अमेरिकी द्वीप हवाई पर मौजूद मौउना लोआ (Mauna Loa) ज्वालामुखी, इटली में मौजूद स्ट्रोमबोली (Stromboli) और इंडोनेशिया का माउंट सेमेरू (Mount Semeru) ज्वालामुखी एक हफ्ते में ही फटे हैं. पहले मौउना लोआ, फिर सेमेरू और इसके बाद स्ट्रोमबोली. तीनों अपने-अपने देश के सक्रिय और सबसे खतरनाक ज्वालामुखियों में गिने जाते हैं. हैरानी की बात ये है कि तीनों के बीच में 10 हजार से ज्यादा किलोमीटर की दूरी है.
इंडोनेशिया के माउंट सेमेरू से इटली के स्ट्रोमबोली की दूरी करीब 11 हजार किलोमीटर है. इटली से हवाई द्वीप के मौउना लोआ की दूरी 13 हजार किलोमीटर है. मौउना लोआ से इंडोनेशिया की दूरी भी 10 हजार किलोमीटर से ज्यादा है. क्या आप सोच सकते हैं कि इतनी बड़ी धरती पर तीनों अलग-अलग हिस्सों में मौजूद ज्वालामुखी एक ही हफ्ते में कैसे सक्रिय हो गए. क्या तीनों के अंदर एक ही जगह से लावा की सप्लाई हो रही है. या तीनों जमीन के अंदर होने वाली टेक्टोनिक प्लेटों की मूवमेंट की वजह से आग उगल रहे हैं.
सबसे पहले बात करते हैं इंडोनेशिया के माउंट सेमेरू (Mount Semeru) ज्वालामुखी की. सोमवार यानी 4 दिसंबर 2022 को इस ज्वालामुखी का लावा डोम फट गया. फटा कैसे? तेज मॉनसूनी बारिश से. इसके बाद क्या था, ज्वालामुखी के अंदर मौजूद गर्म लावा तेजी से 8 किलोमीटर के इलाके में फैल गया. लावा को रास्ता मिला पास में बह रही नदी और उसकी नहरों के सिस्टम से.
कई गांवों में राख ही राख फैल गया. आफत में डूबे इन आठ किलोमीटर में इलाके में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है. सेमेरू जावा द्वीप का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी है. इसलिए उससे ज्यादा दूरी तक नुकसान पहुंचाने की आशंका बनी रहती है. इंडोनेशियाई नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट के अधिकारियों ने कहा कि विस्फोट के समय बारिश भी तेज हो रही थी. इसलिए पानी का सहारा लेकर लावा, मलबा, राख सब तेजी से नीचे आ रहा था. अब बारिश कम है तो रेस्क्यू का कम तेजी से किया जा रहा है.
इस विस्फोट की वजह से किसी की मौत नहीं हुई है. न ही कोई जख्मी हुआ है. ये बात अलग है कि गर्म राख और धुएं की वजह से सड़कें, गांव, ब्रिज, धान के खेत और आसमान काले हो गए थे. तेजी से आते पाइरोक्लास्टिक लहर से बचने के लिए 2500 लोगों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया था. इससे पहले पिछले साल इस ज्वालामुखी ने विस्फोट किया था. तब उसकी चपेट में आने से 51 लोगों की मौत हो गई थी. हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े थे.
अब बात करते हैं इटली के स्ट्रोमबोली ज्वालामुखी (Stromboli Volcano) की. यह ज्वालामुखी योलियान आइलैंड पर है. इसमें तो 5 दिसंबर 2022 को ही अचानक तेज विस्फोट हुआ. ढेर सारा पाइरोक्लास्टिक पदार्थ समुद्र की ओर बढ़ा. लावा तेजी से बह कर समुद्र की ओर जा रहा था. और राख का गुबार करीब ढाई किलोमीटर ऊंचाई तक जाते देखा गया.
Ecco il video ravvicinato del flusso piroclastico principale che nel pomeriggio si è sviluppato sulla Sciara del Fuoco dello #Stromboli provocando la formazione di uno #tsunami alto 1,5 metri. Per fortuna al momento non si hanno notizie di danni. pic.twitter.com/0I9KiEaxBk
— Il Mondo dei Terremoti (@mondoterremoti) December 4, 2022
स्ट्रोमबोली के ऊपर कई क्रेटर बने हैं. उत्तरी दिशा में मौजूद क्रेटर से पास लावा का नया बहाव देखा गया है. जहां से लगातार लाव बह रहा है. बहकर नीचे समुद्र में जा रहा है. यहां इतनी तेज विस्फोट हुआ था कि उससे 1.5 मीटर ऊंची सुनामी की लहरें बन गई थीं. हालांकि इस सुनामी और लावा, राख या धुएं से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ है. क्योंकि इस इलाके के आसपास लोग नहीं रहते.
