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सूरज के गुस्से के शिकार हुए तीन ऑस्ट्रेलियन सैटेलाइट्स, सोलर मैक्सिमम की वजह से उपग्रह जले

सूरज इस समय भयानक गुस्से में है. सूरज की वजह से तीन ऑस्ट्रेलियाई सैटेलाइट धरती के ऊपर ही जल गए. ये बाइनर स्पेस प्रोग्राम के सैटेलाइट्स थे. इस समय सूरज का सोलर मैक्सिमम फेज़ चल रहा है. आइए समझते हैं कि सूरज का सोलर मैक्सिमम क्या है? इससे क्या नुकसान हो सकता है?

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ये हैं वो तीन क्यूब सैटैलाइट्स जो सूरज की गर्मी के चलते जल गए. (फोटोः NASA/JAXA)
ये हैं वो तीन क्यूब सैटैलाइट्स जो सूरज की गर्मी के चलते जल गए. (फोटोः NASA/JAXA)

ऑस्ट्रेलिया के तीन क्यूब सैटेलाइट्स धरती की निचली कक्षा में जलकर खत्म हो गए. इसकी वजह से सूरज की गर्मी. क्योंकि इस समय सूरज अपने सोलर मैक्सिमम फेज़ में चल रहा है. यानी ज्यादा गर्मी. ज्यादा रेडिएशन. ज्यादा जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म. नुकसान धरती के चारों तरफ घूम रहे सैटेलाइट्स का. 

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ऑस्ट्रेलिया की कर्टिन यूनिवर्सिटी के बाइनर स्पेस प्रोग्राम के तीन क्यूब सैटेलाइट्स सोलर फ्लेयर के शिकार हो गए. यानी सूरज से निकलने वाली गर्म किरणें. वैसे तो नूंगर भाषा में बाइनर का मतलब फायरबॉल होता है. लेकिन बाइनर पर्थ के सबसे पहले राष्ट्रीय लोगों को भी कहा जाता है. इनके नाम पर ही स्पेस प्रोग्राम बनाया गया था. 

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ये तीनों सैटेलाइट्स समय से पहले ही खत्म हो गए. ये धरती के ऊपर 2000 किलोमीटर की कक्षा से थोड़ा कम ऊंचाई पर चक्कर लगा रहे थे. लेकिन वो धीरे-धीरे वायुमंडल के नजदीक आने लगे. बाइनर-2, 3 और 4 की यह स्थिति देखकर वैज्ञानिक हैरान रह गए. ये सिर्फ दो महीने ही अंतरिक्ष में जीवित रह पाए. जबकि इन्हें 6 महीने के लिए भेजा गया था. 

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Solar Maximum, Satellites Burned

तीनों सैटेलाइट्स के मरने की असली वजह

वैज्ञानिकों के मुताबिक इस समय सूरज अपने सोलर मैक्सिमम में चल रहा है. यानी 11 साल का वो पीरियड जब सूरज में सबसे ज्यादा गतिविधियां होती हैं. सौर धब्बे बनते हैं. उनमें ज्यादा विस्फोट होता है. ज्यादा सौर लहरें और तूफान निकलते हैं. चार्ज्ड कणों की लहरें निकलती हैं. इसकी वजह से सैटेलाइट्स पर सीधा असर पड़ता है. 

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सोलर मैक्सिमम यानी ज्यादा परेशानी 

सिर्फ सैटेलाइट्स ही नहीं बल्कि धरती पर ज्यादा नॉर्दन लाइट्स यानी अरोरा देखने को मिलता है. 11 साल पूरा होते ही यह वापस ठंडा हो जाता है. फिर 11 सालों तक इस तरह की गतिविधियां कम हो जाती हैं. सोलर मैक्सिमम की शुरूआत 2019 में हुई थी. जब मैक्सिमम का मध्य हिस्सा चल रहा होता है. तब सूरज से बहुत सारे तूफान निकलते हैं. 

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सूरज के मौसम की भविष्यवाणी मुश्किल

हैरानी इस बात की है कि सूरज के मौसम को लेकर वैज्ञानिक ज्यादा भविष्यवाणी भी नहीं कर सकते. इस समय सोलर साइकिल 25 चल रहा है. पिछले कुछ महीनों से सूरज की गतिविधियां उम्मीद से डेढ़ गुना ज्यादा हो रही हैं. जो भी सैटेलाइट्स 1000 किलोमीटर की ऊंचाई या उससे कम दूरी पर धरती का चक्कर लगाते हैं, उन्हें एक वायुमंडलीय खिंचाव महसूस होता है. ऐसे में सैटेलाइट्स को उनकी कक्षा में रखना मुश्किल हो जाता है. 

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ऑर्बिट में सैटेलाइट्स को रखना होता है मुश्किल

इससे बचने के लिए सैटेलाइट्स को अपने इंजन ऑन करने पड़ते हैं, ताकि वो अपने ऑर्बिट में बने रहे. जैसे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन या स्टारलिंक. लेकिन क्यूब सैटेलाइट्स में इतनी चीजें नहीं होती. इसलिए ही बाइनर स्पेस प्रोग्राम के तीनों सैटेलाइट्स जलकर खत्म हो गए. वो धरती के वायुमंडल में आ गए थे. अब सूरज 2030 में सोलर मिनिमम की तरफ जाएगा. 

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