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Padma Shri Award: वैज्ञानिक शैलेश नायक को पद्मश्री सम्मान, सुनामी वॉर्निंग और AQI आधारित प्रदूषण मॉनिटरिंग सिस्टम बनाया

भारत को सुनामी वॉर्निंग सिस्टम और AQI आधारित प्रदूषण मॉनिटरिंग सिस्टम देने वाले वैज्ञानिक डॉ. शैलेश नायक को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. शैलेश दुनिया भर में अपनी समुद्री स्टडीज के लिए जाने जाते हैं. बेहतरनी ओशिएनोग्राफर हैं. आइए जानते हैं डॉ. नायक ने और क्या-क्या बनाया है...

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सुनामी अर्ली वॉर्निंग सिस्टम और एक्यूआई आधारित प्रदूषण नापने वाला सिस्टम बनाने के लिए डॉ. शैलेष नायक को Padma Shri से सम्मानित किया गया है.
सुनामी अर्ली वॉर्निंग सिस्टम और एक्यूआई आधारित प्रदूषण नापने वाला सिस्टम बनाने के लिए डॉ. शैलेष नायक को Padma Shri से सम्मानित किया गया है.

भारत सरकार ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए इस साल डॉ. शैलेश नायक को पद्मश्री से सम्मानित किया है. डॉ. नायक फिलहाल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्ट्डी के डायरेक्टर हैं. साथ ही पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक हैं. वो इससे पहले अर्थ कमीशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन और ISRO को अंतरिम प्रमुख भी रह चुके हैं. 

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डॉ. नायक ने सुनामी और तेज समुद्री लहरों के लिए स्टेट-ऑफ-द-आर्ट अर्ली वॉर्निंग सिस्टम बनाया और उसका सेटअप किया. इसके अलावा उन्होंने मरीन GIS बनाने में मदद की. इसके अलावा AQI आधारित वायु प्रदूषण मॉनिटरिंग सिस्टम बनाया और उसका सेटअप करवाया. 

Tsunami Warning System Padma Shri Dr. Shailesh Nayak

डॉ. नायक का मुख्य काम सुनामी वॉर्निंग सिस्टम है. इसके अलावा मछली पालन के लिए खास फिशिंग जोन की खोज करने के लिए इसरो के अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लीकेशन सेंटर पर नया तरीका निकाला. इससे अब देश में टूना मछलियों को लेकर भविष्यवाणी की जाती है. 

समुद्र में सही से निकलने के लिए समुद्री मौसम की भविष्यवाणी करने वाले सिस्टम और तकनीक विकसित किए. ये भारत के पूरे समुद्री क्षेत्र पर लागू होता है. कोस्टल लैंडफॉर्म, कोरल रीफ, मैन्ग्रूव, तटों में आ रहे बदलावों पर नजर रखने के लिए नई तकनीक बनाई. 20 से ज्यादा संस्थाएं देश में ओशन कलर मॉनिटर के डेटा का इस्तेमाल कर रहे हैं. 

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Tsunami Warning System Padma Shri Dr. Shailesh Nayak

डॉ. शैलेश नायक गुजरात के नवसारी जिले के बिलिमोरा में 21 अगस्त 1953 को पैदा हुए. बड़ोदा की एमएस यूनिवर्सिटी से 1980 में पीएचडी की. ताकि रिमोट सेंसिंग और ओशिएनोग्राफी में महारत हासिल कर सकें. फिर आंध्र यूनिवर्सिटी से 2011 में विज्ञान का हॉनरेरी डॉक्टरेट किया. इसके बाद 2013 में असम यूनिवर्सिटी से फिर यही काम किया. 

डॉ. नायक छह अलग-अलग यूनिवर्सिटी के पीएचडी गाइड हैं. छह बच्चे इनके गाइडेंस में पीएचडी कर चुके हैं. डॉ. नायक ने 100 से ज्यादा रिसर्च पेपर्स पब्लिश कराए हैं. 

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