हवाई द्वीप के मौउना लोआ ज्वालामुखी का तो पूछिए ही मत. लगातार लावा उगल रहा है. इसकी वजह से बहुत ज्यादा बड़े इलाके में लावा की नदी बन गई है. हवाई के बिग आइलैंड पर मौजूद इस ज्वालामुखी की गतिविधियों की वजह से आसपास के द्वीपों पर रह रहे लोगों को सतर्क कर दिया गया है. अमेरिकी वैज्ञानिक मौउना लोआ को बीस्ट कहते हैं. इस ज्वालामुखी की अंदरूनी सरंचना का आजतक पता नहीं चल पाया है. क्योंकि यह बेहद रहस्यमयी है.
BREAKING: Indonesia’s Mount Semeru has explosively erupted, sending pyroclastic density currents — ‘avalanches’ of extremely hot gas and debris — screaming into several valleys.
— Dr Robin George Andrews 🌋 (@SquigglyVolcano) December 4, 2022
Quick thread 🧵 (coming shortly): pic.twitter.com/pUKNcBBdP3
पहले वैज्ञानिकों को लग रहा था कि यह ज्वालामुखी किसी टेक्टोनिक प्लेट में होने वाली हलचल की वजह से आग उगलता है. लेकिन जांच में पता चला कि हवाई द्वीप के सबसे नजदीक जो टेक्टोनिक प्लेट है, वो भी 2000 किलोमीटर दूर है. मौउना लोआ के फटने के बाद जो चीजें हुई वो बेहद हैरान करने वाली हैं. खासतौर से वैज्ञानिकों के लिए. क्योंकि यह ज्वालामुखी 38 साल के बाद फटा है. इसलिए इसे देखना जरूरी है.
दूसरा, ये कि वैज्ञानिक पिछले तीन-चार दशकों से जो स्टडी कर रहे थे. वो रुक गया है. इसके बगल में मौजूद है किलाउइया ज्वालामुखी (Kilauea Volcano) 2018 में फटा था, तब इमरजेंसी सेवाओं के लिए चुनौती हो गई थी. क्योंकि उसकी वजह से आम लोगों, उड़ानों में दिक्कत आई थी. कहते हैं कि मौउना लोआ 6 लाख साल पुराना ज्वालामुखी है. तब से एक्टिव है.
दुनिया में 1500 एक्टिव यानी सक्रिय ज्वालामुखी है. दुनिया में सबसे ज्यादा सक्रिय यानी एक्टिव ज्वालामुखी इंडोनेशिया में हैं. यहां पर कुल 121 ज्वालामुखी हैं. जिसमें से 74 ज्वालामुखी सन 1800 से सक्रिय हैं. इनमें से 58 ज्वालामुखी साल 1950 से सक्रिय हैं. यानी इनमें कभी भी विस्फोट हो सकता है. सात ज्वालामुखियों में तो 12 अगस्त 2022 के बाद से लगातार विस्फोट हो ही रहा है. ये हैं- क्राकटाउ, मेरापी, लेवोटोलोक, कारांगेटांग, सेमेरू, इबू और डुकोनो.
अब सवाल ये उठता है कि आखिर यहीं पर इतने सक्रिय ज्वालामुखी क्यों हैं? इसकी तीन बड़ी वजहें हैं. पहला ये कि इंडोनेशिया जिस जगह हैं, वहां पर यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट दक्षिण की ओर खिसक रही हैं. इंडियन-ऑस्ट्रेलियन टेक्टोनिक प्लेट उत्तर की ओर खिसक रही है. फिलिपीन्स प्लेटपश्चिम की तरफ जा रही है. अब इन तीनों प्लेटों में टकराव या खिसकाव की वजह से ज्वालामुखियों में विस्फोट होता रहता है.
असल में इंडोनेशिया को फटते हुए ज्वालामुखियों का देश भी कहा जाता है. यह देश पैसिफिक रिंग ऑफ फायर (Pacific Ring of Fire) के ऊपर बसा है. इस इलाके में सबसे ज्यादा भौगोलिक और भूगर्भीय गतिविधियां होती हैं. जिसकी वजह से भूकंप, सुनामी, लावा के गुंबदों का बनना आदि होता रहता है. इंडोनेशिया का सबसे ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी केलूट (Kelut) और माउंट मेरापी (Mount Merapi) हैं. ये दोनों ही जावा प्रांत में हैं.
अब आपको बताते हैं उन चार अन्य देशों के बारे में जहां पर सबसे ज्यादा एक्टिव ज्वालामुखी है. इंडोनेशिया के बाद अगर किसी देश में सबसे ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी हैं. तो वह है अमेरिका. यहां पर 63, जापान में 62, रूस में 49 और चिली में 34 सक्रिय ज्वालामुखी है. यानी ये सभी ज्वालामुखी या तो फट रहे हैं. या कभी भी फट सकते हैं.