पिछले साल यानी 2021 में पानी से जुड़ी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से 35.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स यानी 2.88 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इन आपदाओं में पांच करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं. इससे अछूता एशिया नहीं है. न ही एशिया के देश, जैसे- भारत, पाकिस्तान, चीन या अन्य देश.
ये खुलासा हुआ है The State of Climate in Asia 2021 रिपोर्ट में. आइए जानते हैं कि पिछले साल की इस रिपोर्ट में भारत और आसपास के देशों की क्या हालत बताई गई है. क्या भारत की स्थिति ठीक है. या कुछ सालों में पानी की भारी किल्लत से जूझेगा.
दुनिया में पानी का टावर (Water Tower) अगर कहीं है तो वो हैं हमारे हिमालय. यानी ध्रुवों के बाद अगर कहीं सबसे ज्यादा बर्फ और ग्लेशियर है, तो वो है हिमालय पर. एशिया के सभी ऊंचे पहाड़ों में सबसे ऊंचे और बड़े इलाके में फैला हिमालय और तिब्बत के पठार भारत, पाकिस्तान और चीन के लिए पानी का स्रोत हैं. क्योंकि ज्यादातर बड़ी नदियां हिमालय पर मौजूद ग्लेशियरों से निकलती हैं. हिमालय पर 1 लाख वर्ग किलोमीटर से ज्यादा बड़े इलाके में ग्लेशियर है.
हिमालय के ग्लेशियर पिघलेंगे, भारत-चीन का बड़ा इलाका बदलेगा रेगिस्तान में
पिछले साल एशिया के कई इलाकों में तापमान बढ़ने की वजह से सूखे की हालत बनी. ग्लेशियर पिघले. यानी वाटर टावर कहे जाने वाले हिमालय के ग्लेशियरों को पिघलने का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. अगर ये पिघल गए तो नदियां सूख जाएंगी. भविष्य में इंसानों को पानी नहीं मिलेगा. जंगलों को पानी नहीं मिलेगा. यानी पाकिस्तान, भारत और चीन बहुत बड़ा इलाका रेगिस्तान में बदल जाएगा.
बढ़ गई हैं प्राकृतिक आपदाओं की मात्रा, एशिया में 100 से ज्यादा आपदाएं
प्राकृतिक आपदाएं आर्थिक नुकसान लेकर आती हैं. पिछले साल सूखे (Drought) की वजह से होने वाला आर्थिक नुकसान 63 फीसदी बढ़ गया. बाढ़ (Flood) से होने वाला नुकसान 23 फीसदी और भूस्खलन (Landslide) से होने वाला नुकसान 147 फीसदी बढ़ गया. ये तुलना साल 2001 से 2020 के औसत आर्थिक नुकसान से की गई है.
साल 2021 में एशिया में 100 से ज्यादा प्राकृतिक आपदाएं आईं. जिसमें से 80 फीसदी बाढ़ और तूफान से संबंधित थे. इनकी वजह से 4 हजार लोगों की मौत हुई. इनमें ज्यादातर मौतें बाढ़ की वजह से हुईं. इन आपदाओं से 4.83 करोड़ लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए. अगर आप एशिया का तापमान देखेंगे तो साल 2020 में जमीन के ठीक ऊपर बहने वाली हवा 0.86 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म थी. 1981-2010 के औसत तापमान से ज्यादा. लेकिन 2020 पांचवां और 2021 सातवां सबसे गर्म साल था.
बारिश से परेशान रहा भारत, पाकिस्तान, म्यांमार और चीन
पश्चिमी और पूर्वी एशियाई इलाकों में तापमान सामान्य से ऊपर था. मध्य साइबेरिया में सामान्य से नीचे थे. रूस के सुदूर पूर्वी इलाके और दक्षिण एशिया के कुछ इलाकों में भी पारा सामान्य से नीचे दर्ज किया गया. साल 2021 में दक्षिण-पश्चिम एशिया और पूर्वी साइबेरिया में सालाना बारिश के औसत से कम बारिश हुई है. सबसे ज्यादा सूखा पड़ा ईरान, इराक, अफगानिस्तान और अरब प्रायद्वीप. सबसे ज्यादा बारिश जिन जगहों पर हुई वो थे दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया, पूर्वी चीन और साइबेरियन मैदान. ज्यादा बारिश दर्ज की गई भारत के पश्चिमी इलाके, म्यांमार, पूर्वी हिमालय बेल्ट और उत्तरी चीन के मैदान में.
The rate of glacier retreat is accelerating, and many glaciers suffered from intense mass losses due to exceptionally warm and dry conditions in 2021, according to the latest @WMO #StateOfClimate Asia report.
— World Meteorological Organization (@WMO) November 14, 2022
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40 साल में हिमालय के पांच बड़े ग्लेशियर तेजी से पिघले हैं
पिछले साल एशिया के उच्च पहाड़ी इलाकों पर ग्लेशियर तेजी से पिघले. सूखे और बढ़ते तापमान का असर दक्षिण-पूर्वी तिब्बती पठार, पूर्वी हिमालय और पामीर अलाई में देखने को मिला. 2020-2021 लगातार दो ऐसे साल रहे जब हिमालय बेल्ट के ग्लेशियर तेजी से पिघले, जो साल 2009 के आंकड़ों के बराबर थे. पिछले 40 सालों में हिमालय के पांच बड़े ग्लेशियर बहुत ज्यादा पिघल चुके हैं.