ज्वालामुखी (Volcano) पूरी पृथ्वी पर हैं, यहां तक कि बर्फ से ढके अंटार्कटिका में भी. सोशल मीडिया पर फिलहाल, अंटार्कटिका में मैकमुर्डो (McMurdo) में अमेरिकी रिसर्च बेस के पास, माउंट एरेबस (Mount Erebus) की तस्वीरें लोगों का ध्यान खींच रही हैं. वजह है इस ज्वालामुखी से उठने वाली भाप.
माउंट एरेबस 3794 मीटर ऊंचा है, जो अंटार्कटिका का सबसे ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी है. फिलहाल ये ज्वालामुखी भाप का ज्वालामुखी नजर आ रहा है. तस्वीर इसलिए भी हैरान करती है, क्योंकि खुद में गर्म लावा लिए हुए यह ज्वालामुखी दुनिया के सबसे ज्यादा बर्फीले इलाके में खड़ा है.
सिर्फ इतना ही नहीं वैज्ञानिकों ने इस इलाके के बारे में एक और हैरान करने वाली जानकारी दी है. वैज्ञानिकों ने भूकंपीय (Seismic) और मैग्नेटोटेलुरिक डेटा (Magnetotelluric data) का इस्तेमाल करके, अंटार्कटिक बर्फ की एक धारा (Ice stream) के नीचे एक किलोमीटर से ज्यादा फैली खारे भूजल (Salty groundwater) की नदी की खोज की है.
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के भूभौतिकीविद् (Geophysicist) क्लो गुस्ताफसन (Chloe Gustafson) और उनकी टीम ने सिर्फ सेसमिक डेटा का इस्तेमाल करके, पाया कि पूरे क्षेत्र में तलछट की मोटाई 600 से 1300 मीटर के बीच थी. मैग्नेटोटेल्यूरिक डेटा के ज़रिए उन्होंने तलछट के अंदर ग्राउंडवॉटर की जानकारी निकाली. उन्होंने यह पता लगाया कि पानी कितना नमकीन है. सेडिमेंट कॉलम के ठीक ऊपर पानी थोड़ा खारा है. लेकिन जैसे-जैसे गहराई में जाते हैं, पानी में नमक की मात्रा बढ़ती जाती है.
व्हिलन्स सबग्लेशियल झील (Whillans Subglacial Lake) और व्हिलन्स ग्राउंडिंग ज़ोन (Whillans Grounding Zone) दो मैग्नेटोटेलुरिक साइट हैं. दोनों साइटों में प्रतिरोधकता संरचनाएं और पानी का खारापन समान है. शोधकर्ताओं ने कहा कि पूरे इलाके में ग्राउंड वॉटर के मैग्नेटोटेलुरिक्स के आधार पर हम इस नतीजे पर पहुंचे कि यह एक रीजनल ग्राउंड वॉटर सिस्टम था. एक्सट्रपलेशन के इस्तेमाल से उन्होंने गणना की कि गहरे ग्राउंड वॉटर की मात्रा, उथले हाइड्रोलॉजिकल सिस्टम में मौजूद पानी के मैग्निट्यूड की तुलना में ज्यादा है. इसमें सबग्लेशियल झीलें, चैनल और हिमनदों के रूप में जमा पानी शामिल हैं.
Volcanic #hazards occur all over the Earth, even in #Antarctica, as Martyn Unsworth shows in this week's #imaggeoOnMonday photo of steam rising from Mount Erebus near the American research base McMurdo.
— EGU (@EuroGeosciences) October 17, 2022
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वैज्ञानिकों के मुताबिक, करीब 7,000 से 5,000 साल पहले जब समुद्र ने अंटार्कटिक की भूमि पर अतिक्रमण किया था, तो हो सकता है कि समुद्री जल ने विलन्स आइस स्ट्रीम के नीचे तलछटों में तेजी से घुस गया हो. वास्तव में, जब पश्चिम अंटार्कटिका में बर्फ नहीं थी और वह समुद्र से ढका हुआ था, तब सबसे गहरा खारा पानी पीछे रह गया होगा. संभावित समुद्री तलछट शुरू में जमा हो गए थे. सेडिमेंट कॉलम के ऊपर का खारा पानी, कम खारा हो सकता है क्योंकि बर्फ के आधार पर ताजा पिघला हुआ पानी उसमें मिल जाता है.