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मानवरहित अंतरिक्षयान चांद के पत्थरों से निकालेगा Oxygen, बनेगी इंसानी बस्ती...तैयारी शुरू

वो दिन दूर नहीं जब चांद के पत्थरों से ऑक्सीजन खींचकर निकाला जाएगा. इसकी मदद से चांद की सतह पर इंसानी बस्ती बनाई जाएगी. पत्थरों से ऑक्सीजन निकालने के लिए उपयोग होने वाली तकनीक का ब्लूप्रिंट बनाने का काम यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) ने एक निजी कंपनी को दिया है.

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यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) बना रही इंसानी बस्ती बनाने की योजना. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) बना रही इंसानी बस्ती बनाने की योजना. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने निजी कंपनी को दिया ब्लूप्रिंट बनाने का काम
  • निजी कंपनी ने कहा- दो साल में लॉन्च करेंगे मिशन
  • ऑक्सीजन टैंक में बचाएंगे, डीप स्पेस मिशन में इंसानी बस्ती आएगी काम

यूरोपियन स्पेस एजेंसी (European Space Agency - ESA) ने एक निजी कंपनी के साथ 8.40 लाख पाउंड स्टर्लिंग यानी 8.47 करोड़ की डील की है. निजी कंपनी का नाम है थेल्स एलेनिया स्पेस (Thales Alenia Space). यह फ्रांसीसी और इटैलियन कंपनियों ने मिलकर बनाया है. इस कंपनी को काम दिया गया है कि यह ऐसी तकनीक का ब्लूप्रिंट तैयार करे, जो चांद के पत्थरों (Moon Rocks) से ऑक्सीजन निकाल सके. 

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असल में ESA की योजना ये है कि वो चांद के पत्थरों से ऑक्सीजन निकालने के लिए ऐसी तकनीक विकसित कराए, जिसे एक मानवरहित अंतरिक्षयान (Unmanned Spacecraft) में भेजकर भविष्य में इंसानी बस्ती बनाने में मदद ली जाए. मानवरहित अंतरिक्षयान चांद के पत्थरों को तोड़कर उसमें से ऑक्सीजन निकालेगा. जिन्हें एक खास तरह के टैंक में संभाल कर रखा जाएगा. 

चांद पर इंसानी बस्ती बनाने का डीप स्पेस मिशन में भी होगा फायदा. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
चांद पर इंसानी बस्ती बनाने का डीप स्पेस मिशन में भी होगा फायदा. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

थेल्स एलेनिया स्पेस के रोजर वार्ड ने कहा कि अगले दो साल के अंदर हम यह प्रोजेक्ट लॉन्च कर देंगे. हम चाहते हैं कि चांद पर हमारा रिसर्च स्टेशन हो. जहां पर लोग आ-जा सकें. लगातार वहां पर लोग रह सके. हर बीस साल पर चांद पर जाने से बेहतर है लगातार आते-जाते रहना. जब भी हम चांद पर इंसानी बस्ती की बात करते हैं, तब हमें सबसे पहले जरूरत महसूस होती है संसाधनों की. 

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साउथ यॉर्क के रोथरहैम में स्थित ब्रिटिश फर्म मेटालिसिस (Metalysis) ने ऐसा केमिकल प्रोसेस तैयार कर लिया है जो पत्थरों से ऑक्सीजन निकाल सकता है. भविष्य में चांद पर रीफ्यूलिंग स्टेशन बनाया जाएगा. ताकि अंतरिक्ष में ज्यादा दूर तक इंसानी मिशनों को भेजा जा सके. चांद से ऑक्सीजन और रॉकेट ईंधन लेकर वो सुदूर अंतरिक्ष की यात्रा कर सकें. 

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