दुनिया भर के वैज्ञानिक एक नए तरह की घड़ी बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह घड़ी आपकी असल जैविक उम्र या बायोलॉजिकल उम्र (Biological age) का पता लगा सकती है. इस प्रयास में, उन्होंने मनोवैज्ञानिक कारकों को जोड़ा और कुछ दिलचस्प बातें बताईं.
इस शोध के शुरुआती टेस्ट बताते हैं कि हमारे शरीर पर मानसिक अस्वस्थता का असर, कभी-कभी कई शारीरिक बीमारियों और धूम्रपान जैसी आदतों से ज्यादा हो सकता है. सरल भाषा में समझें, तो अगर आप खुश नहीं हैं, तो ये बीमारियों और बुरी आदतों से होने वाले प्रभावों से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है.
इंसान अपने जीवन के जितने साल जी लेता है, वह उसकी क्रोनोलॉजिकल एज (Chronological age) होती है, लेकिन अगर दो लोग एक ही दिन पैदा हुए हों, तो जरूरी नहीं है कि वे समान रूप से स्वस्थ भी हों. किसी व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य को मापकर, यह पता लगाया जा सकता है कि किसी व्यक्ति की जैविक आयु (Biological age) कितनी है, यानी वह व्यक्ति कितना 'युवा' या कितना 'बूढ़ा' है.
अगर यह पूर्वानुमान सटीक होता है, तो इससे विशेषज्ञ यह पता लगा सकते हैं कि कुछ व्यक्तियों की उम्र दूसरों की तुलना में तेजी से क्यों बढ़ती है. साथ ही, उम्र बढ़ाने में जीवनशैली की कौनसी चीजें असर डालती है. लेकिन मानव स्वास्थ्य का एक मुख्य कंपोनेंट है, जिसे घड़ी बनाने के पिछले प्रयासों में जोड़ा नहीं गया था. यह है हमारी मानसिक और भावनात्मक स्थिति (Mental and emotional state).
2021 में, न्यूजीलैंड के 23 लाख लोगों के बीच एक शोध किया गया था. इस शोध में मानसिक विकारों, शारीरिक बीमारी की शुरुआत और मृत्यु के बीच गहरा संबंध पाया गया था. उसी साल एक और शोध भी किया गया था, जिसमें पाया गया कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से उम्र तेजी से बढ़ती है. यानी, उम्र से संबंधित बीमीरियां या बदलाव जो असल में बुढ़ापे में होते हैं, वे बुढ़ापा आने से कई साल पहले ही दिखने लगते हैं.
शोध के इन्हीं नतीजों को ध्यान में रखते हुए, अमेरिका और हांगकांग के शोधकर्ताओं ने नई एजिंग क्लॉक बनाने के लिए कंप्यूटर एल्गोरिदम तैयार किया. इसमें कई मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य कारक और ब्लड बायोमार्कर शामिल हैं. उन्होंने चाइना हेल्थ एंड रिटायरमेंट लॉन्गिट्यूडनल स्टडी (CHARLS) डेटासेट में करीब 5,000 स्वस्थ वयस्कों के डेटा पर एल्गोरिथम ट्रेन किया. इस डेटासेट में केवल 45 या उससे ज्यादा की उम्र के लोग शामिल थे. इसके बाद, उन्होंने अन्य 7,000 लोगों के डेटा पर इसका टेस्ट किया.
एजिंग (Aging) जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं को मनोवैज्ञानिक कारक दिखाई दिए, जैसे कि दुखी या अकेला महसूस करना, जिससे व्यक्ति की जैविक आयु में 1.65 साल और जोड़ दिए गए. शोधकर्ताओं का मानना है कि उम्र बढ़ने से जुड़ी स्टडीज़ में मनोवैज्ञानिक घटकों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि जैविक उम्र पर इसका प्रभाव पड़ता है.
शोध में हिस्सा लेने वाले लोगों का मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य से जुड़ा डेटा आठ तरह की भावनाओं पर आधारित था- जैसे- परेशान होना, अकेलापन, दुख, फोकस नहीं होना, बेचैनी, उदासी, निराशा और डर. जब इस घड़ी का टेस्ट कैंसर, हृदय रोग, लिवर और फेफड़े की बीमारी या स्ट्रोक से पीड़ित लोगों पर किया गया, तो इसने सटीक रूप से बता दिया कि वे अपने हम उम्र स्वस्थ लोगों की तुलना में उनसे बड़े थे.
New AI-Based Study Suggests Unhappiness Could 'Age' Some People More Than Smoking https://t.co/43Ey8xcFkO
— ScienceAlert (@ScienceAlert) October 16, 2022
लेकिन अनुमानित आयु पर इन स्थितियों का प्रभाव 1.5 साल से ज्यादा नहीं था. एल्गोरिथम के अनुसार, सभी मनोवैज्ञानिक कारकों को जोड़ा गया तो भी उम्र में 1.65 साल की तेजी ही आई. धूम्रपान से एजिंग में करीब 1.25 साल और जुड़ गए. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि धूम्रपान, डिप्रेशन या अकेलेपन की तुलना में, स्वास्थ्य के लिए कम खतरनाक है. धूम्रपान कई तरह के कैंसर और हृदय रोग के लिए सबसे बड़े रिस्क फैक्टर में से एक है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके नतीजों से पता चलता है कि मानसिक स्वास्थ्य ठीक न होने के हानिकारक प्रभाव, उतने ही गंभीर हैं जितने गंभीर बीमारियों और धूम्रपान की वजह से होते हैं.