8 अप्रैल 2024 को उत्तरी अमेरिका ने पूर्ण सूर्य ग्रहण का नजारा देखा. धरती के ऊपर से सूरज की काली परछाई गुजरी. असल में परछाई तो चंद्रमा की थी. लेकिन अंधेरे के मूवमेंट का नजारा बेहद हैरान करने वाला था. यह परछाई गोलाकार दिख रही थी. इसका वीडियो नासा, एलन मस्क, NOAA जैसे कई लोगों और संस्थानों ने शेयर सोशल मीडिया पर किया.
NOAA के GOESEast सैटेलाइट ने यह नजारा कैद किया. जिसमें एक तरफ सूर्य ग्रहण की वजह से बनने वाली गोल परछाई का मूवमेंट दिख रहा है. साथ ही धरती के एक हिस्से में अंधेरा फैला रहा है. इसका वीडियो यहां नीचे है...
वहीं SpaceX के मालिक Elon Musk ने एक वीडियो ट्वीट किया. जिसमें लिखा था कि पृथ्वी की कक्षा से सूर्य ग्रहण. यह वीडियो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से लिया गया है. उसका वीडियो भी यहां पर नीचे है...
54 साल बाद हुई ऐसी घटना... जानिए क्यों?
चंद्रमा 2400 km/hr की स्पीड से सूरज के सामने से निकला. इस वजह से उसकी परछाई धरती के एक हिस्से से होते हुए गुजर गई. ऐसा सूर्य ग्रहण 1970 में हुआ था. इसके बाद ऐसा नजारा 2078 में देखने को मिलेगा. जिसे हिस्से में गोलाकार परछाई निकली, उसे पाथ ऑफ टोटैलिटी (Path of Totality) कहते हैं.
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185 km चौड़ी थी धरती पर पड़ने वाली परछाईं
पाथ ऑफ टोटैलिटी यानी सूरज के सामने चंद्रमा के आने से जमीन पर जो परछाई बनेगी. यह परछाई 185 km चौड़ी थी. यह मेक्सिको, अमेरिका और कनाडा में दिखाई पड़ी. करीब 100 मिनट तक यह पाथ बनता रहेगा. सूर्यग्रहण के समय दिन में कई जगहों पर रात हो गई. अंधेरा हो गया. तापमान में गिरावट आ गई.
रात में एक्टिव होने वाले जीव सक्रिय हुए. साथ ही कन्फ्यूज भी. क्योंकि थोड़ी देर बाद ही फिर से सूरज निकला. इससे उन्हें अपना बायोलॉजिकल क्लॉक संतुलित करने में समय लगा. पाथ ऑफ टोटैलिटी में 4 करोड़ लोग रहते हैं. इन सबने यह नजारा देखा.
54 साल 33 दिन बाद फिर होगी ऐसी घटना
ऐसे सूर्यग्रहण फैमिली के साथ आते हैं. जिन्हें सैरोस (Saros) कहते हैं. चंद्रमा धरती के 223 चक्कर लगाता है. जब यह 669वां चक्कर होता है, तब इस तरह का सूर्यग्रहण होता है. नासा ने बताया कि सैरोस की यह घटना 6,585.3 दिन या आप इसे 18 साल, 11 दिन और 8 घंटे कह सकते है.
इसमें जो 8 घंटे का समय है, इसी में सूर्य ग्रहण हुआ. यह सैरोस 139 का हिस्सा है. सैरोस के यही 8 घंटे इस बात की पुष्टि करते हैं कि हर 54 साल 33 दिन बाद इसी तरह का सूर्यग्रहण होगा. इसके एक्सेलिगमोस (Exeligmos) कहते हैं.