द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, नाजी पायलटों की बमबारी से एक कीमती 'समुद्री राक्षस' का जीवाश्म पूरी तरह से नष्ट हो गया था. यह जीवाश्म था शिकारी समुद्री सरीसृप (Marine reptile) इचथियोसॉर (Ichthyosaur) का. इसकी महज एक ब्लैक-एंड वाइट तस्वीर ही बची थी जो इसका आखिरी रिकॉर्ड था.
अब, वैज्ञानिकों को अमेरिका और जर्मनी के म्यूज़ियम से इचथियोसॉर के कंकाल के दो प्लास्टर कास्ट मिले हैं, जो काफी समय से खोए हुए थे. इस जीवाश्म को 1818 में दक्षिण-पश्चिम इंग्लैंड में लाइम रेजिस (Lyme Regis) से खोजा गया था और 1819 में इसके बारे में बताया गया था. यह इचथियोसॉर का अब तक पाया हुआ पहला पूर्ण कंकाल था. इसमें इस रेप्टाइल की सभी हड्डियां एक साथ देखी जा सकती थीं. इसमें पिछले विंग्स (Hind Wings) भी देखे जा सकते हैं जो पहले के जीवाश्मों में मौजूद नहीं थे.
वैज्ञानिकों ने रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस (Royal Society Open Science) जर्नल में बताया है कि 1820 के बाद से, यह जीवाश्म लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन के कलेक्शन में रखा हुआ था. मई 1941 में जर्मन मिसाइलों ने कॉलेज पर हमला किया, जिसमें ये जीवाश्म तबाह हो गया था. तब जीवाश्म के प्लास्टर मॉडल का कोई रिकॉर्ड नहीं था. मैन्चेस्टर यूनिवर्सिटी में पृथ्वी और पर्यावरण विज्ञान विभाग में जीवाश्म विज्ञानी और शोध के मुख्य लेखक डीन लोमैक्स (Dean Lomax) का कहना है कि यह एक संयोग है कि जब शोधकर्ता जुरासिक इचिथियोसॉर जीवाश्मों की खोज कर रहे थे तो उन्हें म्यूज़ियम वाल्ट में ये प्लास्टर कास्ट मिले.
इचथियोसॉर डायनासोर के साथ ही रहते थे और इन्होंने करीब 25 करोड़ से 9 करोड़ साल पहले तक समुद्रों पर राज किया है. इनका शरीर लंबा था, सिर पतला था और इनकी लंबाई 10 से 65 फीट होती थी.
शोधकर्ताओं को पहला कास्ट 2016 में येल यूनिवर्सिटी के पीबॉडी म्यूज़ियम (Peabody Museum) में मिला था. म्यूज़ियम को यह कास्ट 1930 में डोनेट किए गए 90,000 स्पेसिमेन कलेक्शन के हिस्से के रूप में मिला था. हालांकि, इस कास्ट में कंकाल की कई बारीक डिटेल नहीं थीं. इसलिए कहा गया कि या तो ये किसी कास्ट से ही बनाया गया कास्ट था या फिर यह बहुत पहले बनाया गया होगा.
लोमैक्स को दूसरा कास्ट दिसंबर 2019 में मिला, जब वे बर्लिन के नैचुरल हिस्ट्री म्यूज़ियम गए थे. म्यूज़ियम के कैटलॉग में कास्ट का कोई रिकॉर्ड नहीं था. जीवाश्मों के स्टोर में घूमते हुए उन्होंने ये प्लास्टर स्लैब मिला. लोमैक्स चूंकि पहले ही एक कास्ट को स्टडी कर चुके थे, इस्लिए उन्हें तुरंत पता चल गया कि ये यह क्या था. उसे देखखर वे बहुत खुश हुए.
Nazi bombs destroyed a priceless 'sea monster' fossil. Scientists just found its long-lost plaster copies. https://t.co/bER0QetaY8
— Live Science (@LiveScience) November 2, 2022
शोध के मुताबिक, बर्लिन में मिला यह कास्ट पहले वाले कास्ट से बेहतर था और बारीकी का बात करें तो ये इसके एक मात्र चित्र से काफी मिलता जुलता था. इसमें कोई डैमेज या खराबी भी नहीं थी.
यह किसी को नहीं पता कि 19वीं शताब्दी की शुरुआत में जीवाश्म की खुदाई किसने की थी. हालांकि, माना जा रहा है कि अंग्रेजी जीवाश्म विज्ञानी और जीवाश्म कलेक्टर मैरी एनिंग (Mary Anning) ने इसका पता लगाया गया था. लंदन केनैचुरल हिस्ट्री म्यूज़ियम के मुताबिक, एनिंग लाइम रेजिस में जुरासिक काल की उनकी खोजों के लिए प्रसिद्ध थीं. इन खोजों में पहले ज्ञात इचथियोसॉर जीवाश्म और एक लंबी गर्दन वाले समुद्री सरीसृप का पहला पूर्ण कंकाल शामिल था, जिसे प्लेसीओसॉर कहा जाता था.