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दक्षिण अमेरिका में आसमान में दिखी 'स्पेस जेलीफिश', देखकर हो जाएंगे हैरान 

जेलीफिश (Jellyfish) समुद्र में पाई जाती हैं, लेकिन आसमान में जेलीफिश का दिखाई देना, हैरान करने वाला है. हाल ही में, दक्षिण अमेरिका में रहस्यमयी स्पेस जेलीफिश को देखा गया. जानिए ये कैसे हुआ..

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आसमान में नजर आई स्पेस जेलीफिश (Photo: Chris Combs Twitter)
आसमान में नजर आई स्पेस जेलीफिश (Photo: Chris Combs Twitter)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यह स्पेस जेलीफिश कोई UFO नहीं थी
  • हैरान करने वाला आकार आकाश में उभरा

5 मई की सुबह, जॉर्जिया के वेक्रॉस (Waycross, Georgia) में एक कैमरे ने एक रहस्यमयी चीज़ को आकाश में घूमते देखा. यह सफेद, तेज, और चमकदार चीज़ बिल्कुल अंतरिक्ष की जेलीफ़िश (Space Jellyfish) लग रही थी.

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इस वीडियो को सैन एंटोनियो (San Antonio) में टेक्सास यूनिवर्सिटी (University of Texas) में वायुगतिकी और मैकेनिकल इंजीनियरिंग (Aerodynamics and Mechanical Engineering) के प्रोफेसर क्रिस कॉम्ब्स (Chris Combs) ने ट्विटर पर शेयर किया था.

 

क्रिस कॉम्ब्स का कहना है कि यह स्पेस जेलीफिश कोई यूएफओ (UFO) नहीं थी. यह फ्लोरिडा (Florida) के कैनेडी स्पेस सेंटर (Kennedy Space Center) से लॉन्च होने वाला स्पेसएक्स फॉल्कन 9 रॉकेट (SpaceX Falcon 9 rocket) था, जो कैमरे से करीब 250 मील (400 किलोमीटर) दूर था.

कैनेडी स्पेस सेंटर से हर साल दर्जनों रॉकेट लॉन्च पैड को छोड़ते हैं, लेकिन उनमें से कुछ आकाश में किसी जानवर की तरह छवि का आभास कराते हैं. कॉम्ब्स के मुताबिक, यह Physics और परफेक्ट टाइमिंग का कॉम्बिनेशन है.

कॉम्ब्स का कहना है कि शुरुआत में, जेलिफ़िश जैसा आकार, फॉल्कन 9 रॉकेट इंजन के नॉजल (Nozzle) से निकलने वाली गैस से बना है. नॉजल के अंदर और बाहर दबाव में अंतर की वजह से बल्बनुमा आकार बनता है. 

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Space jellyfish
 यह Physics और परफेक्ट टाइमिंग का कॉम्बिनेशन है (Photo: Chris Combs Twitter)

इस मामले में, नॉजल से निकलने वाली गैस Under Expanded हैं, यानी जैसे ही इंजन से आने वाली गैस नॉजल से निकलती हैं, गैस अपने आस-पास की वायु की तुलना में ज्यादा दबाव में होती है. वातावरण में बैकग्राउंड प्रेशर से मेल खाने के लिए, रॉकेट से निकलने वाली गैस नॉजल से बाहर आते ही फैलकर अपना दबाव कम करती है. और इस तरह जेलीफिश जैसा आकार बनता है. 

रॉकेट लॉन्च गुरुवार की सुबह भोर में हुआ था. उस वक्त सूरज से आने वाला प्रकाश क्षितिज के ठीक ऊपर से आ रहा था, इसीलिए रॉकेट से निकलने वाली गैस चमक रही थी. 

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