बढ़ते तापमान के साथ घरेलू हिंसा भी बढ़ रही है. भारत और उसके आसपास के देशों में ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से घरेलू और यौन हिंसाओं की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. यानी ग्लोबल वॉर्मिंग का असर निजी संबंधों पर भी पड़ रहा है. महिलाओं के खिलाफ इंटिमेट पार्टनर वायलेंस (IPV) में बढ़ोतरी हो रही है.
भारत, पाकिस्तान और नेपाल की 15 से 49 साल की 1.94 लाख से ज्यादा महिलाओं ने यह शिकायत की है कि उनके साथ भावनात्मक, शारीरिक और यौन हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं. यह डेटा 1 अक्टूबर 2010 से 30 अप्रैल 2018 के बीच की है. यह स्टडी हाल ही में JAMA Psychiatry में प्रकाशित हुई है.
इस स्टडी को चीन, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, तंजानिया और इंग्लैंड के वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने किया है. स्टडी में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि वैज्ञानिकों ने जब महामारीविज्ञान और अधिक तापमान के हिसाब से डेटा देखा तो पता चला कि बढ़ते तापमान के साथ महिलाओं के साथ इंटिमेट पार्टनर वायलेंस की घटनाएं बढ़ी हैं.
भविष्य में पारा चढ़ेगा तो हिंसा और बढ़ेगी
वैज्ञानिकों ने देखा कि सालाना तापमान जब 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ता है, तब IPV की मात्रा 4.9 फीसदी बढ़ जाती है. सबसे ज्यादा शारीरिक हिंसा दर्ज की गई. शारीरिक हिंसा 23 फीसदी, भावनात्मक हिंसा 12.5 फीसदी और यौन हिंसा 9.5 फीसदी. औसत सालाना तापमान 20 डिग्री से 30 डिग्री सेल्सियस था.
इस सदी के अंत तक IPV 21 फीसदी बढ़ जाएगी. क्योंकि लगातार कार्बन उत्सर्जन हो रहा है. तापमान का बढ़ना रुक नहीं रहा है. अगर ग्लोबल वॉर्मिंग को रोका नहीं गया तो यह स्थिति बनने में देर नहीं लगेगी कि महिलाओं के साथ हिंसा के मामले बढ़ते चले जाएं. सदी के अंत तक शारीरिक हिंसा के मामले 28.3 फीसदी, यौन हिंसा बढ़कर 26.1 और भावनात्मक हिंसा 8.9 फीसदी हो सकती है.
भारत में इंटिमेट पार्टनर वायलेंस ज्यादा
भारत में IPV का स्तर 2090 तक बढ़कर 23.5 फीसदी हो जाएगा. इसके बाद 14.8 फीसदी की दर के साथ नेपाल दूसरे नंबर पर रहेगा. जबकि, 5.9 फीसदी के साथ पाकिस्तान सबसे कम IPV वाला देश होगा. इस स्टडी का एनालिसिस 2 जनवरी 2022 से 11 जुलाई 2022 तक किया गया है.
क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वॉर्मिंग का असर सबसे ज्यादा भारत, चीन, अमेरिका और यूरोप में देखने को मिला है. इन देशों के कई शहरों में लगातार हीटवेव की आपदा आई है. IPV का 4.9 फीसदी बढ़ने का मतलब है घरेलू हिंसा की संख्या में 6.3 फीसदी का इजाफा. जिसमें शारीरिक और यौन घरेलू हिंसा भी शामिल हैं.
दुनिया के कई देश जूझ रहे हैं हीटवेव से
पूरी दुनिया में कई देश अत्यधिक तापमान और हीटवेव की चपेट में हैं. इस महीने ही भारत में कई जगहों पर पारा 45 डिग्री सेल्सियस के ऊपर जाने की वजह से दर्जनों मौते हुई थीं. भूमध्यसागर के आसपास का यूरोपीय इलाका अप्रैल में भयानक हीटवेव की चपेट में था. टेक्सास में लगातार तीसरे हफ्ते 46 डिग्री सेल्सियस तापमान चल रहा है.
चीन ने अपने उत्तरी इलाकों में रहने वाले लोगों से घरों में रहने की अपील की है, क्योंकि पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया है. येल यूनिवर्सिटी में एनवायरमेंट हेल्थ की प्रोफेसर और इस स्टडी में शामिल मिशेल बेल ने कहा कि बढ़ते तापमान का असर शारीरिक और सामाजिक दोनों तरह से होता है. जिसकी वजह से घरेलू हिंसा बढ़ने की पूरी आशंका रहती है.
A study published in JAMA Psychiatry found an increase in average annual temperature was connected to a rise of more than 6.3% in incidents of physical and sexual #domesticviolence across three south Asian countries. https://t.co/mQZVCZRj07
— UNSW Gendered Violence Research Network (@UNSW_GVRN) June 28, 2023
बढ़ती गर्मी की वजह से बढ़ता है तनाव
ज्यादा तापमान की वजह से फसलें खराब होती हैं. ढांचागत विकास रुक जाता है. आर्थिक व्यवस्थाएं कमजोर होने लगती हैं. लोग घरों में कैद हो जाते हैं. लोग ढंग से काम नहीं कर पाते. इसकी वजह से किसी भी परिवार पर भारी दबाव बन सकता है. तनाव बढ़ सकता है. ऐसे में घरेलू हिंसा के मामलों के बढ़ने का खतरा रहता है.
घरेलू हिंसा के मामले सबसे ज्यादा कम कमाई वाले परिवारों और ग्रामीण इलाकों में बढ़े हैं. इससे पहले ऐसी स्टडी मैड्रिड के वैज्ञानिकों ने की थी. उन्होंने केन्या की महिलाओं पर स्टडी किया था. तब वहां पर बढ़ते तापमान की वजह से इंटिमेट पार्टनर फेमिसाइड 40 फीसदी बढ़ गया था. यानी घरेलू हिंसा. दो लोगों के बीच हिंसा की दर 2.3 फीसदी हो गई थी. जबकि समूहों के बीच 13.2 फीसदी हो गई थी.