रूस का लूना-25 (Luna-25) मून मिशन चांद की ऑर्बिट में पहुंच गया है. रूसी स्पेस एजेंसी ने कहा कि देश की महत्वकांक्षी अंतरिक्ष मिशन में यह बड़ी उपलब्धि है. अब अगले पांच दिनों तक लूना-25 चांद के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. इसके बाद 21 अगस्त को दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा.
रूस करीब 47 साल बाद चांद पर अपना कोई लैंडर उतार रहा है. रूस ने अपना मून मिशन Luna-25 मिशन को 11 अगस्त को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. रूसी मून मिशन भारत के Chandrayaan-3 से करीब एक महीना बाद लॉन्च किया गया. लेकिन यह चंद्रयान से पहले चांद की सतह पर लैंड करेगा.
Russia's lunar spacecraft entered the moon's orbit on Wednesday, a major step towards the country's ambition of being the first to land on the moon's south pole in the search for frozen water. https://t.co/Kam1y2q9KX
— Reuters Science News (@ReutersScience) August 16, 2023
11 अगस्त की सुबह 4:40 बजे अमूर ओब्लास्ट के वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से Luna-25 मिशन लॉन्च किया गया. लॉन्चिंग सोयुज 2.1बी रॉकेट से किया गया. इसे लूना-ग्लोब (Luna-Glob) मिशन भी कहते हैं. 1976 के लूना-24 मिशन के बाद से आज तक रूस का कोई भी यान चांद के ऑर्बिट तक नहीं पहुंचा है.
रूस के वैज्ञानिकों का दावा है कि चांद के ऑर्बिट में पहुंचना उनके इस मिशन सफलता के लिए बेहद जरूरी हिस्सा है. कुछ लोग इस समय चांद की तरफ चल रेस को लेकर नई बातें कह रहे हैं. कहा जा रहा है कि इस समय दूसरी बार चंद्रमा को लेकर रेस चल रही है. इससे पहले अमेरिका और सोवियत संघ के बीच चल रही थी.
चांद के ऑर्बिट में ऐसे पहुंचा रूस का मून मिशन
यह रॉकेट करीब 46.3 मीटर लंबा है. इसका व्यास 10.3 मीटर है. इसका वजन 313 टन है. चार स्टेज के रॉकेट ने Luna-25 लैंडर को धरती के बाहर एक गोलाकार ऑर्बिट में छोड़ा. जिसके बाद यह स्पेसक्राफ्ट चांद के हाइवे पर निकल गया. इस हाइवे पर ही 5 दिन की यात्रा करेगा. इसके बाद चांद के चारों तरफ 7-10 दिन चक्कर लगाएगा.
सतह पर लैंडिंग के लिए लगाई गई है जटिल प्रणाली
21 या 22 अगस्त को लूना-25 चांद की सतह पर उतरेगा. इसका लैंडर चांद की सतह पर 18 किलोमीटर ऊपर पहुंचने के बाद लैंडिंग शुरू करेगा. करीब 15 किलोमीटर ऊंचाई कम करने के बाद 3 किलोमीटर की ऊंचाई से पैसिव डिसेंट होगा. यानी धीरे-धीरे लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा. 700 मीटर ऊंचाई से थ्रस्टर्स तेजी से ऑन होंगे ताकि इसकी गति को धीमा कर सकें. 20 मीटर की ऊंचाई पर इंजन धीमी गति से चलेंगे. ताकि यह लैंड हो पाए.
चांद की सतह पर क्या करेगा Luna-25
लूना-25 चंद्रमा पर साल भर काम करेगा. इसका वजन 1.8 टन है. इसमें 31 KG के वैज्ञानिक यंत्र हैं. एक यंत्र लगा है जो सतह की 6 इंच खुदाई करके, पत्थर और मिट्टी का सैंपल जमा करेगा. ताकि फ्रोजन वाटर यानी जमे हुए पानी की खोज की जा सके. ताकि भविष्य में जब इंसान चांद पर बेस बनाए तो उसके लिए वहां पानी की व्यवस्था की जा सके.
चांद पर कहां उतरेगा रूस का मून मिशन
Luna-25 चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास मौजूद बोगुस्लावस्की क्रेटर (Boguslavsky Crater) के पास उतरेगा. इसके पास लैंडिंग के लिए 30 x 15km की रेंज मौजूद है. लूना-25 एक रोबोटिक लूनर स्टेशन है. रूस के इस लैंडिंग का मुख्य मकसद ये है कि वो दिखाना चाहता है कि चांद पर वह सॉफ्ट लैंडिंग करा सकता है. इस दौरान इसके पेलोड्स चांद की सतह से मिट्टी लेकर उनका परीक्षण करेंगे. ड्रिलिंग करने की क्षमता दिखाई जाएगी.
Luna-25 में लगे हैं 9 साइंटिफिक पेलोड्स
ADRON-LR: यह यंत्र चांद की सतह पर न्यूट्रॉन्स और गामा-रे का विश्लेषण करेगा.
THERMO-L: यह चांद की सतह पर गर्मी की जांच करेगा.
ARIES-L: चांद के वायुमंडल यानी एग्जोस्फेयर पर प्लाज्मा की जांच करेगा.
LASMA-LR: यह एक लेजर स्पेक्ट्रोमीटर है.
LIS-TV-RPM: खनिजों की जांच और तस्वीरों के लिए इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर है.
PmL: यह धूल और माइक्रो-मेटियोराइट्स की जांच करेगा.
STS-L: पैनारोमिक और लोकल इमेज लेगा.
Laser Reflectometer: चांद की सतह पर रेंजिंग एक्सपेरीमेंट्स करेगा.
BUNI: लैंडर को पावर देगा और साइंस डेटा को जमा करेगा. धरती पर भेजेगा.
यूक्रेन पर हमले के बाद रूस का पहला बड़ा मिशन
यूक्रेन पर हमला करने के बाद पहली बार रूस किसी दूसरे ग्रह या उपग्रह के लिए अपना मिशन भेजने को तैयार हुआ है. हालांकि, रूसी स्पेस एजेंसी ने कहा कि हम किसी देश या स्पेस एजेंसी के साथ प्रतियोगिता नहीं कर रहे हैं. हमारे लैंडिंग इलाके भी अलग हैं. भारत या किसी और देश के मून मिशन से हमारी न तो टक्कर होगी. न हम किसी के रास्ते में आएंगे.
रूस ने ISRO से मांगी थी मदद लेकिन बात नहीं बनी
Luna-25 मिशन की शुरुआत 1990 में हुई थी. लेकिन यह अब जाकर पूरा होने वाला है. रूस ने इस मिशन के लिए जापानी स्पेस एजेंसी JAXA को साथ लाने की कोशिश की थी लेकिन जापान ने मना कर दिया था. फिर उसने इसरो से मदद करने की अपील की थी. लेकिन बात बनी नहीं. इसके बाद रूस ने खुद ही रोबोटिक लैंडर बनाने की योजना बनाई.
दो साल की देरी से हो रही है रूस की बड़ी लॉन्चिंग
रूसी स्पेस एजेंसी लूना-25 को पहले अक्टूबर 2021 में लॉन्च करना चाहती थी. लेकिन इसमें करीब दो साल की देरी हुई है. लूना-25 के साथ यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) पायलट-डी नेविगेशन कैमरा की टेस्टिंग करना चाहता था. लेकिन यूक्रेन पर हमला करने की वजह से दोनों स्पेस एजेंसियों ने नाता तोड़ लिया.