है.
जितनी ज्यादा गर्मी उतना खतरा
नासा की यह स्टडी भी डरा रही है. समुद्रों का जलस्तर बढ़ रहा है. वजह भी पता है. जितना ज्यादा ध्रुवीय बर्फ पिघलेगी, उतना ज्यादा जलस्तर बढ़ेगा. ध्रुवीय बर्फ ग्लोबल वॉर्मिंग से पिघल रही है. जमीन, जल और हवा तीनों गर्म होते जा रहे हैं. गल्फ कोस्ट पर सबसे ज्यादा असर होने वाला है. हरिकेन और तूफानों-चक्रवातों का खतरा भी बढ़ जाएगा. अमेरिकी तटों को अल-नीनो और ला-नीना के प्रभावों का सामना 2030 के मध्य तक ज्यादा करना होगा.
2050 तक तो बहुत बुरी स्थिति हो जाएगी. तटों पर समुद्र आगे आ जाएगा. अल-नीनो की वजह से समुद्री सतह गर्म होती है. जिससे ज्यादा तूफान आएंगे. समुद्री जलस्तर अगर बढ़ता है तो उससे मौसम में बदलाव होगा. ये बदलाव खतरनाक हो सकता है. ये बात सिर्फ अमेरिका की नहीं है. बल्कि इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा.