सुनीता विलियम्स नौ महीने अंतरिक्ष में बिताने के बाद सकुशल धरती पर लौट आई हैं. बुधवार तड़के स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल सुनीता सहित चारों अंतरिक्षयात्रियों को लेकर फ्लोरिडा के समुद्र में लैंड हुआ. अंतरिक्ष से धरती तक का यह सफर 17 घंटे का था. लेकिन लैंडिंग की इस प्रक्रिया में सांसें थामने वाला 7 मिनट का एक पल भी था.
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से पृथ्वी तक के 17 घंटे तक का सफर काफी चुनौतियों से भरा हुआ था. लेकिन जैसे ही स्पेसक्राफ्ट ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया तो उसका तापमान 1900 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो गया. यह वह समय था जब सात मिनट के लिए कम्युनिकेशन ब्लैकआउट (Communication Blackout) हो गया. हालांकि, यह सामान्य है लेकिन चुनौतीपूर्ण चरण होता है. इस दौरान नासा का स्पेसक्राफ्ट से संपर्क नहीं रहता.
स्पेसएक्स के ड्रैगन के साथ भी ऐसा ही हुआ. हालांकि, सात मिनट बाद ही बुधवार तड़के लगभग 3.20 बजे स्पेसक्राफ्ट से संपर्क फिर से बहाल हुआ. लेकिन सात मिनट का यह ब्लैकआउट का समय किसी भी स्पेसक्राफ्ट के पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश के लिए बहुत निर्णायक होता है. इस दौरान तापमान सामान्य से बहुत अधिक होने से स्पेसक्राफ्ट के क्रैश होने की संभावना बढ़ जाती है. एक फरवरी 2003 को नासा के अंतरिक्ष यान कोलंबिया के साथ इसी दौरान हादसा हुआ था, जब पृथ्वी के वायुमंडल में घुसते ही अंतरिक्षयान क्रैश हो गया था, जिसमें कल्पना चावला दुर्घटना का शिकार हो गई थीं. ऐसे में यह समय किसी भी स्पेसक्राफ्ट के लिए बहुत सावधानी भरा होता है.
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क्या है कम्युनिकेशन ब्लैकआउट?
जब भी कोई स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल से प्रवेश करता है तो उसकी रफ्तार लगभग 28000 किमी प्रति घंटे की होती है. इस रफ्तार से जब कैप्सूल गुजरता है तो वायुमंडल से रगड़ खाता है. इसी घर्षण की वजह से कैप्सूल का टेंपरेचर और बढ़ता है, जिससे स्पेसक्राफ्ट क्रैश हो जाता है. इस दौरान स्पेसक्राफ्ट का मिशन कंट्रोल से सिग्नल टूट जाता है. इस बीच यान का किसी तरह से संपर्क नहीं रहता.
इस चुनौती को भी पार करते हुए स्पेसक्राफ्ट की समंदर में सफल लैंडिंग हुई और एक-एक कर चारों अंतरिक्षयात्रियों को सकुशल बाहर निकाला गया. इस तरह अंतरिक्ष में 286 दिन बिताने के बाद सुनीता विलियम्स और उनके साथियों ने धरती की ताजा हवा में एक बार फिर सांस ली.