भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्षयात्री सुनीता विलियम्स ने नौ महीने बाद 18 मार्च को धरती की ग्रैविटी को महसूस किया. उन्होंने बताया कि घर लौटने का अहसास होते ही वह अपने परिवार से मिलने को उत्सुक थीं.
स्पेस से धरती पर लौटने के बाद सोमवार को विलियम्स मीडिया से मुखातिब हुई. उनसे प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उनके अंतरिक्ष के सफर और वापस लौटने से जुड़ी यादों पर सवाल-जवाब किए गए. इस बीच उनसे पूछा गया कि जब आप धरती पर लौटीं तो सबसे पहले क्या करना चाहती थी? नौ महीने के बाद ऐसा कोई खाना जिसे सबसे पहले खाने की इच्छा थी?
इसका जवाब देते हुए सुनीता विलियम्स ने कहा कि मैं अपने पति और अपने पालतू कुत्तों को गले लगाना चाहती थी. खाना एक ऐसी चीज है, जो घर की याद दिलाता है. मेरे पिता शाकाहारी थे तो मैंने घर पहुंचने पर सबसे पहले बढ़िया सा ग्रिल्ड चीज़ सैंडविच खाया. यह मुझे घर का एहसास कराता है.
बता दें कि सुनीता विलियम्स ने स्पेस से लौटने के बाद अपने पहले इंटरव्यू में नासा, बोइंग, स्पेसएक्स और इस मिशन से जुड़े सभी लोगों का आभार जताया. उन्होंने कहा कि हमें धरती पर लौटे हुए लगभग दो हफ्ते हो गए हैं. अब हमसे पूछा जा रहा है कि हम क्या कर रहे हैं? तो बता दूं कि हम नई चुनौतियों के लिए तैयारी कर रहे हैं. नए मिशन की तैयारी कर रहे हैं. मैं कल ही तीन मील दौड़ी हूं तो अपनी पीठ तो थपथपा ही सकती हूं.
अंतरिक्ष मे फंसे होने की वजह से मीडिया में चल रहे अलग-अलग तरह के नैरेटिव पर विलियम्स ने कहा कि यह एक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन प्रोग्राम था. हमें पता था कि चीजें गलत हो सकती है तो हम इसके लिए तैयार थे. बहुत सारे लोग प्रोग्राम पर नजर बनाए हुए थे. उन्हें पता था कि हमारी वापसी का सही वक्त कौन सा है. हम उसी फैसले का हम इंतजार कर रहे थे, जो बिल्कुल सही है.
उन्होंने अपने रिकवरी के बारे में बताते हुए कहा कि एक्सपर्ट्स हमारे रिहैबिलिटेशन पर पूरी तरह से फोकस हैं. धरती पर लौटने के बाद से ही हम एक्सपर्ट्स के बताए प्रोटोकॉल को फॉलो कर रहे हैं. हमारी रिकवरी धीरे-धीरे हो रही है.
सुनीता विलियम्स कहती हैं कि हमारे मिशन में जो देरी हुई, उससे हमने उम्मीद का पाठ सीखा है. हम हर छोटी गलती से सीख रहे हैं ताकि अगली बार कुछ बेहतर कर सकें. चीजें इसी तरह से होती हैं, हम सीखकर आगे बढ़कर और बेहतर बनते हैं. यह काफी अद्भुत है कि कैसे आपका शरीर सभी चीजों को एडॉप्ट कर रहा है. जब हम पहली बार धरती पर आए थे तो लड़खड़ाने लगे थे. लेकिन कुछ घंटों के भीतर ही बदलाव नजर आने लगते हैं. इंसान का दिमाग आसपास की चीजों को समझने लगता है.