'हैंग्ज़ाइटी' (Hangxiety) नाम एंज़ाइटी (Anxiety) से मिलता जुलता है, ज़ाहिर है इनका मतलब भी करीब-करीब एक जैसा ही है. एंज़ाइटी कभी भी हो सकती है, लेकिन हैंग्ज़ाइटी, शराब पीने के बाद अनुभव की जाती है. इसे आम तौर पर Booze blues, Beer fear के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन इसका मतलब एक ही होता है- ये शर्म, अपराधबोध या चिंता की भावनाएं होती हैं, जो शराब पीने के बाद उभर सकती हैं. हैंगओवर एंग्ज़ाइटी या 'हैंग्ज़ाइटी' कोई मेडिकल कंडीशन नहीं है.
डीहाइड्रेशन या नींद की कमी जैसे हैंगओवर के कई पहलू, चिंता की भावना को बढ़ा देते हैं. इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के स्कूल ऑफ साइकोलॉजिकल साइंस के लेक्चरर और शोधकर्ता क्रेग गन (Craig Gunn) का कहना है कि शराब की ज्यादा मात्रा शरीर के इम्यून और स्ट्रेस रिस्पॉन्स सिस्टम को प्रभावित करती है. उनका कहना है कि इससे प्रिनफ्लेमेटरी साइटोकिन्स (Proinflammatory cytokines) और कोर्टिसोल (Cortisol) का स्तर बढ़ जाता है. इसके अलावा, शरीर पर हैंगओवर के प्रभाव भी दिखते हैं, जैसे कि हार्ट रेट बढ़ जाना, जो कुछ लोगों में चिंता की भावना को बढ़ा सकते हैं.
हालांकि, क्रेग गन का कहना है कि हैंग्जाइटी से शराब पीने वाले करीब 12% लोग ही प्रभावित होते हैं. कुछ लोगों के लक्षण दूसरों से अलग क्यों होते हैं, यह अभी तक साफ नहीं है.
'हैंग्ज़ाइटी' और मस्तिष्क
2019 में अल्कोहल एंड अल्कोहलिज़्म जर्नल में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, शराब पीने के बाद हम जो हल्का उत्साह अनुभव करते हैं, वह मस्तिष्क में हमारे कैमिकल मैसेंजर यानी न्यूरोट्रांसमीटर में हुए अस्थायी परिवर्तन की वजह से होता है. ये न्यूरोट्रांसमीटर हमारे मूड को प्रभावित करते हैं. पहले तो ये उत्साह पैदा करते हैं, लेकिन इनके लेवल में थोड़ा भी बदलाव आता है तो ये अचानक हैंग्ज़ाइटी के लक्षण ट्रिगर कर सकते हैं.
हैंग्ज़िटी और डीहाइड्रेशन
क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक, बहुत ज्यादा प्यास लगना, हैंगओवर का एक सामान्य लक्षण है. शराब डाइयूरेटिक (Diuretic) है, यानी इससे शरीर में सामान्य से ज्यादा तेजी से फ्लूड की कमी होती है, बार-बार बाथरूम जाना पड़ता है. रात भर शराब पीने के बाद, सुबह जागने पर शरीर में फ्लूड की कमी की वजह से, ज़्यादा थकान और नशा महसूस हो सकता है.
डीहाइड्रेशन हैंग्ज़ाइटी की भावनाओं को भी बढ़ा सकता है. 2014 में PLOS One जर्नल में प्रकाशित एक शोध में पाया गया कि जो लोग शराब पीने से पहले ठीक से पानी नहीं पीते, उनमें अगले दिन नकारात्मक भावनाओं का अनुभव करने की संभावना ज्यादा होती है.
हैंग्ज़ाइटी और नींद
कुछ शोध बताते हैं कि ज़्यादा सोकर, हैंगओवर के लक्षणों या हैंग्ज़ाइटी से बचने की कोशिश करना प्रभावी रणनीति नहीं है. 2015 में अल्कोहल जर्नल में प्रकाशित एक रिव्यू के मुताबिक, शराब पीने से व्यक्ति की स्लीप साइकल बाधित हो सकती है, वहीं नींद की क्वालिटी भी खराब होती है. अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए चैन की नींद सोना ज़रूरी है. 2016 में स्लीप मेडिसिन जर्नल में ये कहा गया है कि नींद की कमी से लोगों की चिंता का स्तर बढ़ सकता है.
हालांकि, क्रेग गन का कहना है कि नींद की क्वालिटी और हैंगओवर एंज़ाइटी के बीच का संबंध अभी तक स्थापित नहीं हुआ है.
What is 'hangxiety' and why do some people experience it? https://t.co/LAUGAttnq7
— Live Science (@LiveScience) December 23, 2022
हैंग्ज़ाइटी और पेट
हैंग्ज़ाइटी को पेट खराब होने से भी जोड़ा जा सकता है. 2021 में जर्नल न्यूट्रिएंट्स में प्रकाशित रिव्यू के मुताबिक, ज्यादा शराब पीने से गट माइक्रोबायोम की संरचना में परिवर्तन होता है. वहीं 2021 में क्लिनिकल साइकोलॉजी रिव्यू जर्नल में कहा गया कि आंत के माइक्रोब्स में इस असंतुलन का संबंध चिंता विकारों से हो सकता है. हालांकि, इसे समझने के लिए और भी शोध करने होंगे.
हैंग्ज़ाइटी कुछ ही लोगों को क्यों होती है?
हर व्यक्ति की शराब पीने की क्षमता अलग-अलग होती है. किसी को ज़्यादा शराब पीने के बाद भी नशा नहीं होता, जबकि कुछ थोड़ी सी पीकर ही झूमने लगते हैं. 2019 में यूरोपियन न्यूरोसाइकोफार्माकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, जिन लोगों में शराब को सहने की क्षमता ज़्यादा होती है, उन्हें अगले दिन तनाव और चिंता का अनुभव कम होता है.