scorecardresearch
 

दुनिया के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थल पर मंडरा रहे खतरे के बादल, समुद्री ज्वालामुखी के पेट में उबल रहा लावा

ग्रीस के प्रसिद्ध टूरिस्ट डेस्टिनेशन सैंटोरिनी के पास भूमध्यसागर में पहली बार समुद्री ज्वालामुखी खोजा गया है. वैज्ञानिकों ने इससे पहले इतना बड़ा मैग्मा चेंबर इस इलाके में नहीं देखा था. गर्म लावा से भरा यह चेंबर कोलुंबो सबमरीन ज्वालामुखी के नीचे मौजूद है. 400 साल पहले यह फटा था. अब फिर से सक्रिय और बड़ा हो रहा है.

Advertisement
X
सैंटोरिनी से मात्र सात किलोमीटर दूर समुद्र में धधक रहा है कोलुंबो सबमरीन ज्वालामुखी. (फोटोः गेटी/अनस्प्लैश)
सैंटोरिनी से मात्र सात किलोमीटर दूर समुद्र में धधक रहा है कोलुंबो सबमरीन ज्वालामुखी. (फोटोः गेटी/अनस्प्लैश)

दुनिया के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक सैंटोरिनी (Santorini) पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. क्योंकि 400 साल पहले जिस ज्वालामुखी ने इस शहर को बर्बाद कर दिया था. अब उसके नीचे सक्रिय मैग्मा चेंबर मिला है. और यह चेंबर लगातार बड़ा होता जा रहा है. यह एक सबमरीन ज्वालामुखी है. यह पहले शांत था इसलिए इस पर किसी का ध्यान नहीं गया. लेकिन पिछले कुछ दिनों से इसकी गतिविधियां बढ़ गई हैं. 

Advertisement

वैज्ञानिकों ने स्टडी की तो पता चला कि कोलुंबो सबमरीन ज्वालामुखी (Kolumbo Submarine Volcano) के नीचे गर्म लावा जमा हो रहा है. एक बड़ा चेंबर बन चुका है. यह दिन-प्रतिदिन बड़ा हो रहा है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगले 150 साल में यह किसी भी वक्त फट सकता है. यानी अगले 24 घंटे में भी और कई सालों में भी. एक ढंग के भूकंप के झटके से ही यह एक्टिव हो जाएगा. यह सैंटोरिनी से बहुत दूर भी नहीं है. सिर्फ 7 किलोमीटर दूर समुद्र में आधा किलोमीटर की गहराई में है.

ग्रीस का शहर सैंटोरिनी दुनिया के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है. यहां कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है. (फोटोः पिक्साबे)
सैंटोरिनी दुनिया के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में एक है. यहां कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है. (फोटोः पिक्साबे)

कोलुंबो दुनिया के सबसे सक्रिय समुद्री ज्वालामुखियों में से एक है. ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि 1650 एडी में यह ज्वालामुखी फटा था. तब सैंटोरिनी में 70 लोगों की जान चली गई थी. जियोकेमिस्ट्री, जियोफिजिक्स, जियोइकोसिस्टम नाम के जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक कोलुंबो ज्वालामुखी के नीचे बड़े हो रहे मैग्मा चेंबर पर किसी का ध्यान नहीं गया. लेकिन अब यह कभी भी फट सकता है. अगर यह फटा तो सैंटोरिनी जैसे खूबसूरत शहर के लिए तबाही ला सकता है. क्योंकि यह समुद्री ज्वालामुखियों के बुरे इतिहास में अपना नाम पहले भी दर्ज करा चुका है. 

Advertisement

समुद्री ज्वालामुखियों की मॉनिटरिंग भी जमीनी ज्वालामुखी की तरह ही होता है लेकिन समुद्र में सीस्मोमीटर लगाना मुश्किल है, इसलिए कुछ ही जगहों पर ये काम हो पाया है. इसलिए समुद्री ज्वालामुखियों के सक्रिय होने या फटने का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल हो जाता है. लेकिन कोलुंबो की सक्रियता का पता करने के लिए वैज्ञानिकों ने नई तकनीक का इस्तेमाल किया. इसे फुल-वेवफॉर्म इन्वर्जन कहते हैं. इसमें आर्टिफिशियल सीस्मिक तरंगें फेंकी जाती हैं. जिससे हाई रेजोल्यूशन इमेज तैयार होती है. तरंगों से पता चलता है कि कहां पत्थर है, कहां मिट्टी और कहां ज्वालामुखी. 

कोलुंबो सबमरीन ज्वालामुखी इससे पहले 1650 में फटा था. तब भारी तबाही मचाई थी इसने. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
कोलुंबो सबमरीन ज्वालामुखी इससे पहले 1650 में फटा था. तब भारी तबाही मचाई थी इसने. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

इंपीरियल कॉलेज लंदन की वॉल्कैनोलॉजिस्ट मिशेल पाउलाट्टो कहती हैं कि फुल-वेवफॉर्म इन्वर्जन मेडिकल अल्ट्रासाउंड तकनीक की तरह काम करता है. इसमें आवाज की तरंगों को समुद्र में फेंका जाता है. तरंग जहां से टकराकर वापस आती है, उससे पता चलता कि समुद्र के अंदर कहां पर क्या है. इससे समुद्र के अंदर की तलहटी की आकृति बनने लगती है. इन तरंगों की गति भी बदल जाती है अलग-अलग स्थानों से गुजरते समय. उससे भी पता चलता है कि अंदर किस तरह का पर्यावरण है. 

वैज्ञानिकों ने जो डेटा निकाला है, उसके मुताबिक मैग्मा चेंबर में 1650 के बाद से लगातार हर साल 141 मिलियन क्यूबिक फीट लावा बढ़ रहा है. इस समय उस चेंबर में 1.4 क्यूबिक किलोमीटर मैग्मा मौजूद है. इसमें करीब इतना ही मैग्मा अगले 150 सालों तक बनेगा. इतना ही मैग्मा कोलुंबो ने 400 साल पहले हुए विस्फोट में उगला था.

Advertisement

Santorini Kolumbo Submarine Volcano

नई स्टडी में इस बात पर जोर दिया गया है कि अब से लेकर इसके विस्फोट तक कोलुंबो सबमरीन ज्वालामुखी पर नजर रखनी होगी. साथ ही इस बात पर भी जोर दिया जा रहा है ज्यादा से ज्यादा बेहतर और सटीक डेटा मिले ताकि ज्वालामुखी की गतिविधियों का सही अंदाजा लगाया जा सके. 

मिशेल पाउलेट्टो कहती हैं कि ज्यादा सटीक डेटा मिलने से हम कम से कम यह काम कर सकते हैं कि इसके विस्फोट का अंदाजा लगा सकते हैं. ताकि सही समय पर सैंटोरिनी द्वीप के लोगों को और बाहर से आने वाले पर्यटकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा सकें. अगर विस्फोट से कुछ समय पहले पता चल जाए तो हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती है.

अब कोलुंबो की स्टडी के लिए वैज्ञानिकों की अंतरराष्ट्रीय टीम एक समुद्री ऑब्जरवेटरी बनाने जा रही है. यह ऑब्जरवेटरी समुद्र के अंदर होगी. इसे नाम दिया गया है सैंटोरिनी सीफ्लोर वॉल्कैनिक ऑब्जरवेटरी या SANTORY. जब ये काम करना शुरू करेगी तो वैज्ञानिकों को ज्यादा बेहतर डेटा मिलेगा. 

Advertisement
Advertisement