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जितनी गर्मी बढ़ेगी, उतने ज्यादा भूकंप आएंगे... वैज्ञानिकों का डराने वाला खुलासा

गर्मी बढ़ने से ग्लेशियर पिघल रहे हैं. जंगलों में आग लग रही है. ज्यादा बारिश हो रही है. तूफान आ रहे हैं. सवाल ये है कि क्या इससे भूकंप भी ज्यादा आएंगे? वैज्ञानिकों ने स्टडी करके जो खुलासा किया है, वो डराने वाला है. जितनी ज्यादा गर्मी बढ़ेगी. उतने ही ज्यादा भूकंपों की संख्या बढ़ेगी. पढ़िए सांस अटकाने वाली रिपोर्ट...

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2010 में हैती में आए भूकंप के बाद गिरी इमारत के पास लेटा घायल व्यक्ति. (सभी फोटोः गेटी)
2010 में हैती में आए भूकंप के बाद गिरी इमारत के पास लेटा घायल व्यक्ति. (सभी फोटोः गेटी)

भूकंप ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिसकी भविष्यवाणी मुश्किल है. भूकंप आने की वजह से आग लगती है. भूस्खलन होते हैं. सुनामी आती है. लेकिन क्या जलवायु परिवर्तन या बढ़ते तापमान की वजह से ज्यादा भूकंप आ सकते हैं. सबसे खतरनाक भूकंप वो होते हैं, जो टेक्टोनिक प्लेट्स की वजह से आते हैं. 

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ये प्लेट्स ही धरती की ऊपरी लेयर क्रस्ट और उसके नीचे की लेयर मैंटल बनाते हैं. धरती के केंद्र से निकलने वाली गर्मी इन प्लेट्स को हिलाती-डुलाती हैं. कम से कम एक साल में आधा इंच. ये प्लेट्स एकदूसरे से टकराती हैं. ऊपर चढ़ती हैं. नीचे धंसती हैं. घिसटती हैं. इनसे जो प्रेशर निकलता है, वो रिलीज होने पर भूकंप आता है. 

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Rising Temperature, Earthquake, Climate Change

इसलिए यह पता करना मुश्किल है कि भूकंप कब आएगा? इसलिए इस आपदा को लेकर पहले से कोई तैयारी नहीं की जा सकती. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ कनाडा और यूनिवर्सिटी ऑफ विक्टोरिया के भूकंप विज्ञानी जॉन कैसिडी कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन और बढ़ता तापमान भूकंपों की संख्या और तीव्रता बढ़ा सकता है. 

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गर्मी से ग्लेशियर पिघलेंगे, पानी समंदर में जाएगा और फिर... 

तापमान बढ़ने से ग्लेशियर पिघलते हैं. उनसे निकलने वाला पानी समंदर में जाता है. इससे समंदर का जलस्तर बढ़ता है. यानी ऊपर से दबाव बढ़ता है धरती के पहले लेयर पर. जैसे ही ये प्रेशर रिलीज होता है, भूकंप आने लगता है. इसी प्रेशर की वजह से टेक्टोनिक प्लेट्स हिलती हैं. या फिर दबाव रिलीज करने के लिए फ्री होती हैं.

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Rising Temperature, Earthquake, Climate Change

जैसे ही टेक्टोनिक प्लेट प्रेशर रिलीज करता है, भूकंप आता है. जर्मनी के जियोफिजिसिस्ट मार्को बॉनहॉफ कहते हैं जितना ज्यादा समंदर का जलस्तर बढ़ेगा. उसकी तलहटी में दबाव बढ़ेगा. ये दबाव फॉल्ट लाइन्स पर पड़ेगा. जितना ज्यादा प्रेशर बढ़ेगा, उतना ही ज्यादा भूकंप आने का खतरा बढ़ता चला जाएगा. 

दबाव से पैदा होने वाले भूकंपों का पता करना मुश्किल 

मार्को कहते हैं कि ऐसे भूकंपों का सीस्मिक साइकिल धीमा होता है. ये लंबे समय तक दबाव झेलते रहते हैं. इसके बाद अचानक से फट पड़ते हैं. ऐसे भूकंपों के आने की आशंका सैन फ्रांसिस्को औऱ लॉस एंजेल्स पर है. लेकिन यह कब आएगा यह नहीं बता सकते. उम्मीद है कि ये अगले कुछ दशकों में होगा. 

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इस समय जितनी ग्रीनहाउस गैस निकल रही है. उसके हिसाब से कम से कम एक हजार साल तक समंदर का जलस्तर बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. तटीय भूकंपों के आने की तीव्रता बढ़ जाएगी. संख्या बढ़ जाएगी. लंबे समय के बाद आने वाले तटीय भूकंप जल्दी-जल्दी आएंगे. ऐसा अगले 1000 साल में सैन एंड्रियास फॉल्ट में हो सकता है. 

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