टोक्यो (Tokyo) की कंपनी आईस्पेस (ispace) का हकूतो-आर लैंडर (Hakuto-R lander) जल्द ही चंद्रमा पर भेजा जा रहा है. यह चंद्रमा के एटलस क्रेटर (Atlas Crater) पर सॉफ्ट टचडाउन करेगा. चंद्रमा की सतह पर किसी निजी कंपनी द्वारा ऐसा पहली बार किया जा रहा है.
Hakuto-R को 30 नवंबर को फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से स्पेसएक्स फॉल्कन-9 रॉकेट (SpaceX Falcon 9) से सुबह 3:39 बजे ईएसटी (0839 जीएमटी) पर रवाना किया जाएगा. ये अप्रैल 2023 से पहले चंद्रमा पर पहुंच जाएगा. लैंडिंग के बाद, हाकुटो-आर यूएई (UAE) के एक रोवर- राशिद (Rashid) को तैनात करेगा. चार पहियों वाला यह रोवर चंद्रमा पर 14 दिन बिताएगा. इस दौरान ये हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरा, एक थर्मल इमेजर, एक माइक्रोस्कोपिक इमेजर और चंद्रमा की सतह पर विद्युत आवेशों की जांच के लिए डिज़ाइन किए गए प्रोब का इस्तेमाल करेगा.
अभी ये साफ नहीं है कि चांद को छूने वाला Hakuto-R पहला प्राइवेट मिशन होगा या नहीं, क्योंकि स्पेसफ्लाइट नाउ (Spaceflight Now) के लॉन्च कैलेंडर के मुताबिक, नासा (NASA) ने निजी कंपनी इंट्यूएटिव मशीन्स (Intuitive Machines) को अपना नोवा-सी लूनर लैंडर (Nova-C lunar lander) लॉन्च करने का काम सौंपा है, जो मार्च 2023 के लिए निर्धारित है. जबकि, एस्ट्रोबोटिक (Astrobotic) का पेरेग्राइन लूनर लैंडर (Peregrine lunar lander) 2023 की पहली तिमाही में लॉन्च किया जाएगा. इस स्थिति में यह कहना मुश्किल है कि इनमें से कौन सी कंपनी चांद पर पहले उतरेगी.
हालांकि, चंद्रमा पर सुरक्षित लैंडिग काफी कठिन है, खासकर निजी कंपनियों के लिए क्योंकि उनके पास सरकारी संसाधन नहीं हैं. जैसे, 2019 में निजी तौर पर फंड किया गया SpaceIL का बेरेशीट लैंडर, टचडाउन करते हुए दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. लेकिन ये नया युग है, जिसमें छोटे कमर्शियल लैंडर्स को चंद्रमा पर भेजा जा रहा है, जो भविष्य में होने वाली मानव लैंडिंग को नई दिशा देने में मदद करेंगे.
नासा का आर्टेमिस प्रोग्राम कमर्शियल लूनर पेलोड सर्विसेज प्रोग्राम (CLPS) के तहत आईस्पेस, एस्ट्रोबोटिक और इंट्यूएटिव मशीन जैसी कंपनियों की फ्लीट को सपोर्ट कर रहा है, जो आने वाले दशक में और भी ज्यादा रोबोटिक मिशनों को चंद्रा की सतह पर लेकर जाएंगे. हकूतो-आर को CLPS का सपोर्ट नहीं है.
आईस्पेस के मुताबिक, हाकुटो-आर, एटलस क्रेटर की प्राइमरी लैंडिंग साइट, मारे फ्रिगोरिस (Mare Frigoris-"Sea of Cold") के पास चंद्रमा के उत्तर-पूर्व चतुर्थांश (Northeast quadrant) पर है. ऑपरेशन्स के दौरान फ्लेक्सिबिलिटी बनाए रखने के लिए यह जगह चुनी गई थी. कंपनी का कहना है कि इस साइट को सूर्य की रोशनी की अवधि और पृथ्वी से सही संचार होने जैसी बातों को ध्यान में रखकर चुना गया है. हालांकि, लैंडिंग के दूसरे विकल्प भी मौजूद हैं. इनमें लैकस सोमनियोरम, साइनस इरिडियम और ओशनस प्रोसेलरम शामिल हैं.
SpaceX to launch Japanese moon lander, UAE rover on Nov. 30 https://t.co/l9droKXQhs pic.twitter.com/OAn4DQomha
— SPACE.com (@SPACEdotcom) November 25, 2022
आपको बता दें कि "हकूतो" का जापानी में अर्थ होता है सफेद खरगोश. R का अर्थ है Rebooted. पहले इसे 2021 में चंद्रमा पर उतरने के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन तकनीकी समस्याओं के चलते ये टल गया था. कंपनी का लक्ष्य है चंद्रमा की पानी वाली बर्फ का इस्तेमाल करके वहां इंसानों के लिए रहना आसान करना.